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Rohingya Refugee: बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थी ने शुरू किया प्रदर्शन, घर वापसी की कर रहे मांग

म्यांमार से भाग कर बांग्लादेश में घुसे रोहिंगियाओं ने अब घर वापसी की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। पुलिस ने कहा कि छोटे-छोटे बच्चों समेत हजारों शरणार्थी रैलियों में शामिल हुए।

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Newstrack Network
Published on: 20 Jun 2022 12:05 PM GMT
Rohingya refugee started protest in Bangladesh
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बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थी ने शुरू किया प्रदर्शन। (Social Media)

Rohingya Refugee: म्यांमार से भाग कर बांग्लादेश में घुसे रोहिंगियाओं ने अब घर वापसी की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। म्यांमार (myanmar) से पांच साल पहले भाग कर आये लगभग 10 लाख रोहिंग्या दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश (south east bangladesh) में 34 शिविरों में बांस और तिरपाल की झोंपड़ियों में जिन्दगी बिता रहे हैं।

बांग्लादेश (bangladesh) भी इन शरणार्थियों से परेशान है और उसने धीरे धीरे इनके ऊपर शिकंजा कस दिया है। इन शरणार्थियों को सुदूर द्वीपों में भेजने से लेकर इनपर तरह तरह के प्रतिबन्ध लगाये गए हैं। अगस्त 2019 में करीब एक लाख रोहिंगियाओं द्वारा विरोध प्रदर्शन करने के बाद उन पर रैलियां करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

रोहिंग्या शिविरों में गो होम मार्च व रैलियां आयोजित

अब रोहिंग्या के कई समूहों को सोमवार को विश्व शरणार्थी दिवस (world refugee day) से पहले एक साथ अपने अपने शिविरों में ही "गो होम" मार्च और रैलियां आयोजित करने की अनुमति दी गई। रोहिंग्या समुदाय (Rohingya community) के शीर्ष नेता सैयद उल्लाह (top leader syed ullah) ने एक रैली में कहा - हम शिविरों में नहीं रहना चाहते हैं। शरणार्थी होना आसान नहीं है। यह नरक है। बहुत हो गया। चलो घर चलते हैं।

रविवार का प्रदर्शन बांग्लादेश और म्यांमार के विदेश सचिवों द्वारा पिछले सप्ताह एक बैठक आयोजित करने के बाद हुआ। ये बैठक लगभग तीन वर्षों में पहली थी। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि बैठक के दौरान ढाका ने म्यांमार पर इस साल शुरू होने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रत्यावर्तन के लिए दबाव डाला। उन्होंने कहा, - हमें उम्मीद है कि इस साल मानसून के बाद कम से कम सीमित पैमाने पर प्रत्यावर्तन शुरू हो जाएगा।

छोटे-छोटे बच्चों समेत हजारों शरणार्थी रैलियों में शामिल हुए: पुलिस

पुलिस ने कहा कि छोटे-छोटे बच्चों समेत हजारों शरणार्थी रैलियों में शामिल हुए। ये लोग तख्तियां लिए हुए थे जिन पर लिखा था - बस बहुत हो गया! घर चलो। एक पुलिस अधिकारी दुनिया की सबसे बड़ी शरणार्थी बस्ती कुटुपलोंग का जिक्र करते हुए बताया कि मेरे अधिकार क्षेत्र के शिविरों में रैली में 10,000 से अधिक रोहिंग्या ने हिस्सा लिया। पुलिस और आयोजकों ने कहा कि कम से कम 29 शिविरों में प्रत्येक रैलियों में 1,000 से अधिक रोहिंग्याओं ने हिस्सा लिया। अधिकारियों ने किसी भी तरह की हिंसा को रोकने के लिए शिविरों में अतिरिक्त सुरक्षा तैनात की है। रुक-रुक कर हो रही बारिश के बीच ये रैलियां गंदगी से भरे शिविरों से होकर गुजरीं।

कोई गारंटी नहीं

शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजने के कई प्रयास विफल रहे हैं क्योंकि रोहिंग्याओं ने घर जाने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि जब तक कि म्यांमार मुस्लिम अल्पसंख्यकों को अधिकारों और सुरक्षा की गारंटी नहीं देता तब तक वे वापस नहीं जायेंगे। दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश (south east bangladesh) के चटगांव में बोली जाने वाली बोली के समान, रोहिंग्या को म्यांमार में कई लोग उन्हें "अवैध अप्रवासी" के रूप में देखते हैं। म्यांमार में उनको बंगाली माना जाता है।

म्यांमार के रखाइन राज्य में अपने मूल गांवों में जाना चाहते हैं वापस: रोहिंग्या नेता

रोहिंग्या नेताओं का कहना है कि वे म्यांमार के रखाइन राज्य में अपने मूल गांवों में वापस जाना चाहते हैं, न कि उन शिविरों में जो म्यांमार की सरकार ने आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए बनाए हैं।उन्होंने कहा कि हम रोहिंग्या हैं, बंगाली नहीं। हम चाहते हैं कि पूर्ण अधिकारों के साथ प्रत्यावर्तन बहाल हो। उन्होंने कहा कि वे शरणार्थी के रूप में मरना नहीं चाहते हैं।

रोहिंग्या ने 19-सूत्रीय मांग के साथ अधिकारियों को दिए ज्ञापन

रोहिंग्या ने 19-सूत्रीय मांग के साथ अधिकारियों को ज्ञापन दिए हैं जिसमें म्यांमार को जल्द से जल्द सुरक्षित प्रत्यावर्तन और उस देश के विवादास्पद 1982 के कानून को रद्द करना शामिल है जो उन्हें नागरिकों के रूप में मान्यता नहीं देता है। अराकान म्यांमार के पश्चिमी रखाइन राज्य का दूसरा नाम है, जहां सेना ने 2017 में जातीय मुस्लिम रोहिंग्या अल्पसंख्यक पर अपनी कार्रवाई शुरू की। अनुमानित 10 लाख रोहिंग्या सीमा पार बांग्लादेश में शरणार्थी शिविरों में भाग गए। म्यांमार मुख्य रूप से बौद्ध है।

Deepak Kumar

Deepak Kumar

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