अमेरिका ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की कसी नकेल

raghvendra
Published on: 22 Dec 2017 12:41 PM GMT
अमेरिका ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की कसी नकेल
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वाशिंगटन : अमेरिका ने आतंकवाद को लेकर एक बार फिर पाकिस्तान की नकेल कसी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान पर कड़ा रुख अपनाने का दबाव बनाते हुए कहा है कि वह अपनी सरजमीं से गतिविधियां चलाने वाले आतंकवादी समूहों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करे।

देश की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की घोषणा करते हुए ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी गतिविधियों में तेजी लानी होगी। एक ओर अमेरिका आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की घेरेबंदी में लगा हुआ है तो दूसरी ओर पाकिस्तान में आतंकी सरगना हाफिज सईद की खुलकर वकालत की जा रही है।

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने हाफिज के आतंकी संगठन जमात उद दावा का समर्थन करते हुए उसे देशभक्त बताया है। मुशर्रफ के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने भी हाफिज की वकालत की है। बाजवा ने तो यहां तक कहा कि हर पाकिस्तानी की तरह हाफिज सईद भी कश्मीर मुद्दे को उठा सकता है।

आतंकवादी समूहों पर निर्णायक कार्रवाई करे पाक

ट्रंप ने कहा है कि हमने पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया है कि हम उसके साथ अच्छी साझेदारी चाहते हैं, लेकिन हम उसकी धरती से गतिविधियां चलाने वाले आतंकवादी समूहों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई भी देखना चाहते हैं। अमेरिका हर साल पाकिस्तान को बड़ा भुगतान करता है। उसे आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में हमारी मदद करनी होगी। 9/11 हमले के बाद अमेरिका अब तक पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर की मदद कर चुका है।

ट्रंप के मुताबिक हम पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तेज करने का दबाव बनाएंगे क्योंकि अपने साझेदार के सुरक्षा बलों और अधिकारियों को निशाना बनाने वाले चरमपंथियों और आतंकवादियों को समर्थन देने वाले देश के साथ कोई सहयोग जारी नहीं रह सकता।

वैसे एक सच्चाई यह भी है कि सत्ता में आने के बाद ट्रंप पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते रहे हैं, लेकिन पाकिस्तानी नेतृत्व की तरफ से आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने में आनाकानी के बावजूद अमेरिका उस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

मुशर्रफ ने आतंकियों को बताया देशभक्त

इस बीच पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ ने आतंकवादी समूहों को देशभक्त बताते हुए कहा है कि वह देश की सुरक्षा के लिए उनके साथ गठबंधन करने को तैयार हैं। मुशर्रफ ने एक न्यूज चैनल से कहा कि वे (लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा) देशभक्त लोग हैं। उन्होंने पाकिस्तान के लिए कश्मीर में अपने जीवन का बलिदान किया है।

मुर्शरफ ने पिछले महीने भी कहा था कि वह लश्कर-ए-तैयबा और उसके संस्थापक हाफिज सईद के सबसे बड़े प्रशंसक हैं। मुशर्रफ ने कहा कि दोनों समूहों को खासा जन समर्थन प्राप्त है और अगर वे कोई राजनीतिक पार्टी बनाते हैं तो किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

हाफिज सईद ने पिछले महीने अपनी राजनीतिक महत्वाकंाक्षा का खुलासा करते हुए घोषणा की थी कि उसका समूह 2018 का आम चुनाव लड़ेगा। मुशर्रफ ने कहा कि अब तक दोनों समूहों में से किसी ने भी उनसे संपर्क नहीं किया है और अगर वे उनकी पार्टी के साथ गठबंधन करना चाहते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

पाक सेना प्रमुख ने भी की हाफिज की वकालत

मुशर्रफ के बाद पाक के सेना प्रमुख बाजवा ने भी हाफिज की वकालत की है। बाजवा ने सेनेट कमेटी की बैठक के दौरान कहा कि हाफिज ने हर पाकिस्तानी नागरिक की तरह कश्मीर की समस्या सुलझाने में काफी सक्रिय भूमिका निभाई है। बाजवा ने दूसरे पाकिस्तानियों की तरह हाफिज को भी कश्मीर की समस्या उठाने का अधिकार है। बाजवा के इस बयान के बाद माना जा रहा है कि हाफिज को पिछले दरवाजे से पाकिस्तानी सेना का समर्थन हासिल है।

हाफिज के चुनाव में उतरने पर अमेरिका चिंतित

इस बीच अमेरिका ने जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद के 2018 के आम चुनाव में हिस्सा लेने की संभावनाओं के मद्देनजर चिंता जताई। विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने कहा कि नवंबर में नजरबंदी से सईद की रिहाई पर अमेरिका ने बहुत कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।

सईद मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा का नेता है। उन्होंने कहा कि हाफिज के संगठन को अमेरिकी सरकार आतंकवादी मानती है। हमारी पाकिस्तान सरकार के साथ कई बार बातचीत हुई है। पाकिस्तान ने अब उसे नजरबंदी से मुक्त कर दिया है। अब सूचना मिल रही है कि वह किसी बड़े पद के लिए चुनाव लड़ेगा। अमेरिका इन स्थितियों पर नजर रखे हुए है।

नोर्ट ने कहा कि मैं याद दिलाना चाहती हूं कि उसे न्याय की जद में लाने लायक सूचना देने वाले को एक करोड़ डॉलर की इनाम राशि देने की योजना है। इसलिए मैं यह स्पष्ट कर देना चाहती हूं, ताकि सभी को पता हो कि इस व्यक्ति पर एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित है। हम उसके चुनाव लडऩे को लेकर चिंतित हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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