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अमेरिका में 16 वर्षों के बाद एक बार फिर मौत की सजा बहाल

seema
Published on: 2 Aug 2019 9:00 AM GMT
अमेरिका में 16 वर्षों के बाद एक बार फिर मौत की सजा बहाल
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वाशिंगटन : अमेरिका में 16 वर्षों के बाद एक बार फिर मौत की सजा बहाल कर दी गई है। अटॉर्नी बिल बार ने अमेरिकी जेलों के संघीय कार्यालय को निर्देश दिया है कि वह एक नए घातक इंजेक्शन प्रोटोकॉल को अपनाए ताकि मौत की सजा दी जा सके। पिछले साल अमेरिका में 25 लोगों को मौत की सजा मिली थी जो राज्य सरकारों की तरफ से दी गईं। मौत की सजा के तरीके और इस्तेमाल होने वाली दवा को लेकर बहस में डोनाल्ड ट्रंप से पहले बराक ओबामा की चुप्पी के कारण 2003 से किसी भी संघीय कैदी को मौत की सजा नहीं दी गई है। अब बिल बार ने जेल विभाग को निर्देश दिया है कि इसके लिए घातक इंजेक्शन बारबीट्यूरेट पेंटोबारबिटल का इस्तेमाल किया जाए। पहले जो दवा इस्तेमाल होती थी उसमें तीन दवाइयां मिलाई जाती थीं।

अमेरिका की संघीय जेलों में 62 कैदी मौत की सजा के इंतजार में हैं जिनमें इस्लामी कट्टरपंथी झोखर सारनाएव भी शामिल है जिसे 2013 की बॉस्टन मैराथन बम कांड का दोषी माना गया था। इस घटना में 3 लोगों की जान गई थी। मौत की सजा पाने वालो में डिलन रूफ है जिसने साउथ कैरोलाइना चर्च में 9 अफ्रीकी अमेरिकी लोगों की 2015 में हत्या कर दी थी। बिल बार के निर्देश पर संघीय जेल विभाग ने जिन पांच लोगों की मौत की सजा पर तामील की तारीख तय की है उन्हें करीब 15 साल पहले मौत की सजा मिली थी। इनमें एक है डैनियल लुईस जिसने 1996 में तीन लोगों के एक परिवार की हत्या कर लूटपाट की थी। इसमें एक आठ साल की बच्ची भी थी।

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मौत की सजा पर चार दशक तक रोक लगी रही

अमेरिका में संघीय अदालतों द्वारा सजा-ए-मौत पर रोक चालीस साल तक लगी रही थी। यह रोक 2001 में ओकलाहोमा सिटी में बम हमला करने वाले टिमोथी मैक वेग को मौत की सजा देने से खत्म हुई। इसके बाद के दो सालों में दो और लोगों को मौत की सजा मिली और फिर इस पर रोक लग गई। इसके बाद जिन लोगों को मौत की सजा मिली है वह सभी राज्य सरकारों से मिलीं हैं। अमेरिका के 50 में से 25 राज्यों में मौत की सजा दी जाती है। 21 राज्य इसकी अनुमति नहीं देते जबकि चार राज्यों में इसे निलंबित रखा गया है।

पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इशारा किया था कि ज्यादातर अफ्रीकी अमेरिकी लोगों को ही मौत की सजा सुनाई गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद हिंसक अपराधों के लिए न्याय विभाग कड़ी सजा देने के लिए दबाव बना रहा है। अक्टूबर 2017 में ट्रंप ने इस्लामिक स्टेट से प्रेरित सायफुलो साइपोव के लिए मौत की सजा की मांग की थी। साइपोव न्यूयॉर्क में पैदल यात्रियों पर ट्रक चढ़ाने का आरोपी है। इस घटना में 8 लोगों की जान गई थी। इसके बाद फिर अक्टूबर 2018 में ट्रंप ने यह मांग दोहराई जब एक गोरे राष्ट्रवादी ने पिट्सबर्ग के सिनागॉग में 11 लोगों की हत्या कर दी। यह दोनों मामले अब भी अदालत में हैं।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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