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America-India: क्या अमेरिका और भारत के बीच एक खतरनाक हथियार को लेकर हुई है डील, जिससे चीन को है खौफ, जानें फैक्ट्स
America-India Weapon Deal: चीन को वैसे ही अमेरिका अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती मानता है। वहीं भारत के लिए भी चीन बड़ा खतरा है।
America-India Weapon Deal: इसी कड़ी में अब एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय रणनीति के तहत अमेरिका और भारत मिलकर चीन को सबक देने के लिए एक बेहद खतरनाक हथियार की डील पर काम कर रहे हैं।अमेरिका भारत के साथ तीन अरब डॉलर की डील कर सकता है। इसके अंतर्गत एक ऐसा खतरनाक हथियार भारत के पास आ जाएगा, जो चीन के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता हैं। विपरीत मौसम में भी सटीक वार करने वाला यह हथियार एलओसी के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भी बिना किसी बाधा के अपना काम कर सकता है। इससे जुड़े फैक्ट्स पर डालते हैं एक नजर
चीन की चुनौती के चलते जल्द साइन हो सकती है डील
इस खतरनाक हथियार का नाम है हमलावर ड्रोन 30 MQ-9B, जिससे चीन घबराता है। चीन की चुनौती को देखते हुए अमेरिका जल्द से जल्द भारत को अपना हमलावर ड्रोन 30 MQ-9B दे सकता है। दोनों देश चाहते हैं कि हमलावर ड्रोन को लेकर 3 अरब डॉलर की ये डील कम से कम समय में हो जाए। इस हमलावर ड्रोन की मदद से भारत चीन से लगी सीमा (LAC) और हिंद महासागर के अलावा अपने पूरे निगरानी तंत्र को मजबूत कर पाएगा।
जानें इस ड्रोन के बारे में
यह ड्रोन करीब 35 घंटे तक हवा में रह सकते हैं। इसे अमेरिकी डिफेंस कंपनी जनरल एटॉमिक्स ने बनाया है, जो कि रिमोट से संचालित होता है। इसे निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने सहित कई उद्देश्यों के लिए तैनात किया जा सकता है। 450 किलोग्राम वजन का बम और चार हेलफायर मिसाइल भी यह ड्रोन अपने साथ कैरी कर सकता है। इस ड्रोन एमक्यू-9बी के दो प्रकार हैं, पहला स्काई गार्डियन और दूसरा सी गार्डियन। स्काईगार्डियन ड्रोन(mq-9b-skyguardian-drone) उड़ान भरने के बाद 1800 मील यानी 2900 किलोमीटर तक उड़ सकता है। यानी इसे मध्यभारत के किसी एयरबेस से उड़ाया जाए, तो यह जम्मू-कश्मीर में चीन और पाकिस्तान की सीमा तक निगहबानी कर सकता है। यह ड्रोन 50 हजार फीट की ऊंचाई पर 35 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है। इसके अलावा यह ड्रोन 6500 पाउंड का पेलोड लेकर उड़ सकता है।
फाइनल हो चुकी है डील! जानिए क्या बोले अमेरिकी मंत्री
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत लंबे समय से इस ताकतवर ड्रोन को खरीदने की कोशिश कर रहा है। 2017 में पहली बार अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सौदे पर चर्चा की थी। हालांकि उस वक्त यह डील नहीं हो सकी थी। माना जा रहा है कि हाल ही में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके अमेरिकी समकक्ष जेक सुलविन ने इस मुद्दे पर चर्चा की है। इस चर्चा के बाद ये डील जल्द ही फाइनल हो सकती है। अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री ने कहा, "दोनों देशों ने इस ड्रोन डील के प्रति रुचि दिखाई है।
MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन भारत के लिए कैसे फायदेमंद ?
अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के रिश्ते लंबे समय से मुश्किल दौर में हैं। इस लिहाज से भारत की सैन्य ताकत में प्रीडेटर ड्रोन का शामिल होना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 2020 में बॉर्डर पर चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प के बाद इस हथियार की जरूरत और भी बढ़ गई है। दरअसल, भारत ने मानव रहित ड्रोन बेड़े का इस्तेमाल कर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी निगरानी काफी बढ़ा दी है। ऐसे में अमेरिकी MQ-9B ड्रोन को शामिल करना भारत के निगरानी तंत्र में एक बड़ा अपग्रेड होगा। इसके अलावा, भारतीय नौसेना हिंद महासागर में चीनी युद्धपोतों और पनडुब्बियों की गतिविधियों पर नजर रखना चाहती है। यह ड्रोन इसके लिए परफेक्ट होंगे। श्रीलंका में Yuan Wang 5 जहाज की डॉकिंग सहित हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती नौसैनिक गतिविधि भारत के लिए रीपर ड्रोन की आवश्यकता को और भी महत्वपूर्ण बना देती है।
इस हथियार का क्या है इतिहास
MQ-9 रीपर ड्रोन की मदद से ही अमेरिका ने अगस्त 2022 में अफगानिस्तान के काबुल में अल-कायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी को ढेर कर दिया था। अमेरिका ने इस ड्रोन को दागने के लिए हेलफायर RX9 मिसाइल का उपयोग किया गया था। MQ-9B ड्रोन भी इसी ड्रोन सीरीज का हिस्सा है। MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा जरूरतों की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अमेरिका से खरीदे जाने वाले कुल तीस ड्रोनों में से तीनों सेनाओं को 10-10 ड्रोन सौंपे जाएंगे।