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जी 7 सम्मेलन: अमेजन की आग और कारोबारी जंग

raghvendra
Published on: 30 Aug 2019 3:48 PM IST
जी 7 सम्मेलन: अमेजन की आग और कारोबारी जंग
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पेरिस: जी 7 देशों की बैठक में अमेजन के जंगलों में भीषण आग, अमेरिका-चीन की कारोबारी जंग और जी 7 संगठन की एकता के मुद्दे छाए रहे। भारत की दृष्टि से इस सम्मेलन की उपलब्धि यह रही कि जम्मू और कश्मीर के मुद्दे पर जो अमेरिका बार-बार मध्यस्थता की बातें कर रहा था अब वह खामोश हो गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से आमने-सामने की मुलाकात में दो-टूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया कि भारत-पाक के मामले में किसी तीसरे पक्ष को कष्ट उठाने की जरूरत नहीं है, और भारत-पाक द्विपक्षीय ढंग से ही इस मसले को हल करेंगे। ट्रंप को भी ये कहना पड़ा कि उन्हें यकीन है कि भारत-पाक मिल कर स्वयं सभी आपसी समस्याओं को सुलझा लेंगे। ये पाकिस्तान के लिए एक बड़ी हार रही है।

भारत जी-7 देशों के समूह का हिस्सा कभी नहीं रहा, इसके बावजूद भारत को इसमें भाग लेने के लिए न्यौता दिया जाना वैश्विक परिदृश्य में उसकी बढ़ती साख और महत्व को दर्शाता है।

जी-7 दुनिया के सबसे विकसित देशों का एक समूह है, जिनका दुनिया की 40 फीसदी जीडीपी पर कब्जा है। ग्रुप के मुख्य सदस्य हैं- अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और ब्रिटेन। इनके बीच भारत की मौजूदगी एक बड़ी बात है।

ईरान पर ट्रंप हुए नरम

ईरान के विदेश मंत्री जवाद जारिफ अप्रत्याशित रूप से जी-7 सम्मेलन में शरीक होने पहुंच। ऐसा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की पहल पर संभव हुआ, जबकि इसको लेकर ट्रंप पूरी तरह से तैयार नहीं थे। ट्रंप ने तेहरान पर उसके विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को लेकर अधिकतम दबाव की नीति अपना रखी है लेकिन सम्मेलन की खास बात यह रही कि ईरान मुद्दे पर ट्रंप के सुर नरम होते हुए नजर आए और उन्होंने जवाद शरीफ के आने पर कोई कड़ी बात नहीं कही। ईरान न तो जी-7 का सदस्य है और न ही इस बार की बैठक में वो विशेष आमंत्रित सदस्य था, इसीलिए जावेद जरीफ की अप्रत्याशित और नाटकीय एंट्री सबको चौंका गई।

सिंगल यूज प्लास्टिक का मुद्दा

जी-7 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगल यूज प्लास्टिक को खत्म करने, जल संरक्षण, सौर ऊर्जा के इस्तेमाल, पेड़-पौधे और जीव जंतुओं के संरक्षण की दिशा में भारत के व्यापक प्रयासों का जिक्र किया।

हांगकांग पर चीन सख्त

जी 7 के नेताओं ने ब्रिटेन और चीन के बीच के 1984 के समझौते के अनुसार हांगकांग की स्वायत्तता का समर्थन किया गया और विरोध-प्रदर्शन का सामना कर रहे शहर में शांति का आह्वान किया। चीन बार-बार विदेशी सरकारों पर हांगकांग में दखल देने का आरोप लगाता रहा है। चीन ने जी 7 पर आरोप लगाया कि वह चीन के मामले में हस्तक्षेप कर रहा है और उसके इरादे नेक नहीं हैं। चीन ने कहा कि हमने बार बार जोर दिया है कि हांगकांग विशुद्ध रूप से चीन का आंतरिक मामला है और किसी भी विदेशी सरकार, संगठन या व्यक्ति को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि वह अगले वर्ष जी-7 शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अवश्य बुलायेंगे। उन्होंने रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव की उस टिप्पणी का भी जवाब दिया, जिसमें उन्होंने (लावरोव) ने कहा था कि रूस ने कभी भी जी-8 में वापस आने के लिए नहीं कहा है। ट्रम्प ने कहा कि जी-7 से बाहर रहने के बजाय अंदर रहना रूस के लिए बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि संभवत: रूस इस निमंत्रण को स्वीकार करेगा। यह समूह 1998 से 2014 तक जी-8 के नाम से जाना जाता था, लेकिन क्रीमिया और यूक्रेन की घटनाओं को लेकर रूस के साथ असहमति के कारण उसे इस समूह से निकाल दिया गया था। तब से यह समूह जी-7 कहलाने लगा। जी- 7 के सदस्य देशों ने रूस पर यूक्रेन के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था और उस पर प्रतिबंध लगा दिये थे। रूस ने हालांकि बार-बार यूक्रेन या किसी अन्य विदेशी देश के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करने से इंकार किया है।

असमानता के विरुद्ध लड़ाई

जी-7 सम्मेलन में इस बार चर्चा का मुख्य विषय दुनिया भर में फैलती असमानता के विरुद्ध लड़ाई था लेकिन सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, महासागरों के बढ़ते जलस्तर और डिजिटल जगत के परिवर्तन, व्यापार युद्ध, अमेजन के जंगलों में भडक़ी आग से संबंधित सत्रों में कई ऐसे ज्वलंत और तात्कालिक मसलों पर बात हुई। अमेजन के जंगलों में लगी भीषण आग के बारे में सम्मेलन के अंतिम दिन चर्चा हुई। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर ज्यादा बातें नहीं कीं। वह ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो को लेकर बाकी सदस्य देशों से जरा अलग ही रहे। जबकि बोल्सोनारो की पूंजीवादी स्वार्थपरक नीतियों को ही अमेजन के जंगलों में लगी आग के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

पत्नी का मजाक उड़ाए जाने से नाराज हुए मैक्रों

जी 7 बैठक के दौरान अपनी पत्नी ब्रिजिट का मजाक उड़ाए जाने से नाराज फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो पर भडक़ गए। मैक्रों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, उन्होंने मेरी पत्नी के बारे में कुछ असाधारण और असभ्य टिप्पणियां की हैं। मैं क्या कह सकता हूं? ये दुख की बात है। ये सबसे पहले उनके लिए और ब्राजील के लोगों के लिए दुख की बात है।

मैक्रों और बोलसनारो के बीच की ये बयानबाजी अमेजन की जंगलों में लगी भयानक आग के साथ शुरू हुई थी। मैक्रों ने शिखर सम्मेलन में अमेजन की आग को चर्चा के मुख्य विषयों में से एक बनाया था। दरअसल बोल्सोनारो के एक समर्थक ने फेसबुक पर एक संदेश पोस्ट किया जिसमें ब्रिजिट मैक्रों की उपस्थिति का मजाक उड़ाया गया और उनकी तुलना गलत तरीके से ब्राजील की पहली महिला मिशेल बोल्सनारो से की गई।

उनको मिशेल बोल्सनारो से कमतर कहा गया। बोल्सनारो के एक समर्थक ने उस तस्वीर पर लिखा, ‘अब आप समझ गए हैं कि मैक्रों बोल्सनारो के पीछे क्यों पड़ा हुआ है?’ 66 साल की ब्रिजिट, बोल्सनारो की पत्नी मिशेल से 29 साल बड़ी हैं। बोल्सनारो ने फेसबुक पर इस कमेंट के जवाब में लिखा, ‘लडक़े को अपमानित न करें, हा हा।’ मैक्रों ने जवाब में कहा, ‘मुझे लगता है कि ब्राजील की महिलाओं को शायद अपने राष्ट्रपति के कमेंट को पढक़र शर्म आएगी।’



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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