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रोहिंग्या विवाद : बच्चों की किताब से आंग सान सू की का नाम हटाने की मांग

Rishi
Published on: 24 Dec 2017 5:56 PM IST
रोहिंग्या विवाद : बच्चों की किताब से आंग सान सू की का नाम हटाने की मांग
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लंदन : आलोचकों ने बच्चों के लिए 2017 की सबसे प्रतिष्ठित किताबों में से एक 'गुड नाइट स्टोरीज फॉर रेबल गर्ल्स' में से म्यांमार की नेता आंग सान सू की के नाम को हटाने की मांग की है। इस किताब में उन महिलाओं की कहानियां हैं जिन्होंने अपने कारनामों से लड़कियों को प्रेरित किया और यथास्थिति को चुनौती दी।

जब यह किताब लिखी गई थी तब सू ची को इसके योग्य समझा गया था जोकि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता हैं और उत्पीड़न के दौरान साहस की एक प्रतीक रही हैं। लेकिन, रोहिंग्या मुसलमानों पर हुए जुल्म को लेकर उनकी प्रतिक्रिया की बहुत आलोचना की गई है और उन्हें भविष्य में किताब के सभी संस्करणों से बाहर करने की मांग की गई है।

इसके जवाब में लेखक एलेना फाविली और फ्रांसेस्का कैवालो ने कहा, "हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और हम भविष्य के संस्करण से उनका नाम हटाने के विचार को पूरी तरह से खारिज नहीं कर रहे हैं।"

किताब में सू की के हवाले से कहा गया, "चूंकि हम इस दुनिया में रहते हैं, इसलिए हमें इस दुनिया के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।"

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किताब में सू की का अध्याय सैन्य शासन के खिलाफ उनके 21 वर्षो के विद्रोह की कहानी को दर्शाता है। इस किताब से संबंधित फेसबुक पेज पर एक आलोचक ने अपनी पोस्ट में लिखा, "इस किताब का 99 प्रतिशत हिस्सा प्रेरणादायक है, मुझे इस बात से घृणा हुई कि आपने पुस्तक में एक ऐसे व्यक्ति को शामिल किया जिस पर नरसंहार कराने का संदेह है..इन महिलाओं के बीच सू की का कोई स्थान नहीं है। एक ऐसी इनसान जो कुछ नहीं करती और शायद नरसंहार, बलात्कार और बच्चों को जीवित जलाने जैसी घटनाओं में सीधे शामिल है..मैं अवाक हूं कि वह भी इस किताब में है।"

एक अन्य अभिभावक ने लिखा, "इस किताब में ऐसी प्रेरणादायी महिलाओं की कहानियां हैं जो साबित करती हैं कि परेशानियों से निजात दिलाने के लिए किसी राजकुमार का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। मुझे यह देखकर हैरत और निराशा हुई कि इसी किताब में सू की को संत बताया जा रहा है। उम्मीद है कि प्रकाशक नया संस्करण जारी करेंगे.."

ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सांसद यास्मीन कुरैशी ने रोहिंग्या संकट के बारे में संसद में चिंता जताई थी। उन्होंने कहा, "मुझे आश्चर्य है कि यह कैसे हो सकता है कि नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने वाली सबसे प्रशंसित एवं सम्मानित एक ऐसे इनसान में बदल जाती है जिसमें करुणा की कमी हो।"

म्यांमार में लोकतंत्र बहाली के लिए लंबा संघर्ष करने वाली सू की नोबेल शांति पुरस्कार सहित 120 अंतर्राष्ट्रीय सम्मान अपने नाम कर चुकी हैं।



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Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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