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AstraZeneca Vaccine: अमीर देशों में मची आस्ट्रा जेनका वैक्सीन बांटने की होड़, जानिए वजह

AstraZeneca Vaccine Donated: जहां तक अमेरिका की बात है तो वहाँ एफडीए ने मूल्यांकन के बाद अभी तक आस्ट्रा जेनका की वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shivani
Published on: 15 July 2021 12:19 PM IST (Updated on: 15 July 2021 12:19 PM IST)
Corona Vaccine
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आस्ट्रा ज़ेनेका वैक्सीन (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

AstraZeneca Vaccine Donated: जर्मनी, कनाडा, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, ये सब देश कोरोना की वैक्सीनें बांट कर गरीब मुल्कों की मदद कर रहे हैं। हैरत की बात है कि इनके दान में सबसे बड़ा हिस्सा आस्ट्रा जेनका की वैक्सीन का है। इन देशों ने लाखों खुराकें बांट देने की घोषणा की है लेकिन इन घोषणाओं में आस्ट्रा जेनका के अलावा किसी और वैक्सीन का जिक्र नहीं है। जो नहीं जानते उनको बता दें कि आस्ट्रा जेनका की वैक्सीन भारत में कोविशील्ड नाम से चल रही है।

मामला पसंदगी का

दरअसल, बहुत से देशों में लोगों को आस्ट्रा जेनका की बजाय फाइजर या मॉडर्ना पर ज्यादा भरोसा है। इसकी वजह आस्ट्रा जेनका की वैक्सीन के कुछ दुष्परिणाम तथा इस वैक्सीन का फाइजर और मॉडर्ना की तुलना में कम असरदार होना है।

चूंकि अमीर देशों ने वैक्सीन के डेवलपमेंट के समय ही बड़े पैमाने पर एडवांस खरीद कर ली थी इसलिए उनको स्टॉक भरपूर मिल गया है। इन वैक्सीनों में आस्ट्रा जेनका भी शामिल है और उसका भी अच्छा खासा स्टॉक यूरोप, जापान, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में है। ऐसे देशों के पास फाइजर और मॉडर्ना की भी पर्याप्त से ज्यादा वैक्सीनें हैं। चूंकि लोगों के पास चुनने के लिए कई वैक्सीनें हैं सो ज्यादातर लोग फाइजर या मोडर्ना को पसंद कर रहे हैं और आस्ट्रा जेनका वैक्सीन पीछे रह जा रही है। आस्ट्रा जेनका वैक्सीन का स्टॉक यू हीं पड़ा हुआ है सो उसका उचित इस्तेमाल करने के उद्देश्य से उसका दान करने की घोषणा की जा रही है।

अमेरिका में मंजूरी ही नहीं

जहां तक अमेरिका की बात है तो वहाँ एफडीए ने मूल्यांकन के बाद अभी तक आस्ट्रा जेनका की वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है। आस्ट्रा जेनका के अमेरिका में संयंत्र हैं जहां बड़ी संख्या में वैक्सीन प्रोडक्शन हो चुका है। अमेरिका ने भी आस्ट्रा जेनका से एडवांस में खरीद की है। अब यही सरप्लस स्टॉक अमेरिका बांट रहा है।

कनाडा की घोषणा

दान देने की लेटेस्ट घोषणा कनाडा ने की है। कनाडा की इंटरनेशनल डेवलपमेंट मंत्री करीना गौल्ड और प्रोक्योरमेंट मंत्री अनीता आनंद ने कहा है कि कनाडा आस्ट्रा जेनका की एक करोड़ 77 लाख खुराकें अल्प व मध्यम आय वाले देशों को कोवैक्स के अंतर्गत दान में देगा। कनाडा में 79 फीसदी जनता को कोरोना की कम से कम एक डोज़ लग चुकी है। देश में वैक्सीनों का भरपूर स्टॉक है क्योंकि कनाडा ने एडवांस में काफी वैक्सीनें खरीद ली थीं। यहां फाइजर और मोडर्ना की वैक्सीनों का बहुत इस्तेमाल किया गया है।

जर्मनी अब खरीदेगा ही नहीं

कनाडा से पहले जर्मनी घोषणा कर चुका है कि वह अपने पास मौजूद आस्ट्रा जेनका की सभी सरप्लस वैक्सीनों को कोवैक्स के जरिये दान में देगा। जर्मन कैबिनेट ने तय किया है कि आस्ट्रा जेनका की पांच लाख डोज़ गरीब देशों को दे दी जाएंगी। जर्मनी में अधिकांश लोग फाइजर की वैक्सीन को तरजीह दी रहे हैं जिसकी वजह आस्ट्रा जेनका की वैक्सीन के साथ जुड़ी दुष्प्रभाव की समस्या और इस वैक्सीन की कम असरदारिता है।

इसी हफ्ते जर्मन स्वास्थ्य मंत्री जेन्स स्पान ने घोषणा की थी कि जिनको आस्ट्रा जेनका की एक डोज़ लग चुकी है उनको दूसरी डोज़ फाइजर या मॉडर्ना की लगेगी। जर्मनी अगले साल आस्ट्रा जेनका की वैक्सीन नहीं खरीदेगा।

यूरोप को पसंद नहीं

यूरोपियन यूनियन के डेटा के अनुसार सदस्य देशों को दी गई वैक्सीनों में 1 करोड़ 30 लाख इस्तेमाल नहीं हुईं हैं। इनमें ज्यादातर आस्ट्रा जेनका की हैं और ये सब यूं ही पड़ी हुई हैं।

जापान बांटेगा डेढ़ करोड़ खुराक

जापान ने कहा है कि वह इंडोनेशिया, ताइवान और वियतनाम को आस्ट्रा जेनका की दस-दस लाख डोज़ भेजेगा। इसके अलावाकोवैक्स के तहत श्रीलंका, नेपाल, ईरान, लाओस, कंबोडिया और बांग्लादेश को एक करोड़ 10 लाख डोज़ और दी जाएंगी। ये सब आस्ट्रा जेनका की वैक्सीन होंगी।

ऑस्ट्रेलिया ने भी आस्ट्रा जेनका की 15 लाख डोज़ वियतनाम को देने की घोषणा की है। ऑस्ट्रेलिया में आस्ट्रा जेनका की वैक्सीन सबको लगाई भी नहीं जा रही है।

क्या है कोवैक्स

'कोवैक्स' विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रायोजित एक ग्लोबल वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन प्रोग्राम है जिसे 'गावी द वैक्सीन अलायन्स' संचालित कर रहा है। विश्व के अति गरीब देशों के लिए कोवैक्स ही सहारा है और इसी अभियान के तहत उन्हें सर्वाधिक वैक्सीनें मिली हैं। कोवैक्स में प्रमुख रूप से वे सरकारें सहयोग कर रही हैं जिनके यहां वैक्सीनों का डेवलपमेंट और प्रोडक्शन है। इसके अलावा इस प्रोग्राम में सरकारों द्वारा फण्ड भी दिया जा रहा है। भारत से सीरम इंस्टिट्यूट कोवैक्स में अपनी कोविशील्ड वैक्सीन दे रहा है।



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