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महात्मा गांधी की परपोती जेल में, करोड़ों की धोखाधड़ी करने पर कोर्ट ने दी ये सजा

Mahatma Gandhi की परपोती आशीष लता रामगोबिन (Ashish Lata Ramgobin) को दक्षिण अफ्रिका के डरबन की एक कोर्ट ने सात साल की सजा का ऐलान किया है।

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Newstrack NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 8 Jun 2021 10:03 AM IST (Updated on: 8 Jun 2021 10:04 AM IST)
Ashish Lata Ramgobin, the great-granddaughter of Mahatma Gandhi, has been sentenced to seven years in prison by a court in Durban, South Africa.
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महात्मा गांधी (फोटो-सोशल मीडिया)

डरबन: महात्मा गांधी(Mahatma Gandhi) की परपोती आशीष लता रामगोबिन (Ashish Lata Ramgobin) को दक्षिण अफ्रिका के डरबन की एक कोर्ट ने सात साल की सजा का ऐलान किया है। परपोती आशीष लता रामगोबिन पर 6.2 मिलियन रैंड (अफ्रीकन मुद्रा) यानी करीब 3.22 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और जालसाजी करने का आरोप था। जिसके चलते इस मामले में सोमवार को आशीष लता रामगोबिन को कोर्ट ने दोषी करार दिया है।

इस बारे में सूत्रों से सामने आई खबर के अनुसार, 56 वर्षीय आशीष लता रामगोबिन (Ashish Lata Ramgobin) पर आरोप है कि उन्होंने बिजनेसमैन एसआर महाराज (SR Maharaj) को धोखा दिया था।

करोड़ों की धोखाधड़ी

दअसल एसआर महाराज ने उन्हें भारत में मौजूद एक कंसाइनमेंट के लिए आयात और सीमा शुल्क के तौर पर 6.2 मिलियन रैंड (अफ्रीकन मुद्रा) एडवांस में दिए थे। जिसके चलते आशीष लता रामगोबिन ने उस मुनाफे में हिस्सेदारी देने की बात कही थी।

परपोती आशीष लता रामगोबिन को डरबन स्पेशलाइज्ड कमर्शियल क्राइम अदालत ने आरोप सिद्ध होने और सजा होने के बाद आरोपों के खिलाफ अपील करने की इजाजत देने से मना कर दिया गया था।

सन् 2015 में आशीष लता रामगोबिन के खिलाफ मामले की सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय अभियोजन प्राधिकरण (NPA) के ब्रिगेडियर हंगवानी मुलौदज़ी ने कहा था कि लता रामगोबिन ने संभावित निवेशकों कथित रुप से जाली चालान और दस्तावेज प्रदान किये थे। जिसके जरिये वह निवेशकों को बता रहीं थीं कि लिनन के तीन कंटेनर भारत से भेजे जा रहे हैं। उस समय लता रामगोबिन को 50,000 रैंड की जमानत मिल गयी थी।

पैसे की जरूरत

ऐसे में सोमवार को डरबन कोर्ट में सुनवाई के दौरान ये बताया गया कि लता रामगोबिन ने न्यू अफ्रीका अलायंस फुटवियर डिस्ट्रीब्यूटर्स के डायरेक्टर महाराज से अगस्त 2015 में मुलाकात की थी। लता रामगोबिन ने महाराज से कहा था कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी अस्पताल ग्रुप नेटकेयर के लिए लिनन के तीन कंटेनर आयात किए हैं।

राष्ट्रीय अभियोजन प्राधिकरण (NPA) की प्रवक्ता नताशा कारा ने बताया कि लता रामगोबिन ने कहा था कि उसे आयात लागत और सीमा शुल्क का भुगतान करने के लिए वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था उसे बंदरगाह पर सामान खाली करने के लिए पैसे की जरूरत थी।


फिर इसके बाद आशीष लता रामगोबिन ने महाराज से कहा कि उन्हें 6.2 मिलियन रैंड की जरुरत है। इससे संबंधित दस्तावेज भी दिखाये। जिसमें माल की खरीद से संबंधित दस्तावेज थे। इसके एक महीने बाद फिर से लता रामगोबिन ने एस आर महाराज को एक और दस्तावेज भेजा जो नेटकेयर चालान था, जिससे यह पता चलता था कि माल डिलीवर हो गया है और उसका भुगतान नहीं किया गया है।

और इसके बाद आशीष लता रामगोबिन की पारिवारिक साख और नेटकेयर दस्तावेजों के कारण, महाराज ने लोन के लिए उनके साथ एक लिखित समझौता किया था। लेकिन जब महाराज को पता चला कि दस्तावेज जाली थे और नेटकेयर का लता लता रामगोबिन के साथ कोई समझौता नहीं था, तब महाराज ने रामगोबिन के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

ये हैं आशीष लता रामगोबिन

परपोती आशीष लता रामगोबिन (Ashish Lata Ramgobin) जोकि फेमस एक्टिविस्ट इला गांधी (Ela Gandhi) और दिवंगत मेवा रामगोविंद की बेटी है। इन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने कार्यकाल के दौरान महात्मा गांधी द्वारा स्थापित फीनिक्स सेटलमेंट को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।




Vidushi Mishra

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