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Antiviral Drug: अगली महामारी की तैयारी, नई एंटी वायरल दवाओं की खोज में अमेरिका ने झोंकी ताकत

Antiviral Drug: अमेरिका की संघीय सरकार ने नई एन्टी वायरल दवाओं के डेवलपमेंट के लिए 3.2 अरब डॉलर रखे हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Dharmendra Singh
Published on: 19 Jun 2021 7:00 AM GMT
Antiviral Drug
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एंटी वायरल दवा (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

Antiviral Drug: कोरोना महामारी अभी खत्म नहीं हुई है, लेकिन वैज्ञानिकों ने अभी से अगली महामारी से लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। अमेरिका ने इस काम के लिये 3 अरब डॉलर से ज्यादा की रकम दी है। अमेरिका के बिडेन प्रशासन का इरादा है कि भविष्य की वायरल बीमारियों से निपटने के लिए दवाइयों की खोज पहले से कर ली जाए।

दरअसल जब कोरोना वायरस महामारी शुरू हुई तभी नई दवाओं की खोज के आईडिया पर काम चालू कर दिया गया था। लेकिन जब कोरोना वायरस से निपटने के लिए वैक्सीनें डेवलप हो गईं तब वैज्ञानिकों का फोकस इस बात पर हो गया कि अगली महामारी के असर को कैसे कम किया जाए और इसके लिए कौन सी दवाएं निकाली जाएं।
लेकिन जैसे जैसे वायरस के नए वेरियंट सामने आने लगे तो ये साफ हो गया कि सिर्फ वैक्सीनेशन से काम नहीं चलने वाला है। चाहे जितने लोगों को वैक्सीन लगा दें, ये वायरस खत्म नहीं होगा। ऐसे में एक ही चारा है - बीमारी का पुख्ता इलाज निकाल देना, ऐसी दवाई बनाना जिससे बीमारी को खत्म किया जा सके। ये बात समझने के बाद वैज्ञानिकों ने दवाई की खोज के काम को डबल स्पीड दे दी है। पहले फोकस था कि अमेरिका के एन्टी वायरल प्रोग्राम को तीन साल की अवधि में मजबूती दी जाए, लेकिन अब इस प्रोग्राम को इसी साल पूरा करने का फैसला लिया गया है।

रिसर्च और डेवलपमेंट पर फोकस

अमेरिका की संघीय सरकार ने नई एन्टी वायरल दवाओं के डेवलपमेंट के लिए 3.2 अरब डॉलर रखे हैं। इस निवेश से नई दवाइयों की खोज की जाएगी और वर्तमान दवाओं की असरदारिता टेस्ट की जाएगी। इस फंडिंग से क्लीनिकल रिसर्च और निर्माण को सपोर्ट किया जाएगा। शुरुआती तौर पर फोकस कोरोना वायरस पर रहेगा लेकिन आगे चल कर ये उन वायरस पर फोकस करेगा जो कोई महामारी को शुरू करने की शक्ति रखते हैं।


एडवांस में आर्डर दिए जा रहे
अमेरिकी सरकार ने बीमारियों के खिलाफ युद्ध की तैयारियां करते हुए कोरोना की उन एन्टी वायरल दवाओं के लिए एडवांस आर्डर देना शुरू कर दिया है जिनपर अभी काम चल रहा है। यानी ये दवाएं कारगर होंगी कि नहीं, ये पता नहीं है लेकिन सिर्फ उम्मीद पर आर्डर दिए जा रहे हैं। ठीक यही रणनीति कोरोना की वैक्सीन के डेवलपमेंट को प्रोत्साहित करने के लिए अपनाई गई थी।
अमेरिकी प्रशासन के मुख्य स्वास्थ्य सलाहकार डॉ एंथोनी फाउची इस प्रोग्राम की निगरानी कर रहे हैं। डॉ फाउची का कहना है कि इस प्रोग्राम का लक्ष्य कोरोना से निपटने के लिए नई दवाओं के डेवलपमेंट को गति देने के साथ साथ भविष्य के खतरों से निपटने के लिए औषधीय इलाज का पुख्ता ढांचा खड़ा करना है। डॉ फाउची का कहना है कि वो चाहते हैं कि भविष्य में ऐसा हो कि किसी को कोरोना होने पर वह दुकान से दवा खरीद कर खा सके। यानी सर्वसुलभ इलाज मिल सके।

अमेरिकन रेस्क्यू प्लान

इस प्रोग्राम की फंडिंग अमेरिकन रेस्क्यू प्लान के तहत की जा रही है। इसमें 30 करोड़ डॉलर से ज्यादस रिसर्च और प्रयोगशालाओं के लिए हैं, एक अरब डॉलर प्रीक्लीनिकल और क्लीनिकल परीक्षण के लिए और करीब 70 करोड़ डॉलर डेवलपमेंट और मैन्यूफैक्चरिंग के लिए हैं। 1.2 अरब डॉलर नई दवाओं की खोज के लिए हैं।

कोरोना की नई दावा की खरीद

बिडेन प्रशासन ने घोषणा की है कि वह मर्क कम्पनी द्वारा कोरोना के इलाज के लिए डेवलप की गई प्रायोगिक दवा 'मोलनूपीराविर' का स्टॉक 1.2 अरब डॉलर में खरीदेगा। कोरोना संक्रमण होने पर ये दवा 5 दिन तक हर 12 घंटे पर लेनी होगी। अभी इस दवा को मंजूरी नहीं मिली है लेकिन ऐसी उम्मीद की जा रही है कि जिन मरीजों को हाल में पॉजिटिव पाया गया है उनमें ये असरदार है। ऐसी ही दवाओं के डेवलपमेंट को प्रमोट करने के लिए सरकार एडवांस में ही खरीद के आर्डर दे देती है। फिलहाल एफडीए ने कोरोना के इलाज के लिए सिर्फ एक दवा 'रेमेडीसीवीर' को मंजूरी दी हुई है। ये भी सिर्फ उन लोगों को दी जानी है जो अस्पताल में भर्ती हैं।


Dharmendra Singh

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