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डोनाल्ड ट्रंप ने ओबामाकेयर को किया फ्रीज, H-1B वीजा में भी कर सकते हैं बदलाव
वॉशिंगटनः डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सबसे पहले फैसले में अफोर्डेबल केयर एक्ट को फ्रीज करने का एक ऑर्डर पास किया है। बता दें कि इस एक्ट को ओबामाकेयर के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा नए राष्ट्रपित ट्रंप ने नेशनल सिक्युरिटी से जुड़े दो अहम अप्वाइंटमेंट भी किए। ये भी बताया जा रहा है कि एच-1बी वीजा को लेकर भी ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन में बदलाव कर सकते हैं।
बता दें कि शुक्रवार 20 जनवरी को ट्रंप ने अमेरिका के 4वें प्रेसिडेंट के रूप में शपथ ली। तो वहीं ट्रंप ने जेम्स मैटिस को अमेरिका का डिफेंस मिनिस्टर और जॉन कैली को होमलैंड सिक्युरिटी मिनिस्टर बनाया। इन दोनों ने भी शुक्रवार को ही शपथ ली। सीनेट ने मैटिस के फैसले को 98-1 और कैली के फैसले को 88-11 से पास कर दिया।
व्हाइट हाउस ने नए आदेश के डिटेल्स देने से किया इनकार
अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा- मेरा पहला दिन काफी बिजी था लेकिन अच्छा रहा। अमेरिका राष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के पहले घंटे में ही ओबामाकेयर को कमजोर करने के लिए ऑर्डर पास कर दिए। तो वहीं हेल्थ एक्सपर्ट्स संभावना जता रहे थे कि ट्रंप हेल्थ इंश्योरेंस न लेने पर पेनल्टी लगने वाले प्रोविजन को भी हटा देंगे। हालांकि व्हाइट हाउस ने नए ऑर्डर के डिटेल देने से इनकार कर दिया है।
क्या था ट्रंप का मकसद?
ट्रंप ने कहा कि ओबामा केयर से सरकारी डिपार्टमेंट और एजेंसियों का खर्च बढ़ता है। जबकि ओबामाकेयर को पूर्व प्रेसिडेंट बराक ओबामा का एम्बीशस प्लान माना जाता है। ट्रंप ने ओबामाकेयर के इकोनॉमिक इम्पैक्ट को कम करने के लिए ऑर्डर पास किया है। इस ऑर्डर से फेडरल एजेंसियां ओबामाकेयर के उन नियमों को वापस ले सकेंगी जिनसे आम लोगों को दिक्कतें होती थीं।
ओबामाकेयर का कांग्रेस ने किया था विरोध
हेल्थ इंश्योरेंस की क्वालिटी बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक हेल्थकेयर पहुंचाने के लिए ये एक्ट लाया गया था। ओबामाकेयर में सब्सि़डी और इंश्योरेंस एक्सचेंज की भी छूट थी। इस कानून के मुताबिक, सभी एप्लीकेंट्स एक विशेष दायरे में आ जाते हैं। फिर चाहे उन्होंने कभी भी पॉलिसी ली हो या फिर वे पुरुष-महिला जो भी हों। ओबामा के इस कानून का कांग्रेस, फेडरल कोर्ट्स, कुछ राज्यों समेत एक्टिविस्ट्स ने भी विरोध किया था। वहीं, ओबामाकेयर के चलते लोगों के हेल्थ इंश्योरेंस लेने में कमी आई। इसने 2016 तक 2 करोड़ 40 लाख लोगों को ही कवर किया।
एच-1बी वीजा लाने की तैयारी
सूत्रों के अनुसार सीनेटर चक ग्रेसली और डिक डर्बिन एच-1बी वीजा लाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा- हम ये एन्श्योर करेंगे कि एच-1बी वीजा से बेहतरीन स्टूडेंट्स को अमेरिका में एजुकेशन मिल सके। एच-1बी वीजा का अभी तक सबसे ज्यादा इस्तेमाल इंडियन आईटी कंपनियां करती हैं। लेकिन नए कानून से अमेरिका में पढ़ाई करने वाले बेस्ट स्टूडेंट्स को ही इस वीजा में प्रिफरेंस मिलेगा। इससे पहले एक अन्य रिपब्लिकन डेरेल ईसा भी कुछ हफ्ते पर एक बिल लाए थे। इसके अनुसार एच-1बी वीजा पर अमेरिका आने वाले लोगों को सालाना 1 लाख डॉलर देना पड़ेगा। ट्रंप अमेरिकियों के लिए जॉब बनाए रखने की पैरवी कर चुके हैं। वहीं भारतीय आईटी कंपनियों को 60% रेवेन्यू अमेरिका से ही मिलता है।