Taliban: अमेरिका तालिबान सरकार को मान्यता देने को तैयार

Taliban: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को अमेरिका मान्यता देने को तैयार है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shweta
Published on: 17 Aug 2021 2:57 PM GMT
तालिबान के लोग
X

तालिबान के लोग (फोटो:सोशल मीडिया)

Taliban: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को अमेरिका मान्यता देने को तैयार है। अमेरिका की शर्त सिर्फ यही है कि तालिबान महिलाओं को पुरुषों की बराबरी के अधिकार दे, उनको अपनी सरकार में स्थान दे और मानवाधिकारों का सम्मान करें। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि अगर अफगानिस्तान की नई सरकार जनता के मूल अधिकारों को बनाये रखती है,आतंवादियों को संरक्षण नहीं देती है और महिलाओं को बराबरी का अधिकार देती है तो अमेरिका नई सरकार को मान्यता दे सकता है।

प्राइस ने कहा कि अब सब कुछ तालिबान पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने 9/11 के हमलों को अंजाम देने वाले नेटवर्क को नेस्तनाबूद करके अपने 2001 के विज़न को पूरा कर लिया है। प्राइस ने कहा कि अमेरिका का मिशन पूरा हो गया है, अब अफगानियों को कमान खुद अपने हाथ में ले कर शांति समझौते का सम्मान करना है।

तालिबान ने कहा, महिलाओं को हक मिलेगा

इस बीच तालिबान का रुख कुछ बदलता हुआ दिख रहा है। उसने कहा कि वह अपने विरोधियों के साथ बदले की कार्रवाई नहीं करेगा और महिलाओं को शरियत कानून के दायरे में रहते हुए काम करने की इजाजत दी जायेगी। वैसे, तालिबान के नरम रुख पर लोगों को बहुत भरोसा नहीं है। एक्सपर्ट्स का भी कहना है कि तालिबान, अफगानिस्तान को मिल रही विदेशी सहायता जारी रखने के उद्देश्य से नरमपंथी चेहरा ओढ़े हुए है और उसकी असलियत वही बर्बर दमनकारियों की है। दरअसल, अफगानिस्तान के बदलते घटनाक्रम के बीच जर्मनी ने अपनी 294 मिलियन डालर की सहायता राशि रोक दी है।

तालिबान के लोग मौजूद ( फोटो सौजन्य से सोशल मीडिया)

दूसरे देश भी संभवतः यही रुख अपनाने वाले हैं जिससे अरबों डालर की मदद बंद हो जायेगी। तालिबान ऐसा कतई नहीं चाहेगा कि उसे मोटी रकम से हाथ धोना पड़े। इसके लिए वह एक 'अच्छे' तालिबान का आचरण पेश करेगा। इसी क्रम में तालिबान के कल्चरल कमीशन के सदस्य इनामुल्लाह समंगनी ने एक बयान में कहा है कि अफगानिस्तान का इस्लामिक अमीरात ने सभी अफगानियों को पूर्ण आम माफी की घोषणा की है, खासतौर पर उनको जिन्होंने हमारा विरोध किया है और बरसों से देश पर कब्जा करने वालों को समर्थन किया है।

तालिबान के कुछ अन्य नेताओं ने भी कहा है कि अफगान सरकार या विदेशी ताकतों का साथ देने वालों से कोई बदला नहीं लिया जाएगा। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि तालिबान लड़ाके अपने विरोधियों की लिस्ट ले कर उनको ढूंढ रहे हैं, घर घर तलाशी ली जा रही है।इनामुल्लाह समंगनी ने कहा है कि अफगानिस्तान में 40 साल के संकट के दौरान महिलाओं पर सबसे ज्यादा आफत आई है लेकिन अब उनको शरियत और हमारी सांस्कृतिक परम्परा के दायरे में रह कर काम करने, और पढ़ने की इजाजत दी जायेगी। महिलाओं से सरकारी दफ्तरों में काम करने का आह्वान किया गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब तक तालिबान के टॉप कमांडर कोई बयान नहीं देते तब तक किसी नेता की बात का कोई मतलब नहीं है। तालिबान का शासन कैसा होगा ये तो आने वाले दिनों में ही स्पष्ट हो पायेगा लेकिन इसके शीर्ष नेतृत्व में जो लोग शामिल हैं उनकी कट्टरपंथी और निर्दय सोच पहले देखी जा चुकी है और उसमें कितना बदलाव आया है, कुछ कहा नहीं जा सकता।

Shweta

Shweta

Next Story