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भयानक युद्ध खत्म: हजारों मौतों के बाद आई खुशी, अब लौट रहे आर्मेनिया के नागरिक

अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच हुए संघर्ष विराम के बाद बड़ी तादाद में आर्मेनियाई अपने देश में वापसी कर रहे हैं। इसके बाद लोग खुशियां मनाते हुए नजर आए।

Shreya
Published on: 19 Nov 2020 10:48 AM GMT
भयानक युद्ध खत्म: हजारों मौतों के बाद आई खुशी, अब लौट रहे आर्मेनिया के नागरिक
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भयानक युद्ध खत्म: हजारों मौतों के बाद आई खुशी, अब लौट रहे आर्मेनिया के नागरिक

नई दिल्ली: अजरबैजान और आर्मीनिया (Armenia-Azerbaijan War) के बीच सितंबर महीने से शुरु हुई जंग के बाद हुए संघर्ष विराम को देखते हुए अब बड़ी तादाद में आर्मेनियाई अपने देश वापसी कर रहे हैं। वहीं नागोर्नो काराबाख की राजधानी स्तेपनाकर्त में लोग संघर्ष विराम के बाद खुशियां मनाते और एक दूसरे से गले मिलते हुए नजर आए। हालांकि इस संघर्ष विराम से आर्मेनिया के बहुत से लोग नाराज भी देखे जा रहे हैं, क्योंकि यह संघर्ष विराम अजरबैजान के पक्ष में माना जा रहा है।

संघर्ष विराम से क्यों नाराज हैं आर्मेनियाई

मास्को की मध्यस्थता में हुए इस संघर्ष विराम से अभी भी आर्मेनिया के लोग नाराज हैं। लेकिन उन्होंने हिंसा की वजह से घर छोड़कर जाने वाले लोगों को लौटने की अनुमति दे दी है। बता दें कि अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच जारी लड़ाई को खत्म करने के लिए रूस ने मध्यस्थता की है। इससे पहले भी दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम हुआ था, लेकिन वो ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाया।

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war (फोटो- सोशल मीडिया)

सितंबर महीने से ही जारी थी जंग

वहीं रूस के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि संघर्ष विराम समझौते के अनुरूप वहां तैनात रूसी शांतिरक्षकों ने शनिवार से नागोर्नो काराबाख (Nagorno Karabakh) लौट रहे एक हजार 200 से ज्यादा लोगों को पहुंच मुहैया कराई। बता दें कि शांति समझौते के दोनों देशों में करीब दो हजार रूसी शांति सैनिकों को तैनात किया जाना है। बता दें कि अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच सितंबर महीने के आखिरी हफ्ते से युद्ध जारी था।

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किसलिए हो रही थी ये युद्ध

आपको बता दें कि अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच नागोरनो-काराबाख इलाके को लेकर युद्ध (Armenia-Azerbaijan War) छिड़ी थी। दोनों ही देश 4400 वर्ग किमी में फैले नागोर्नो-काराबाख नाम के हिस्से पर कब्जा करना चाहते थे। दोनों पक्षों के बीच भयंकर युद्ध को देख दुनिया के कई देश चिंतित थे। वहीं रूस और अमेरिका ने अपनी तरफ से इस युद्ध को रोकने के लिए मध्यस्थता के लिए कोशिश की थी।

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