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यहां मेकअप करना 'रिवाज' है, यहां से फैला पूरी दुनिया में मेकअप प्रोडक्ट्स का जाल

परफ्यूम से लेकर आई पेंट को रखने के लिए कीमती पत्थर, कांच और सोने का इस्तेमाल कर जार बनाए जाते थे। कोहल और आईशैडो को तैयार करने के लिए सिल्टस्टोन पैलेट को क्रश किया जाता था।आईशैडो को तैयार करने के लिए पशुओं की चर्बी

suman
Published on: 10 Jun 2019 11:49 PM GMT
यहां मेकअप करना रिवाज है, यहां से फैला पूरी दुनिया में मेकअप प्रोडक्ट्स का जाल
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जयपुर: प्राचीन मिस्त्र रहस्य की खान हैं, लेकिन वहां की ब्यूटी ट्रिक्स किसी से नहीं छुपी हैं। लोगों को लगता है कि अरबों डॉलर के उद्योग में विकसित हो चुकी मेकअप इंडस्ट्री आधुनिक जमाने की है, लेकिन ऐसा नहीं है। प्राचीन समय में भी मेकअप प्रोडक्ट्स लोगों की जिंदगी में इतने ही महत्वपूर्ण हुआ करते थे। मिस्र के साम्राज्य के शुरुआती काल में पुरुषों और महिलाओं दोनों मेकअप में आईलाइनर, आईशैडो, लिपस्टिक और रूज लगाया करते थे।

मिस्त्र के लोग मेकअप का इस्तेमाल सिर्फ सुंदरता को बढ़ाने के लिए नहीं करते , बल्कि उनमें ये रिवाज के तौर पर देखा जाता है। इसके अलावा ये लोग अपनी सुंदरता दिनचर्या को बेहद गंभीरता से लेते हैं। सबसे परिष्कृत सौंदर्य अनुष्ठान मिस्त्र की अमीर महिलाओं के शौचालय से ही सामने आए हैं। मध्य साम्राज्य (2030-1650 ई.पू.) के दौरान रहने वाली महिलाएं कोई भी मेकअप लगाने से पहले उसके लिए अपनी स्किन को तैयार किया करती थी। वे त्वचा को एक्सफोलिएट करने के लिए दूध में डेड सी साल्ट मिलाकर स्नान किया करती थी। इसके अलावा चेहरे पर दूध और शहद का मास्क सबसे लोकप्रिय उपचार था।

वे अपने अंडरआर्म्स में डियोड्रेंट की जगह अगरबत्ती का इस्तेमाल किया करती थी। अपनी त्वचा को कोमल बनाए रखने के लिए फूलों और मसालों से निकाले गए तेल को लगाया करती थी। इन्होंने ही शहद और चीनी के मिश्रण से वैक्सिंग करने की तरकीब का आविष्कार किया था। आज जिसे ब्यूटी कंपनी हॉट वैक्स के नाम से बेचा करती हैं।इस सब के बाद मेकअप से जुड़ी सभी सामग्रियों को रखने के लिए जिन जार का इस्तेमाल किया जाता था वो अपने आप में काफी लेविश हुआ करते थे।

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परफ्यूम से लेकर आई पेंट को रखने के लिए कीमती पत्थर, कांच और सोने का इस्तेमाल कर जार बनाए जाते थे। कोहल और आईशैडो को तैयार करने के लिए सिल्टस्टोन पैलेट को क्रश किया जाता था।आईशैडो को तैयार करने के लिए पशुओं की चर्बी या वनस्पति तेलों के साथ मैलाकाइट पाउडर मिलाया जाता था। उस समय रेगिस्तान की तेज धूप से आंखों की रक्षा करने के लिए महिला और पुरुष दोनों कोहल का इस्तेमाल किया करते थे। इसके अलावा इसे बुरी नजर का कवच भी माना जाता है। इसके अलावा आंखो में इस्तेमाल करने वाले कोहल को सीसा आधारित खनिज से बनाया जाता है, जिसमें एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं।

इस सब के बाद मेकअप से जुड़ी सभी सामग्रियों को रखने के लिए जिन जार का इस्तेमाल किया जाता था वो अपने आप में काफी लेविश हुआ करते थे। परफ्यूम से लेकर आई पेंट को रखने के लिए कीमती पत्थर, कांच और सोने का इस्तेमाल कर जार बनाए जाते थे। कोहल और आईशैडो को तैयार करने के लिए सिल्टस्टोन पैलेट को क्रश किया जाता था।मेकअप के आखिर में फाइनल टच के लिए लाल लिपस्टिक का इस्तेमाल किया जाता था, जो आज भी क्लासिक लुक माना जाता है। इसे बनाने के लिए गेरू को पशु वसा या वनस्पति तेल में मिलाया जाता था। हालांकि मिस्त्र की रानी क्लियोपेट्रा परफेक्ट रेड लिपस्टिक शेड के लिए बीटल को कुचला करती थी।

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