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Argentina News: अर्जेंटीना को पूरा का पूरा बदल देंगे नए राष्ट्रपति, ऐसा प्रयोग जो पहले कभी नहीं हुआ

Argentina News: 4 करोड़ 60 लाख लोगों के देश अर्जेंटीना को अब जेवियर माइली ही आखिरी उम्मीद है जो देश के नए राष्ट्रपति चुने गए हैं। माईली को उन्हें लैटिन अमेरिका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक को उसके सबसे खराब आर्थिक संकटों में से एक से बाहर निकालने का काम करना होगा जिसका उन्होंने वादा किया हुआ है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 21 Nov 2023 12:02 PM GMT
The new President will completely change Argentina, an experiment that has never happened before
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राष्ट्रपति जेवियर माइली अर्जेंटीना को पूरा का पूरा बदल देंगे नए राष्ट्रपति, ऐसा प्रयोग जो पहले कभी नहीं हुआ: Photo- Social Media

Argentina News: 4 करोड़ 60 लाख लोगों के देश अर्जेंटीना को अब जेवियर माइली ही आखिरी उम्मीद है जो देश के नए राष्ट्रपति चुने गए हैं। माईली को उन्हें लैटिन अमेरिका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक को उसके सबसे खराब आर्थिक संकटों में से एक से बाहर निकालने का काम करना होगा जिसका उन्होंने वादा किया हुआ है। अर्जेंटीना की वार्षिक मुद्रास्फीति 140 फीसदी को पार कर गई है, जो दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची दर है। इसके चलते देश में गरीबों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हालातों को ठीक करने के लिए माइली ने दुनिया की 22वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को उन कट्टरपंथी आर्थिक विचारों की प्रयोगशाला में बदलने का प्रस्ताव दिया है जिनका अभी तक कहीं भी बड़े पैमाने पर परीक्षण नहीं किया गया है। माईली ने वह सब करने का वादा किया है जिससे अर्जेंटीना पुराने गौरव को फिर हासिल कर सके।

एकदम अलग शख्सियत

जेवियर माइली को पहली बार अर्जेंटीना की जनता के सामने एक अजीब सी हेयरस्टाइल और अपने आलोचकों का अपमान करने की प्रवृत्ति वाले एक जुझारू टेलीविजन पर्सनालिटी के रूप में पेश किया गया था। जब उन्होंने पिछले साल अर्जेंटीना के राष्ट्रपति पद की दौड़ में प्रवेश किया, तो कई लोगों ने उन्हें एक आउटसाइडर के रूप में देखा जिसे गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। लेकिन 20 नवम्बर को उन्हें अच्छे खासे बहुमत से अर्जेंटीना का अगला राष्ट्रपति चुना गया।

Photo- Social Media

आशा और घबराहट भी

माईली की जीत से अर्जेंटीनावासी चिंतित भी हैं और आशान्वित भी लेकिन लगभग हर कोई अनिश्चित है कि आगे क्या होगा। लेकिन देश के राजनीतिक और आर्थिक भविष्य के बारे में एकमात्र निश्चितता यह है कि एक कम अनुभव वाला, राजनीतिक आउटसाइडर व्यक्ति उस सरकार की बागडोर संभालने के लिए तैयार था जिसे उसने उखाड़ फेंकने की कसम खाई थी। दूसरे शब्दों में, यह अर्जेंटीना का डोनाल्ड ट्रम्प लम्हा है। ट्रम्प की तरह माईली प्रोफेशनल नेता नहीं हैं, ट्रम्प की तरह माईली भी अंधाधुंध बातें करने, फैसले करने और गैर पारम्परिक तरीके से काम करने वाले व्यक्ति हैं। सबसे बड़ी बात कि माईली भी धुर दक्षिणपंथी और धुर राष्ट्रवादी हैं।

उदार अर्थशास्त्री

एक उदारवादी अर्थशास्त्री और नए संसद सदस्य माइली ने अपने विजय भाषण में स्पष्ट किया कि वह सरकार और अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए तेजी से आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा - अर्जेंटीना की स्थिति गंभीर है। हमारे देश को जिन परिवर्तनों की आवश्यकता है वे बहुत बड़े हैं। लकीर पीटने के लिए कोई जगह नहीं है।

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आर्थिक संकट में डूबा है देश

अर्जेंटीना कभी एक बहुत समृद्ध राष्ट्र हुआ करता था लेकिन आज ये गंभीर आर्थिक संकट में डूबा हुआ है। कई सरकारें आईं लेकिन सभी ने बेड़ा गर्क ही किया। लोगों को अब सिस्टम पर कोइ भरोसा नहीं है और सब कुछ बदला देने पर ही उम्मीद टिकी है। इसीलिए बाज़ारों ने भी माईली के चुनाव पर ख़ुशी जताई है, अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंजों पर अर्जेंटीना के स्टॉक और बॉन्ड बढ़ गए। वह क्या हासिल कर सकते हैं, इस पर स्पष्टता के बिना भी, बाजार उन्हें उनके ज्यादातर वामपंथी पूर्ववर्तियों की तुलना में बेहतर आर्थिक दांव के रूप में देखता है। असफल आर्थिक नीतियां - जिनमें अत्यधिक खर्च, संरक्षणवादी व्यापार उपाय, दमघोंटू अंतरराष्ट्रीय ऋण और इसके भुगतान के लिए अधिक मुद्रा की छपाई शामिल है - ने 4 करोड़ 60 लाख लोगों के इस खूबसूरत देश को भारी आर्थिक संकट में डाल दिया है।

अभूतपूर्व उपाय करने का वादा

53 वर्षीय माईली ने कहा है कि वह खर्च और टैक्स में कटौती करना चाहते हैं, सरकारी कंपनियों का निजीकरण करना चाहते हैं, 18 संघीय मंत्रालयों में से 10 को खत्म करना चाहते हैं, सार्वजनिक स्कूलों को वाउचर प्रणाली में तब्दील करना चाहते हैं, सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को बीमा-आधारित बनाना चाहते हैं, देश के केंद्रीय बैंक को बंद करना चाहते हैं और अर्जेंटीना पेसो को अमेरिकी डॉलर से बदलना चाहते हैं।

वह अपनी पहचान एक "अराजक-पूंजीवादी" के रूप में करते हैं। उनका कहना है कि अराजक पूंजीवाद स्वतंत्रतावाद का एक मौलिक मुक्त-बाजार है जो मानता है कि "समाज एक राज्य की तुलना में एक राज्य के बिना बहुत बेहतर काम करता है।" माईली के पास ये बहुत ही असाधारण विचार हैं जिन्हें दुनिया में कहीं भी लागू होते नहीं देखा गया है।

भारत के लिए एक अहम देश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माईली को चुनाव जीतने की बधाई दी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर अपने बधाई संदेश में कहा - भारत और अर्जेन्टीना के रणनीतिक संबंधों को और विविध व विस्तृत बनाने की दिशा में आपके साथ मिलकर काम करने को लेकर उत्साहित हैं।

भारत और अर्जेन्टीना एक-दूसरे के अहम व्यापारिक साझीदार हैं। पिछले साल दोनों देशों के बीच 6.4 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था, जो अब तक का सबसे अधिक है। 2021 के मुकाबले यह 12 फीसदी ज्यादा था। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक भारत अर्जेन्टीना का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है।

भारत इस दक्षिण अमेरिकी देश को खेती के लिए रसायन, कपड़े, दवाएं और मोटरबाइक निर्यात करता है, जो पिछले साल 1.84 अरब डॉलर पर पहुंच गया। अर्जेन्टीना ने भारत को 4.55 अरब डॉलर का निर्यात किया जिनमें खाद्य तेल, चमड़ा, दालें और रसायन शामिल थे।

Photo- Social Media

कौन हैं माईली

सिर्फ बीते दो साल में 53 साल के जेवियर माईली दक्षिण अमेरिका की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की राजनीति के चरम पर पहुंचे हैं। टीवी बहसों में शामिल होने वाले एक सनकी वक्ता की पहचान से राष्ट्रपति पद पर पहुंचने का उनका सफर बहुत से लोगों के लिए हैरतअंगेज रहा है। कई मुद्दों पर माईली के विचार अराजक माने जाते हैं। वह अबॉर्शन के विरोधी हैं, पोप के आलोचक हैं और जलवायु परिवर्तन के लिए इंसानी गतिविधियों को जिम्मेदार नहीं मानते। लेकिन विश्लेषक कहते हैं कि मिलेई की जीत में उनके अपने व्यक्तित्व से ज्यादा बड़ा योगदान इस बात का रहा है कि युवा मतदाताओं में यथास्थिति को लेकर खासा गुस्सा था। जिन मुद्दों पर उन्हें समर्थन मिला उनमें सरकारी खर्च घटाना भी एक था।

बिखरे बालों वाले मिलेई अक्सर खुद को शेर कहते हैं। उन्होंने अपनी एक रॉक स्टार जैसी छवि गढ़ी है।. उन्होंने अपने लिए एनकैप (अनार्किस्ट-कैपिटलिस्ट) जैसा विशेषण चुना और चुनावी सभाओं में वह चेन-सॉ लहराते नजर आए, जिसके जरिये वे सरकारी खर्च में कटौती का संदेश देते थे। उनकी सोशल मीडिया टीम युवाओं से भरी हुई थी। वह यूट्यूब और टिक-टॉक पर खूब सक्रिय थे। शायद यही वजह थी कि ऐटलस के एक सर्वेक्षण के मुताबिक 16 से 24 साल के मतदाताओं के बीच 68 फीसदी माईली के समर्थक थे।

Shashi kant gautam

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