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Bangladesh में अल्पसंख्यकों पर आफत का कोई अंत नहीं

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की जनसंख्या में लगातार गिरावट जारी

Neel Mani Lal
Published on: 16 Oct 2021 11:12 AM GMT
alpsankhyakon ki halat
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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की घटती आबादी पर डिजाइन तस्वीर (फोटो-न्यूजट्रैक)

Bangladesh: आज़ादी के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की तादाद (Bangladesh alpsankhyakon ki halat) लगातार घटती चली गयी है, जहाँ 1971 में अल्पसंख्यकों की तादाद कुल जनसंख्या (alpsankhyakon ki Population) की 23.1 फीसदी थी वही अब मात्र 9.6 फीसदी रह गयी है। 2011 की गिनती के अनुसार, देश में कुल जनसँख्या में 8.5 फीसदी हिन्दू हैं, 0.6 फीसदी बौद्ध तथा 0.3 फीसदी ईसाई हैं। इसकी वजह बांग्लादेश से बड़ी संख्या में हिन्दुओं का पलायन है और 2011 की गिनती के अनुसार, देश में कुल जनसँख्या में 8.5 फीसदी हिन्दू, 0.6 फीसदी बौद्ध तथा 0.3 फीसदी ईसाई हैं। जब 1947 में भारत का बंटवारा (bharat ka batwara) हुआ था, उस समय पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में हिन्दू वहां की आबादी के 30 से 35 फीसदी के बीच थे। जिन देशों में कुछ ख़ास समुदाय खतरे में रहते हैं उन देशों की लिस्ट में बांग्लादेश का स्थान 56 वां है जहाँ सबे ज्यादा खतरे में हिन्दू, अहमदिया, अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक और चटगांव पहाड़ों की जनजातियाँ हैं।

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले (bangladesh mein alpsankhyakon per hamla)

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों (bangladesh mein alpsankhyakon per hamla) का पुराना इतिहास है। हिन्दू मंदिरों (Bangladesh Me Hindu Per Hmla) और हिन्दुओं के घरों पर हमले की ढेरों वारदातें लगातार होती रही हैं। इक्का-दुक्का वारदात की बजाये हमेशा समूहिक निशाना बनाया जाता है। यही नहीं, बांग्लादेश के विवादित वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट (bangladesh wasted property act) के तहत हिन्दू समुदाय के तमाम लोगों की जमीनें छीनी जा चुकी हैं। ये कानून सन 2000 में समाप्त कर दिया गया लेकिन समाप्ति का क्रियान्वयन अभी तक नहीं हुआ है। हकीकत यह है कि शेख हसीना सरकार इस्लामिक गुटों पर काबू पाने में कामयाब नहीं है। वे गुट लगातार हिंसा और दहशतगर्दी का सहारा ले रहे हैं।

बीते दस बरस की बात करें तो वर्ष 2009 से 2010 के बीच अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमले की 150 से ज्यादा वारदातें हुईं। बांग्लादेश बुद्धिस्ट हिन्दू क्रिस्चियन यूनिटी कौंसिल के अनुसार, अल्पसंख्यकों की जमीनों पर कब्जे, आगजनी, बलात्कार और हत्याएं की गईं हैं।

- फरवरी 2015 में बंगलादेशी मूल के अमेरिकी अविजित रॉय की ढका में सरेआम कुल्हाड़ी से कट कर हत्या कर दी गयी थी। सिर्फ इसलिए कि अविजित ने अपने लेखों से कट्टरपंथियों को नाराज कर दिया था।

- 2016 में बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि इस्लामिक स्टेट (आईएस) के एक आतंकी ने एक हिन्दू पुजारी जोगेश्वर रॉय की ह्त्या करना कबूला था। जोगेश्वर की हत्या मंदिर परिसर स्थित उनके घर में क्र दी गयी थी। 12 मार्च 2020 को बांग्लादेश के एक कोर्ट ने इस मामले में जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश के चार लोगों को मौत की सजा सुनाई थी।

- वर्ष 2020 अल्पसंख्यकों के लिए बहुत बुरा बीता। इस साल ढाका स्थित एक शिया मस्जिद पर हथगोलों से हमला किया गया जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गयी और 80 लोग जख्मी हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी।

- फरवरी 2020 में जोगेन्द्रनाथ सरकार नामक एक ईसाई और उनके परिवार के पांच सदस्य बांग्लादेश के कुष्टिया जिले से जान बचा कर कोलकाता भाग आये। बांग्लादेश में इस परिवार पर प्रभावशाली मुस्लिम उनकी 1.66 एकड़ जमीन के लिए दबाव डाल रहे थे। उनके घर में तीन बार आगजनी की गयी और जान से मारने की धमकियां मिलीं थीं।

- एक रिपोर्ट में बताया गया था कि किस तरह एक अहमदिया बच्चे के शव को कब्र से निकाल कर सड़क पर फेंक दिया गया था। जिन्होंने ये हरकत की उनका कहना था कि उस बच्चे का परिवार काफ़िर है। बाद में शव को ईसाईयों के कब्रिस्तान में दफनाया गया।

- नवमबर 2020 में मुस्लिम समुदाय की भीड़ ने कोमिल्ला में हिन्दू लोगों के घरों पर हमला करके उनको आग लगा दी और लूटपाट की। ये सिर्फ इस अफवाह के बाद किया गया कि हिन्दुओं ने एक फ्रेंच पत्रिका में छपे कार्टून का समर्थन किया था।

- इस साल मार्च में सिलहट में हिन्दुओ के 70-80 घरों में सिर्फ इसलिए तोड़फोड़ की गयी कि एक हिन्दू युवक ने हिफाज-एइस्लामी के नेता मामुनल हक़ के एक भाषण के विरोध में फेसबुक पर कुछ लिख दिया था।

Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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