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अमेरिकी हिन्दू पुजारिन: जानें कौन हैं सुषमा द्विवेदी, जिन्हें समलैंगिक विवाह कराने से मिली प्रसिद्धि
America Hindu Pujaran Sushma Dwivedi: सुषमा द्विवेदी अमेरिका की पहली महिला हैं जिन्होंने शादी और अन्य अनुष्ठान कराने का काम शुरू किया है। सुषमा 33 से ज्यादा विवाह संपन्न करवा चुकी हैं और इनमें से आधे जोड़े एक ही लिंग के हैं। सुषमा जो भी विवाह कराते हैं उनमें सिर्फ 35 मिनट का समय लगता है।
America Hindu Pujaran Sushma Dwivedi: सुषमा द्विवेदी (Sushma Dwivedi) अमेरिका की पहली महिला हैं जिन्होंने शादी और अन्य अनुष्ठान कराने का काम शुरू किया है। वह समलैंगिकों से लेकर हर जाति, संप्रदाय, रंग, नस्ल आदि के लिए पूजा कराती हैं। चालीस वर्षीय सुषमा द्विवेदी (Sushma Dwivedi) ने शादियों में फेरे और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करवाने के बारे में जानकारी अपनी दादी से सीखे हैं। एक और अनोखी बात ये है कि सुषमा ने इन मन्त्रों को अपने हिसाब से छांट कर जेंडर न्यूट्रल बनाया है ताकि वे किसी भी जाति, लिंग, नस्ल या यौन रुझान से ऊपर उठकर आशीर्वचन बनें।
आर्गेनिक फ़ूड कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट हैं सुषमा द्विवेदी
सुषमा द्विवेदी (Sushma Dwivedi) अमेरिका की पहली महिला पुजारी हैं जो समलैंगिकों समेत सभी की शादी आदि करवाती हैं। इस पहल के जरिए सुषमा धर्म में हो रहे एक बड़े बदलाव का प्रतीक भी बन गई हैं। वह समलैंगिकों या अन्य किसी भी यौन रुझान वाले व्यक्तियों के बीच विवाह कराने के चलते काफी प्रसिद्ध हुईं हैं। सुषमा एक आर्गेनिक फ़ूड कंपनी (organic food company) 'डेली हार्वेस्ट' में वाइस प्रेसिडेंट हैं, जबकि उनके पति 37 वर्षीय विवेक जिंदल वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी (Wealth Management Company) 'कोर' में चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर हैं। इनके दो बेटे हैं।
सुषमा 33 से ज्यादा विवाह करवा चुकी हैं संपन्न
सुषमा को पुजारी बनने के बारे में विचार अपनी शादी के कुछ समय बाद आया। दरअसल, 2013 में उन्होंने देखा कि उनके पति का एक भाई ट्रांसजेंडर है तो उनके मन में सवाल उठा कि अगर उसने कभी शादी करने के बारे में सोचा तो विवाह कराएगा कौन? इसके बाद सुषमा ने काफी पढ़ाई की और जानकारियां एकत्र की। 2016 में सुषमा ने न्यूयॉर्क में 'पर्पल पंडित प्रोजेक्ट' ('Purple Pandit Project' in New York) की स्थापना की जो हर प्रकार की धार्मिक सेवाएं प्रदान करता था। उन्होंने पर्पल शब्द इसलिए चुना क्योंकि यह रंग दक्षिण एशिया में गे समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है। तबसे सुषमा 33 से ज्यादा विवाह संपन्न करवा चुकी हैं और इनमें से आधे जोड़े एक ही लिंग के हैं। सुषमा जो भी विवाह कराते हैं उनमें सिर्फ 35 मिनट का समय लगता है जबकि पारंपरिक हिन्दू विवाह में 3 घंटे तक का समय लग सकता है।
दादी से मिला हिंदू धर्म का ज्ञान
सुषमा का कहना है कि उन्होंने अपनी दादी से भी बहुत कुछ सीखा है। यही पौराणिक हिंदू व्यवस्था है कि आप अपना ज्ञान अगली पीढ़ी को देते हैं। कनाडा में पली बढ़ी सुषमा के लिए हिंदू धर्म का ज्ञान अपने दादा-दादी से मिला है। उन्होंने कनाडा के मॉन्ट्रियल (Montreal of Canada) में हिंदू मंदिर बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी और यही मंदिर सुषमा के बचपन का अहम केंद्र रहा। भारत के बाहर भी आप्रवासी समुदाय में भी हिंदुओं के बीच नेतृत्व की भूमिकाएं बंटी हुई हैं। विदेशों में भी अलग-अलग मंदिरों के बोर्ड अलग-अलग होते हैं। लेकिन इनमें भी महिलाओं ने अपनी जगह बनाई है।
पुरातन समय से महिलाओं ने नेतृत्व एक मिसाल: डॉ. उमा मैसोरकर
मसलन हिंदू टेंपल सोसायटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (e.g. Hindu Temple Society of North America) की अध्यक्ष डॉ. उमा मैसोरकर (President Dr. Uma Masorkar) हैं जो अमेरिका में सबसे पुराने मंदिरों का संचालन करती हैं। मैसोरकर (President Dr. Uma Masorkar) एक डॉक्टर हैं और 1980 के दशक में वह मंदिर प्रबंधन से जुड़ीं। कई साल से वह इसके प्रबंधन में सक्रिय हैं और अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए समाज को सक्रिय रखती हैं। वह कहती हैं कि पुरातन समय से कितनी ही महिलाओं ने नेतृत्व किया है और उनका योगदान एक मिसाल है। ऐसा नहीं है कि महिलाओं को पुजारी ही बनना पड़ेगा. उनमें ज्ञान के प्रसार की काबिलियत होनी चाहिए।
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