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बहुत भयानक युद्ध: टैंक, तोपों और फाइटर जेट से हमला, 500 से ज्यादा सैनिकों की मौत
आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच शुरू हुआ भीषण युद्ध दूसरे दिन भी जारी है। दोनों देशों के बीच यह जंग विवादित क्षेत्र नागोरनो-काराबाख को लेकर हो रही है। दोनों देश एक-दूसरे पर टैंकों, तोपों और हेलिकॉप्टर से घातक हमले कर रहे हैं।
लखनऊ: आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच शुरू हुआ भीषण युद्ध दूसरे दिन भी जारी है। दोनों देशों के बीच यह जंग विवादित क्षेत्र नागोरनो-काराबाख को लेकर हो रही है। दोनों देश एक-दूसरे पर टैंकों, तोपों और हेलिकॉप्टर से घातक हमले कर रहे हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक, इस जंग में अब तक 80 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और सैंकड़ों लोग घायल हैं। तो वहीं जैसे-जैसे यह जंग तेज होती जा रही है, वैसे-वैसे रूस और तुर्की के बीच युद्ध का खतरा मंडराने लगा है।
अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय का है कि आर्मीनियाई बलों ने सोमवार सुबह टारटार शहर पर गोलाबारी की। जबकि आर्मीनिया के अधिकारियों ने कहा कि लड़ाई रातभर जारी रही और अजरबैजान ने सुबह घातक हमले शुरू कर दिए। दोनों ही ओर से टैंक, तोपों, ड्रोन और फाइटर जेट से हमले हो रहे हैं। अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि इस लड़ाई में आर्मीनिया के 550 से अधिक सैनिकों की मौत हुई है।
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आर्मीनिया के अधिकारियों ने इस दावे को खारिज कर दिया है। आर्मीनिया ने यह दावा भी किया कि अजरबैजान के चार हेलिकॉप्टरों को ढेर कर दिया है। इस इलाके में सुबह लड़ाई शुरू हुई, वह अजरबैजान के तहत आता है, लेकिन यहां पर 1994 से ही आर्मीनिया के समर्थित बलों का कब्जा है। इस संकट के मद्देनजर अजरबैजान के कुछ क्षेत्रों में मार्शल लॉ लगाया गया है तथा कुछ प्रमुख शहरों में कर्फ्यू के आदेश भी दिए गए हैं।
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रूस और तुर्की में युद्ध का खतरा
अब आर्मीनिया और अजरबैजान में बढ़ती जंग से रूस और तुर्की के इसमें कूदने का खतरा मंडराने लगा है। रूस आर्मीनिया का समर्थन कर रहा है, तो वहीं अजरबैजान के साथ नाटो देश तुर्की और इजरायल हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आर्मेनिया और रूस में रक्षा संधि है और अगर अजरबैजान ने ये हमले आर्मेनिया की सरजमीं पर किए तो रूस को मोर्चा संभालने के लिए आना पड़ सकता है। तो वहीं आर्मेनिया ने कहा है कि उसकी जमीन पर भी कुछ हमले किए गए हैं।
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तो वहीं अजरबैजान के साथ तुर्की खड़ा हो गया है। तुर्की ने बयान जारी कहा है कि हम सोचते हैं कि इस संकट का शांतिपूर्वक समाधान होगा, लेकिन अभी तक आर्मीनियाई पक्ष इसके लिए इच्छुक नजर नहीं आ रहा है। तुर्की ने कहा कि हम आर्मीनिया या किसी और देश के आक्रामक कार्रवाई के खिलाफ अजरबैजान की जनता के साथ आगे भी खड़े रहेंगे। माना जाता है कि तुर्की का इशारा रूस की तरफ था।
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