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बांग्लादेश में छात्र फिर हुए उग्र, शेख हसीना के माफी न मांगने पर भड़का गुस्सा, कई इलाकों में सरकार विरोधी प्रदर्शन
Bangladesh: बांग्लादेश में हाल में नौकरी में कोटा के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन हुआ था। यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में विरोध प्रदर्शन के बाद देश के कई इलाकों में हिंसा भड़क उठी थी।
Bangladesh: सुप्रीम कोर्ट की ओर से पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बावजूद बांग्लादेश में अभी तक छात्रों का गुस्सा शांत नहीं हो सका है। छात्रों की ओर से मांग की गई है कि देश में अशांति के लिए प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश से माफी मांगनी चाहिए जिसे शेख हसीना ने नजरअंदाज कर दिया है। इसके साथ ही छात्रों ने आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किए गए अपने नेताओं की अविलंब रिहाई की भी मांग की है। बांग्लादेश सरकार की ओर से मांगों की अनदेखी किए जाने के बाद छात्रों का गुस्सा एक बार फिर भड़क गया है। देश के विभिन्न इलाकों में छात्र एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं और उन्होंने सरकार के अड़ियल रवैए के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
शेख हसीना माफी मांगने को तैयार नहीं
बांग्लादेश में हाल में नौकरी में कोटा के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन हुआ था। यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में विरोध प्रदर्शन के बाद देश के कई इलाकों में हिंसा भड़क उठी थी। बाद में यह आंदोलन शेख हसीना सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन में बदल गया था। छात्रों के आंदोलन को दबाने के लिए सरकार ने सेना की मदद ली थी। आंदोलन के दौरान कई सरकारी संस्थानों में तोड़फोड़ की गई और कई हजार लोग घायल हुए।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद छात्रों का तेवर नरम पड़ा था मगर उन्होंने मांग की थी कि देश में शांति के लिए प्रधानमंत्री शेख हसीना को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने इस बाबत अल्टीमेटम भी दिया था जिसे शेख हसीना ने नजरअंदाज कर दिया है। इससे छात्रों का गुस्सा एक बार फिर भड़क गया है और उन्होंने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। छात्रों की यह भी मांग है कि शेख हसीना सरकार के कई मंत्रियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए।
अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं छात्र
इस बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के दौरान मंगलवार को शोक दिवस मनाने का फैसला किया गया है। बैठक के बाद कैबिनेट सचिव महबूब हुसैन लोगों से काले बैज पहनने का अनुरोध किया। उन्होंने देशभर की मस्जिदों, मंदिरों और चर्चा में आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों और घायलों के लिए प्रार्थना करने की भी अपील की है।
उन्होंने कहा के देश के विभिन्न इलाकों में हुई हिंसा के दौरान 150 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही छात्रों के विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए एक बार फिर राजधानी ढाका की सड़कों पर सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों की तैनाती की गई है।
दूसरी ओर छात्र इस मांग पर अड़े हुए हैं कि शेख हसीना को देश से माफी मांगनी चाहिए और आंदोलन के दौरान गिरफ्तार छात्र नेताओं को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। इसके साथ ही छात्रों ने अनिश्चितकाल के लिए बंद किए गए कॉलेजों और यूनिवर्सिटी को भी खोलने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था बड़ा फैसला
बांग्लादेश में छात्रों के उग्र आंदोलन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने गत 21 जुलाई को बड़ा फैसला सुनाया था। शीर्ष अदालत ने सरकारी नौकरियों में 93 फ़ीसदी पद मेरिट के आधार पर भरने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही 1971 के मुक्ति संग्राम के सेनानियों के वंशजों और अन्य श्रेणियां के लिए सात फ़ीसदी पदों को आरक्षित रखने का निर्देश दिया था।
बांग्लादेश में अभी तक 56 फीसदी सरकारी नौकरियां आरक्षित थीं मगर सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले के बाद अब सिर्फ सात फीसदी पद ही आरक्षित रहेंगे। देश में अब इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को फिर बहाल कर दिया गया है मगर छात्रों के उग्र तेवर को देखते हुए सरकार फिर कोई बड़ा फैसला ले सकती है।