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इस गलती पर लताड़ा गया अमेरिका, ट्रंप की बात भी साबित हुई झूठी

इस पूरे मामले अमेरिका की शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। जिसने जंगल की आग की तरह महामारी को पूरे अमेरिका में फैलने दिया। अमेरिका में अब तक करीब 44 हजार लोग संक्रमित पाए गए हैं और 560 की मौत हो चुकी है। एक दिन में दस हजार से अधिक नए मामले पता चले हैं।

राम केवी
Published on: 25 March 2020 4:06 PM IST
इस गलती पर लताड़ा गया अमेरिका, ट्रंप की बात भी साबित हुई झूठी
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क्या आप जानते हैं कि अमेरिका में आज कोरोना से इतने बुरे हालात क्यों हैं। किस की लापरवाही है जिसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लताड़ लगाते हुए कहा है कि आप आँखों पर पट्टी बांधकर करोना का मुकाबला नहीं कर सकते। अमेरिका की भद्ध पिटवाने के लिए आखिर कौन है जिम्मेदार।

इस पूरे मामले अमेरिका की शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। जिसने जंगल की आग की तरह महामारी को पूरे अमेरिका में फैलने दिया। अमेरिका में अब तक करीब 44 हजार लोग संक्रमित पाए गए हैं और 560 की मौत हो चुकी है। एक दिन में दस हजार से अधिक नए मामले पता चले हैं।

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इस मामले की आंच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तक भी जा रही है जिन्होंने इस महीने की शुरुआत में अमेरिकियों को भरोसा दिया था कि सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की जांच बेहतर है। कोई भी जांच करा सकता है। पहला मामला सामने आने के दो माह बीतने के बाद भी अमेरिका में अब तक तमाम लोगों की जांच नहीं हो पाई है। सीडीसी के डाटा से जाहिर होता है कोरोना वायरस जब इस देश में अपनी जड़ें जमा रहा था तो सरकारी लैब में महज 352 लोगों की जांच की गई।

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अब स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग अपनी गलतियों का मूल्याकंन करने के लिए आंतरिक समीक्षा में जुटा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेबरेसस ने कहा, 'आप आंखों पर पट्टी बांधकर मुकाबला नहीं कर सकते। हम अगर यह नहीं जानते कि कौन संक्रमित है तो इस महामारी को रोक नहीं सकते।'

एक बार फिर फंसे ट्रंप

इस बीच राष्ट्रपति ट्रंप एक बार फिर अपने बयान को लेकर फंस गए हैं। उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस के उपचार को लेकर मलेरिया रोधी दवाओं को परखा जा रहा है। ये दवाएं 'गॉड गिफ्ट' हो सकती हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने इससे असहमत होते हुए आगाह किया है अभी यह साबित नहीं हुआ है। इसी तरह ट्रंप ने कहा कि उनका प्रशासन हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन पर काम कर रहा है। इस पर भी कुछ अमेरिकी विशेषज्ञों ने लोगों से कहा कि जब तक इन दवाओं का व्यापक परीक्षण नहीं होता तब तक सचेत रहें।



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