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ये है दुनिया का वह देश जहां घर बैठे जान सकते हैं किसी की संपत्ति

Rishi
Published on: 4 Aug 2017 3:00 PM IST
ये है दुनिया का वह देश जहां घर बैठे जान सकते हैं किसी की संपत्ति
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ओस्लो: भारत में आम तौर पर एक बात कही जाती है कि आदमी से उसकी सैलरी के बारे में नहीं पूछना चाहिए और औरत से उसकी उम्र के बारे में क्योंकि कभी भी इसका सही जवाब नहीं मिलता। भारत में एक ही कार्यस्थल में काम करने वाले लोग भी एक-दूसरे की सैलरी के बारे में नहीं जान पाते। लेकिन भारत के लोगों को यह जानकारी हैरानी में डाल देगी कि दुनिया में एक देश ऐसा भी है जहां किसी की सैलरी को लेकर कोई गोपनीयता नहीं होती।

घर बैठे ही किसी की संपत्ति के बारे में जानकारी ली जा सकती है। जी हां, नार्वे एक ऐसा देश है जहां कोई भी किसी की सैलरी के बारे आसानी से जानकारी ले सकता है। यहां सारी जानकारी ऑनलाइन मौजूद है।

आप एक क्लिक में किसी की भी सैलरी पता कर सकते हैं। यही नहीं और भी जानकारियां ली जा सकती हैं। कोई कितना कमाता है, कितना टैक्स भरता है और उसकी संपत्ति कितनी है, यह सबकुछ पता करना मिनटों का खेल है। इसमें कोई कठिनाई नहीं होती।

पहले लाइब्रेरी में उपलब्ध थी जानकारी

नार्वे में 2001 में लोगों की आय और संपत्ति के आंकड़े ऑनलाइन जारी किए गए। ऐसा नहीं है कि इससे पहले ये सारी जानकारियां उपलब्ध नहीं थीं। इससे पहले ये सारी जानकारियां एक किताब के रूप में पब्लिक लाइब्रेरी में उपलब्ध होती थीं जहां कोई भी इस बाबत जानकारी हासिल कर सकता था। बीबीसी डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक नार्वे में इस बाबत बहुत ही पारदर्शी व्यवस्था लागू है। देश के एक राष्ट्रीय दैनिक अखबार में व्यवसायिक संपादक रह चुके टॉम स्टावी का कहना है कि आय व संपत्ति के ये आंकड़े कई लोगों के लिए मनोरंजन का कारण बन गए हैं।

लोग इसे लेकर काफी मनोरंजन भी करते हैं। वे कहते हैं ऐसा भी होगा कि आप फेसबुक पर लॉगइन करें और आपको पता चल जाए कि आपके दोस्त की कमाई कितनी है। स्टावी ने कहा कि पारदॢशता जरूरी है, लेकिन कुछ हद तक ही क्योंकि नॉर्वे के लोग टैक्स देने में सबसे आगे हैं। वे इस मामले में ब्रिटेन से भी आगे हैं।

यूरोस्टैट के मुताबिक यहां के लोगों को औसतन 40.2 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता हैं जबकि ब्रिटेन में यह 33.3 फीसदी और यूरोपियन यूनियन में 30.1 फीसदी है। स्टावी कहते हैं कि जब लोग इतना टैक्स चुकाते हैं तो वे यह जानना चाहते हैं कि अन्य लोग ऐसा कर रहे हैं या नहीं और हमारे पैसे का कहां इस्तेमाल हो रहा है। टैक्स में दिए गए पैसे का सही इस्तेमाल होना भी जरूरी है। यहां के लोगों को टैक्स और सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था दोनों पर पूरा यकीन है।

महिला-पुरुष के वेतन में अंतर बेहद कम

देश के कार्यस्थलों पर वेतन में असमानता दूर करने के लिए मजदूरी तय की गई है। लोग आसानी से अपने सहयोगी कॢमयों की सैलरी के बारे में जान सकते हैं। इतना ही नहीं, समान कार्यों के लिए महिला और पुरुष कर्मचारियों की सैलरी के बीच भी अंतर यहां काफी कम है। द वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक इस मामले में नॉर्वे का स्थान 144 देशों में तीसरा है। स्टावी बताते हैं कि किसी की भी सैलरी जानने के लिए नॉर्वे के नागरिकों को अपने नेशनल आईडी नंबर से वेबसाइट पर लॉगइन करना होता है। बिना आईडी नंबर के यह जानना मुश्किल होता है।

52 लाख लोगों में 30 लाख चुकाते हैं टैक्स

नॉर्वे टैक्स अथॉरिटी के प्रमुख हंस क्रिस्टियन होल्ट का कहना है कि 2014 के पहले कोई भी किसी की सैलरी के बारे में पता लगा सकता था, लेकिन पिछले तीन सालों से इसे पता लगाने के लिए नागरिकों को लॉगइन करना जरूरी हो गया है। यानी अब गुमनाम रहकर आप दूसरे की सैलरी नहीं जान सकेंगे।

आपको लॉगइन जरूर करना होगा। नॉर्वे में 52 लाख लोगों में से करीब 30 लाख लोग टैक्स भरते हैं। एक-दूसरे की सैलरी और संपत्ति पता करने के लिए लगभग 20 लाख लोग हर साल वेबसाइट पर लॉगइन करते हैं। नई व्यवस्था के अनुसार लोग यह भी पता कर सकते हैं कि कौन उसकी सैलरी और संपत्ति के बारे में सूचना हासिल कर रहा है। नॉर्वे की एक महिला नेली जॉर्गे कहती हैं कि पहले मैं दूसरे की सैलरी जानने के लिए कई प्रयास करती थी, लेकिन अब ऐसा करूंगी तो लोगों को पता लग जाएगा कि मैं उनके बारे में जानने की कोशिश कर रही हूं क्योंकि मुझे लॉगइन करेगा। वह व्यक्ति भी जान जाएगा कि कौन उसकी कमाई के बारे में पता कर रहा है।

टैक्स चोरी करने पर दर्ज होती है शिकायत

हेग ग्लैड एक शिक्षिका के रूप में काम करती हैं। वे कहती हैं कि वेतन और संपत्ति के इस पारदॢशता के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं। लोग इसका दुरुपयोग भी करते हैं। वे याद करते हुए कहती हैं कि जब मैं स्कूल में थी तो कुछ लडक़े एक-दूसरे के पिता के बारे में बात करते थे कि किसने कितना कमाया है और किसके पास कितनी संपत्ति है।

इस आधार पर भेदभाव भी किए जाते थे। हंस क्रिस्टियन होल्ट कहते हैं कि इस तरह के भेदभाव को रोकने के लिए ही लॉगइन व्यवस्था की शुरुआत की गई। वे कहती हैं कि मुझे लगता है कि अब ठोस कारण होने पर ही लोग दूसरे की सैलरी जानेंगे। अगर कोई टैक्स की चोरी करता है तो इसके बारे में शिकायत भी दर्ज की जाती है।

भारत में किसी की संपत्ति जानना नामुमकिन

जहां नार्वे में किसी की कमाई और संपत्ति के बारे में पता लगाना बहुत आसान काम है वहीं भारत में किसी की संपत्ति के बारे में जानना आम लोगों के लिए तो नामुमकिन ही है। दूरदराज के लोगों को तो छोडि़ए लोग अपने करीबी रिश्तेदार की संपत्ति के बारे में ही नहीं जानते। यहां नंबर एक के पैसे और नंबर दो के पैसे का इतना जबर्दस्त खेल है कि लोग अपनी संपत्ति को लेकर बहुत सतर्क रहते हैं।

लोग अपने करीबियों तक को अपनी संपत्ति के बारे में पता नहीं चलने देते। कई लोग तो अपनी संपत्तियों के बारे में दूसरों को इसलिए नहीं पता चलने देते कि ऐसा करने पर कहीं आयकर विभाग व प्रवर्तन निदेशालय कहीं पीछे न पड़ जाए। भारत में कोई ऐसा नेटवर्क नहीं है जिसके जरिये किसी दूसरे की संपत्ति का पता लगाया जा सके। लोगों ने इतना कालाधन छिपा रखा है कि वे अपने पैसे को लेकर काफी सतर्कता बरतते हैं। अपना पैसा छिपाने के लिए बेनामी संपत्ति का खेल भी भारत में खेला जाता है। काफी संख्या में लोगों ने बेनामी संपत्ति ले रखी है जिसमें उन्होंने भारी मात्रा में कालेधन का निवेश कर रखा है।



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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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