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'हलाल' के खिलाफ चीन में अभियान

seema
Published on: 18 Oct 2018 10:26 AM GMT
हलाल के खिलाफ चीन में अभियान
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'हलाल' के खिलाफ चीन में अभियान

बीजिंग। चीन में उईगुर मुसलमानों के इलाके शिनजियांग में कई तरीकों से हलाल चीजों पर रोक लगाया जा रहा है। उरमुकी शहर में कम्युनिस्ट पार्टी के एक नेता ने अधिकारियों से शपथ लेने को कहा है कि वो किसी धर्म को नहीं रहने देंगे सिवाए माक्र्सवादी विचारधारा के। इस इलाके में सरकार का निगरानी तंत्र बहुत मजबूत है और सोशल मीडिया एप 'वी चैट' की एक पोस्ट के मुताबिक इस नेता ने अधिकारियों से यह भी कहा है कि सार्वजनिक रूप से वो सिर्फ मंदारिन (चीनी भाषा) में ही बात करें। लियु मिंग नामक इस नेता ने उरमुकी के अभियोजन विभाग के अधिकारियों से आग्रह किया है कि वो अपने वी चैट अकाउंट पर हलाल के खिलाफ लडऩे का संदेश छापें। वी चैट एक व्हाट्सऐप जैसी मैसेंजर सेवा है जो चीन में बहुत लोकप्रिय है।

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चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने हाल ही में प्रकाशित एक लेख में दूध, टूथपेस्ट और टिश्यू जैसी चीजों में हलाल का लेबल लगाने की आलोचना की थी। अखबार ने विशेषज्ञों के हवाले से लिखा था, 'हलाल के पीछे की प्रवृत्ति ने धर्म और धर्ननिरपेक्ष जीवन के बीच की रेखा धुंधली कर दी है, ऐसे में धार्मिक चरमपंथ के दलदल में गिरना बहुत आसान हो गया है।' उइगुर चीन में रहने वाला एक जातीय अल्पसंख्यक समुदाय है। ये लोग सांस्कृतिक रूप से खुद को चीन के मुकाबले मध्य एशियाई देशों के ज्यादा करीब पाते हैं। मुख्यत: चीन के शिनचियांग प्रांत में रहने वाले उइगुर लोग न तो सार्वजनिक रूप से नमाज पढ़ सकते हैं और न ही धार्मिक कपड़े पहन सकते हैं।

आरोप लगाए जाते हैं कि शिनजियांग प्रांत में चीन की सरकार लोगों की धार्मिक और निजी आजादी पर हमले कर रही है। इस प्रांत में एक करोड़ से ज्यादा तुर्क भाषा बोलने वाले उईगुर मुसलमान रहते हैं। गैर सरकारी संगठनों और मीडिया की खबरों से पता चलता है कि करीब 10 लाख उईगुर मुसलमानों को शिविरों में ले जाकर रखा गया है जहां उन्हें कम्युनिस्ट प्रचार का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को भी छोडऩे के लिए कहा जा रहा है। इसी साल अगस्त में संयुक्त राष्ट्र ने चीन से मांग की कि अगर इन लोगों को कानूनी तौर पर हिरासत में नहीं लिया गया है तो उन्हें मुक्त कर दिया जाए। लेकिन चीन की सरकार ऐसे शिविर होने की बात से इनकार करती है और उसका कहना है कि उसके उठाए कदमों का मकसद 'चरमपंथ' को हतोत्साहित कर 'सामाजिक स्थिरता' सुनिश्चित करना है। सरकार का यह भी कहना है कि जिन शिविरों की बात की जा रही है वो वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए शुरू किए गए हैं।

इस बीच चीन सरकार के इन विवादित शिविरों में नए नियम लागू किए जा रहे हैं। स्थानीय सरकार ने इन नियमों को मंजूरी दी जिसके मुताबिक इन शिविरों में मंदारिन भाषा, कानून और वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे पहले मार्च 2017 में नए नियम लागू किए गए थे जिनमें लंबी दाढ़ी रखने और पर्दा करने पर रोक लगाई गई थी।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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