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Blood Falls Glacier: अंटार्कटिका के ग्लेशियर से बह रहा खून की तरह पानी, वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित

Blood Falls Glacier: अंटार्कटिका में एक ग्लेशियर से खून के रंग का झरना सालों से बह रहा है। इस ग्लेशियर का नाम टेलर और यह पूर्वी अंटार्कटिका के विक्टोरिया लैंड पर मौजूद है।

Prashant Dixit
Published on: 1 Oct 2022 2:24 PM IST
Blood Falls Glacier Antarctica
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Blood Falls Glacier Antarctica (social media)

Blood Falls Glacier: अंटार्कटिका में एक ग्लेशियर से खून के रंग का झरना सालों से बह रहा है। इस ग्लेशियर का नाम टेलर और यह पूर्वी अंटार्कटिका के विक्टोरिया लैंड पर है। इस ब्लड्स फॉल को पहली बार 1911 में ब्रिटिश खोजकर्ता थॉमस ग्रिफिथ ग्रिफ टेलर द्वारा यूरोपीय लोगों द्वारा शुरुआती अंटार्कटिक अभियान में पाया गया था। उस समय टेलर व उनके दल ने सोचा कि जीवंत रंग लाल शैवाल के कारण है। लेकिन अब जाकर इसके लाल रंग के निकलने की वजह वैज्ञानिक पता कर पाए है।

पूर्व की खोज और स्टडी का नतीजा

एक बार 1960 में पता चला कि यहां ग्लेशियर के नीचे लौह नमक है। यह बर्फ की मोटी परत से पानी वैसे निकल रहा है, जैसे आप टूथपेस्ट से पेस्ट निकालते हैं। अभी तक ऐसा माना जाता रहा, कि वहा पर जीवन मौजूद है। जिन वैज्ञानिकों ने इस खून के झरने को नजदीक जाकर देखा और सैंपल लिया है, उन्होंने बताते यह पानी स्वाद में नमकीन खून की तरह है। लेकिन साल 2009 में स्टडी से बात आई, कि ग्लेशियर के नीचे सूक्ष्मजीव हैं। जिनकी वजह से ये खून के रंग का पानी झरने से निकल रहा है। यह सूक्ष्मजीव इस ग्लेशियर के नीचे 15 से 40 लाख साल से रह रहे हैं। इस एरिया के पूरा अध्यन एक छोर से दूसरे छोर तक की करने में कई दशक लग जाएंगे, इस इलाके में आना-जाना और रहना मुश्किल काम है।

नई स्टडी से यह बात स्पष्ट हुई

अब जब खून के झरने के पानी की जांच प्रयोगशाला में की गई तो पता चला कि इसमें दुर्लभ सबग्लेशियल इकोसिस्टम के बैक्टीरिया हैं। जिनके बारे में किसी को पता नहीं रहा और यह के ऐसी जगह जिंदा रहते जहां पर ऑक्सीजन नहीं है। इस से एक बात और पता लगी वह यह की बैक्टीरिया फोटोसिंथेसिस के बिना ही इस जगह पर अपना जीवन जी रहे और नए बैक्टीरिया पैदा कर रहे हैं। इस जगह का तापमान दिन के समय माइनस सात डिग्री सेल्सियस के करीब रहता है। यानी खून का झरना अत्यधिक ठंडा है यह नमक ज्यादा होने की वजह से बहता रहता है।

वैज्ञानिक भी हुए आश्चर्य चकित

जबकि वैज्ञानिक अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं, कि खून के इस झरने को अंदर से कौन प्रेशर दे रहा है, जिसकी वजह से यह ग्लेशियर से बाहर निकल पा रहा है। इसके पीछे भूगर्भीय दबाव या कुछ और इसका पता नहीं चल पा रहा है। इस खून के झरने का स्रोत ग्लेशियर के नीचे लाखों सालों से दबा है। अगर यहां की स्टडी करने का मौका और मिले तो यह पता चल सकता है, कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई, इसका संबंध मंगल बृहस्पति और चंद्रमा आदि ग्रह से भी हो सकता है। इस के अध्ययन से सामने आती बातों से वैज्ञानिक खुद आश्चर्य चकित हो जा रहे है।



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Prashant Dixit

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