बांग्लादेश में सेना की नाराजगी भी शेख हसीना के लिए पड़ी भारी, मुश्किल समय में साथ न देकर दिया झटका

Bangladesh Protest: बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन के गरमाने के बाद शेख हसीना को उम्मीद थी कि वे पुलिस और सेना के दम पर इस आंदोलन को कुचलने में कामयाब होंगी मगर ऐसा नहीं हो सका।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 6 Aug 2024 7:36 AM GMT
Bangladesh Protest
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Bangladesh Protest  (photo: social media )

Bangladesh Protest: पड़ोसी देश बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता से बेदखली में सेना की नाराजगी को भी बड़ा कारण माना जा रहा है। शेख हसीना ने गत जून महीने में ही अपने पसंदीदा सैन्य अधिकारी जनरल वकार उज जमान को बांग्लादेश का चीफ आर्मी स्टाफ बनाया था।

इसके जरिए वे सेना को पूरी तरह अपने काबू में रखना चाहती थीं मगर सेना के अन्य अधिकारियों की नाराजगी को वे भांप नहीं पाईं। मुश्किल समय में सेना के वरिष्ठ अफसरों का भी शेख हसीना को समर्थन नहीं मिला जिसके कारण बांग्लादेश के हालात बेकाबू हो गए। इसके बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर भागना पड़ा।

सैन्य अधिकारियों में थी काफी नाराजगी

जानकारों का कहना है कि बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन के गरमाने के बाद शेख हसीना को उम्मीद थी कि वे पुलिस और सेना के दम पर इस आंदोलन को कुचलने में कामयाब होंगी मगर ऐसा नहीं हो सका। शेख हसीना की ओर से सेना प्रमुख बनाए गए वकार उज जमान को शेख हसीना का रिश्तेदार बताया जा रहा है। जमान के जरिए से शेख हसीना सेना पर पूरा कंट्रोल बनाए रखना चाहती थीं, लेकिन जमान के नीचे के पद पर आसीन सैन्य अधिकारियों में शेख हसीना के प्रति काफी नाराजगी थी।

सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेश सेना में कुल पांच लेफ्टिनेंट जनरल में से चार शेख हसीना सरकार से काफी नाराज चल रहे थे। मेजर जनरल स्तर के अधिकारियों में भी हसीना सरकार के प्रति काफी नाराजगी थी। जानकारों का कहना है कि इन सैन्य अधिकारियों ने शेख हसीना के विश्वस्त सेना प्रमुख वकार उज जमान पर दबाव बनाया। इस कारण जमान भी चाह कर भी शेख हसीना की कोई मदद नहीं कर सके।

शेख हसीना को दी थी कुछ घंटे की मोहलत

सेना की ओर से शेख हसीना को सिर्फ कुछ घंटे की मोहलत दी गई थी ताकि वे सुरक्षित ढंग से देश से बाहर निकल सकें। प्रधानमंत्री पद छोड़ने से पूर्व शेख हसीना राष्ट्र के नाम संदेश भी देना चाहती थीं मगर सेना की ओर से उन्हें राष्ट्र के नाम संदेश देने से भी रोक दिया गया। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के प्रति भी सैन्य अधिकारियों में गहरी नाराजगी थी।

यही कारण था कि शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद जब आर्मी की ओर से राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई गई तो उसमें अवामी लीग के प्रतिनिधियों को नहीं बुलाया गया। दूसरी ओर शेख हसीना सरकार की ओर से प्रतिबंधित किए गए जमाते इस्लामी संगठन के लोगों ने इस बैठक में हिस्सा लिया। जानकारों का कहना है कि आर्मी चीफ के इस कदम से भी सेना का रुख को समझा जा सकता है।

चुनाव के बाद ही बिगड़ गया था समन्वय

बांग्लादेश में हुए पिछले चुनाव के बाद से ही सेना और शेख हसीना सरकार के बीच समन्वय बिगड़ गया था। विपक्षी दलों की ओर से इस चुनाव का बहिष्कार किया गया था और चुनाव में सिर्फ 40 फ़ीसदी मतदान हुआ था। शेख हसीना पर चुनाव में व्यापक रूप से धांधली किए जाने के आरोप भी लगाए गए थे। इसे लेकर सेना में भी शेख हसीना के प्रति गहरी नाराजगी पनप रही थी।

नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के विरोध को कुचलने के लिए सेना की ओर से वैसी तत्परता नहीं दिखाई गई,जैसा कि हसीना सरकार की ओर से उम्मीद की जा रही थी। शनिवार और रविवार को राजधानी ढाका और देश के विभिन्न हिस्सों में छात्रों और विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं के इकट्ठा होने के बाद व्यापक तौर पर हिंसा हुई थी। इसके बाद सेना की ओर से शेख हसीना को स्पष्ट कर दिया गया था कि अब उनके पद छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है।

पाक जैसा रहा है बांग्लादेश का इतिहास

वैसे बांग्लादेश की सेना का भी पाकिस्तान की सेना की तरह तख्तापलट का इतिहास रहा है। बांग्लादेश की सेना भी कुछ वर्षों तक लोकतांत्रिक सरकार चलने देती है और फिर उसे हटाने से पीछे नहीं हटती। हालांकि बांग्लादेश की सेना की यह खासियत जरूर रही है कि यहां कुछ अंतराल के बाद फिर से लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चुने गए प्रतिनिधियों को सत्ता सौंप दी जाती है। 2007 में भी ऐसा हो चुका है।

जानकार सूत्रों का कहना है कि रविवार को देश के हालात बिगड़ने के बाद आर्मी चीफ ने शेख हसीना को स्पष्ट तौर पर बता दिया था कि अब सेना के हाथ में भी कुछ नहीं रह गया है। इसके बाद ही शेख हसीना ने इस्तीफा देने पर विचार शुरू कर दिया और सोमवार को इस्तीफा देकर वे भारत के लिए निकल गईं।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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