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हमलावर ने हेंडमेड जिपगन से शिंजो आबे को बनाया निशाना, जानें क्यों कहा जाता है इसे जापान का देशी कट्टा
सख्त गन कंट्रोल कानून वाले जापान में हर कोई हथियार साथ में नहीं रख सकता। इसलिए इस हत्यारे ने घर पर बंदूक बनाई। हमले में प्रयोग किए गए गन गन को जापान में जिपगन (Zipgun) कहते हैं।
Shinzo Abe Assassination: जापान के लोकप्रिय राजनेता और पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या करने वाले यामायामी तेत्सुया को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। हमलावर पत्रकार बनकर आबे के नजदीक आया और कैमरे जैसी दिखने वाले हैंडमेट गन से हमला कर दिया। फायरिंग के बाद आई फोटो में इसका खुलासा हुआ है। हमलवार ने गन को इस तरह से डिजाइन किया था कि वह कैमरे जैसी दिखे। इसके लिए उसने बंदूक पर ब्लैक पॉलीथिन को लपेटा था। हमले के बाद से उसका यह हैंडमेड हथियार चर्चाओं में है।
सख्त गन कंट्रोल कानून वाले जापान में हर कोई हथियार साथ में नहीं रख सकता। इसलिए इस हत्यारे ने घर पर बंदूक बनाई। हमले में प्रयोग किए गए गन गन को जापान में जिपगन (Zipgun) कहते हैं। सरल भाषा में समझें तो ये जापान का देशी कट्टा है, जिसका वहां अवैध तरीके से निर्माण होता है। तो आइए समझते हैं इस गन के बारे में ।
क्या होता है जिपगन
जिपगन को इंप्रोवाइज्ड फायरआर्म्स, पाइप गन या स्लैम गन भी कहा जाता है। इनकी गुणवत्ता और सटीकता पर कोई भरोसा नहीं होता है। इसलिए कई बार ऐसे बंदूकों को चलाते वक्त विस्फोट हो जाता है, जिससे चलाने वाला खुद ही जख्मी हो जाता है। इन हथियारों को अवैध रूप से फैक्ट्रियों में तैयार किया जाता है। सामान्यतः लोकल बदमाश और अपराधी इस बंदूक का इस्तेमाल करते हैं। कई देशों में ऐसे बंदूकों का उत्पादन सुरक्षा या शिकार के लिए किए जाते हैं। पूर्व जापानी पीएम की हत्या में जिस जिपगन का उपयोग किया गया है, उसमें दो मेटल पाइप, तार, लकड़ी के ब्लॉक, सैलोटेप और लिथियम बैटरी विस्फोट के लिए उपयोग की गई थी।
बता दें कि जिपगन के निर्माण के लिए तीन मुख्य चीजों की जरूरत होती है। पहली बैरल यानी नली, दूसरी ब्रीचब्लॉक और तीसरा फायरिंग मेकेन्जिम। ऐसे बंदूकों का इस्तेमाल छोटी रेंज के टारगेंटों के लिए किया जाता है। इसलिए इसमें कम ताकत वाली गोलियां लगती हैं।
अलग-अलग देशों में अलग-अलग नाम
जिपगन का नाम जगह बदलने के साथ बदल जाता है। जापान में जिसे जिपगन कहते हैं, वही भारत में कट्टा या तमंचा कहलाता है। अर्जेंटीना में इसे तुम्बेरा, मलेशिया में बाकाकुच और फिलिपींस में इसे सुंपक कहते हैं। इसके अलावा इसके कई प्रकार भी हैं। जिपगन से पहले पेन का इस्तेमाल काफी प्रचलन में था। ये बेहद छोटी पिस्टल होती थी, जिसमें केवल एक या दो राउंड फायर करने की क्षमता होती थी। इसके अलावा पाइप गन होती थी, जो सेकेंड वर्ल्ड वार के दौरान काफी प्रचलन में था।