किस जेल में है ड्रग माफिया अल चापो को कैद रखने का माद्दा

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Published on: 22 Feb 2019 7:51 AM GMT
किस जेल में है ड्रग माफिया अल चापो को कैद रखने का माद्दा
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किस जेल में है ड्रग माफिया अल चापो को कैद में रखने का माद्दा

न्यूयॉर्क। मेक्सिकन ड्रग माफिया अल चापो जेल तोड़ कर भागने के लिए कुख्यात है और इनमें मेक्सिको की अतिसुरक्षित जेलें भी शामिल हैं। न्यूयॉर्क की अदालत में दोषी करार दिए जाने के बाद बड़ा सवाल है कि अल चापो को कहां रखा जाए। अल चापो पर बड़ी मात्रा में नशीली दवाओं को तस्करी के जरिए अमेरिका लाने के साथ ही दर्जनों लोगों की हत्या में शामिल होने के आरोप हैं। तीन महीने के मुकदमे के बाद पिछले सप्ताह उसे दोषी करार दिया गया। जोकिन ‘अल चापो’ गुजमान को जून में सजा सुनाई जानी है। मेक्सिको से प्रत्यपर्ण की शर्त के तहत उसे अमेरिका में सजा-ए-मौत नहीं सुनाई जा सकती सो यह तय है कि उसे कई सौ साल की कैद की सजा सुनाई जाएगी।

मेक्सिको की दो जेलों से भागने के बाद आखिरकार अल चापो को पकड़ कर अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया था। जीते जी किवदंती बन चुके और पुलिस को चकमा देन में माहिर अल चापो को लंबे समय के लिए जेल में रखना अमेरिकी पुलिस के लिए भी एक सिरदर्द है। जानकारों का कहना है कि अल चापो के लिए अमेरिकी राज्य कोलोराडो के फ्लोरेंस में मौजूद ‘सुपरमैक्स’ जेल आदर्श जगह हो सकती है। भारी भरकम प्रशासन वाली यह जेल सुदूर इलाके में होने के साथ ही बेहद सुरक्षित और कैदियों के लिए कठोर अनुशासन वाली है।

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खदान वाले एक पुराने शहर के बाहर मौजूद यह जेल डेनेवर के दक्षिण में दो घंटे की दूरी पर है। यह देश के सबसे बड़े मुजरिमों का घर है। यहां रहने वाले 400 कैदी 7 गुना 12 फीट की कोठरी में 23 घंटे अकेले रहते हैं। कोठरी में मौजूद फर्नीचर भी कंक्रीट का है।

संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में बम से हमला करने वाला टेड काचिंस्की, बोस्टन में कई बम हमले कर चुका जोखर त्सरनाएव, 11 सितंबर के हमलों की साजिश रचने वालों में शामिल साकारियास मुसावी और ओकलाहोमा सिटी पर बम हमले में शामिल टेरी निकोल्स भी इसी जेल में बंद हैं।

२०१५ में अल चापो सेंट्रल मेक्सिको की बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली एल्टीप्लानो जेल से भाग निकला। सेलफोन के जरिए उसने अपने साथियों से संपर्क किया। उसने अपने बाथरूम के नीचे खुदी सुरंग के रास्ते वहां से निकलने का रास्ता बनाया। माना जाता है कि इस काम में उसने तगड़ी रिश्वत की भी मदद ली। इसके पहले वह २००१ में मेक्सिको की ही एक और जेल से कपड़ों की टोकरी में बैठ कर भाग निकला था।

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तो क्या ऐसा सुपरमैक्स में भी हो सकता है? शायद नहीं। सुपरमैक्स की जेल में कैदी सालों तक एकाकी जीवन जीते हैं। उनके ज्यादातर दिन बिना किसी से बात किए गुजरते हैं। एक पूर्व कैदी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ‘यह यह नर्क का हाईटेक संस्करण है।’ सुपरमैक्स के ज्यादातर कैदियों को एक ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविजन दिया जाता है लेकिन सचमुच की दुनिया देखने के लिए उनके पास महज ४ इंच की एक खिडक़ी होती है। खिडक़ी का डिजाइन भी ऐसा है कि कैदियों को पता ही नहीं चलता कि उनकी सटीक लोकेशन क्या है। इंसानों से संपर्क बेहद कम है। यहां तक कि वो अपने कमरे में शौचालय से बस कुछ ही फीट की दूरी पर खाना खाते हैं। कैदी सिर्फ एक घंटे के लिए बाहर लाए जाते हैं लेकिन बाहर भी स्टील की जालीदार छत वाले आंगन में ही टहल सकते हैं।

जेल की सुरक्षा के लिए तीखी कंटीली तारों के बाड़ के अलावा, बंदूकधारियों से लैस टावर, भारी हथियारों से लैस गश्ती दल और हमलावर कुत्ते हैं। अल चापो के तीन महीने लंबे चले ट्रायल के दौरान भी उसके भागने का खतरा बना रहा। उसे मैनहट्टन के मेट्रोपॉलिटन करेक्शनल सेंटर में रखा गया है। इस लॉकअप में कई कुख्यात आतंकवादी रह चुके हैं। अल चापो को कोर्ट लाए जाते समय ब्रुकलिन ब्रिज को बंद कर दिया जाता था और सरकारी काफिले में एसडब्ल्यूएटी टीम के साथ ही एंबुलेंस भी रहती थी। ऊपर से हेलीकॉप्टर निगहबानी करता रहता था। अल चापो को कोर्ट में अपनी बीवी से गले मिलने की भी इजाजत नहीं मिली।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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