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कोरोना वैक्सीन: एस्ट्राजेनेका पर लगे ये गंभीर आरोप, जानकर चौंक जाएंगे आप
यह टीका कोरोना होने से रोकने में 79 प्रतिशत और रोग को गंभीर होने से रोकने में सौ प्रतिशत तक प्रभावी है। टीके के तीसरे चरण का अध्ययन अमेरिका, चिली और पेरू में किया गया
नई दिल्ली: ब्रिटिश-स्वीडिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन एक बार फिर से संदेह के घेरे में आ गई है। जिसको लेकर अमेरिका की हेल्थ एजेंसी का कहना है कि कंपनी ने ट्रायल के दौरान पुराने डेटा का इस्तेमाल किया। बता दें कि एक दिन पहले ही एस्ट्राजेनेका ने अमेरिका में हुए वैक्सीन के ट्रायल के नतीजों का ऐलान किया है। इसके तहत कहा गया है कि उनकी ये वैक्सीन 79% प्रभावी है।
पुराने डेटा का इस्तेमाल
अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्सिस डिजिज के मुताबिक डेटा सेफ्टी मॉनेटरिंग बोर्ड ने एस्ट्राजेनेका के डेटा को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि एस्ट्राजेनेका ने ट्रायल के दौरान पुराने डेटा का इस्तेमाल किया। इसलिए यह वैक्सीन कितनी प्रभावी है यह बताना मुश्किल है। और अमेरिका में इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाएगा या नहीं यह फैसला एडवाइजरी कमेटी द्वारा किया जाएगा।
79 प्रतिशत प्रभावी
आपको बता दें कि अमेरिका और दक्षिण अमेरिकी देशों में ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका टीके को लेकर परीक्षण किया गया, जिसमें सामने आया है कि यह टीका कोरोना होने से रोकने में 79 प्रतिशत और रोग को गंभीर होने से रोकने में सौ प्रतिशत तक प्रभावी है। टीके के तीसरे चरण का अध्ययन अमेरिका, चिली और पेरू में किया गया जिसमें इसके "सुरक्षित और प्रभावी" होने की पुष्टि दोबारा हुई।
दूसरे देशों में ट्रायल के अच्छे नतीजे
वहीं ब्रिटेन,दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में भी इस टीके का परीक्षण किया गया। जो सभी उम्र और समुदाय के लोगों पर समान रूप से प्रभावी देखा गया और 65 वर्ष की आयु से अधिक के व्यक्तियों पर यह 80 प्रतिशत असरदार रहा। भारत के सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा भी इस टीके का उत्पादन किया जा रहा है।
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