TRENDING TAGS :
Israel-Palestine War: इजरायल-फिलिस्तीन की जंग, जानिए कौन है फायदे में
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच छिड़ी जंग से दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों को जीवनदान मिल रहा है।
नई दिल्ली: इजरायल और फिलिस्तीन के बीच छिड़ी जंग (Israel Palestine War) की ओर सबका ध्यान है। निश्चित रूप से इस युद्ध में बेगुनाह नागरिक मारे जा रहे हैं। भीषण लड़ाई छिड़ी है। लेकिन इस युद्ध से असली फायदा किसे हो रहा है इजरायल को या फिलस्तीन को। अगर विश्लेषण किया जाए तो इस युद्ध से दोनो देशों के राष्ट्राध्यक्षों को जीवनदान मिल रहा है भले ही फिलहाल इसे अल्पकालिक जीवनदान कहा जाए।
इजरायल में चुनाव के एक महीने के बाद भी प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (PM Benjamin Netanyahu) नई सरकार के गठन में सफल नहीं हो पा रहे थे। सबसे लंबे समय तक इजरायल के प्रधानमंत्री रहने वाले नेतन्याहू ने खुद के असमर्थ रहने की घोषणा भी कर दी थी। उन्होंने राष्ट्रपति रेवेन रिवलिन को सूचित भी कर दिया था सितंबर में हुए चुनावों के बाद वे नई सरकार बनाने में असमर्थ रहे हैं। लेकिन इसी बीच पिछले महीने नेतान्याहू का राष्ट्रवाद वाला करेक्टर एक बार फिर उभर कर सामने आ गया जिसके तहत उन्होंने इजरायल की जमीन से अनधिकृत कब्जा हटाने की मुहिम छेड़ दी जिसकी परिणति वर्तमान जंग के रूप में आई।
फिलिस्तीन में महमूद अब्बास को फायदा
कुछ ऐसी ही स्थिति फिलिस्तीन के साथ है। वहां भी चुनाव होने थे फिलिस्तीनियों को इस महीने 15 से अधिक वर्षों के अंतराल के बाद अपने पहले चुनाव का इंतजार था, लेकिन उन्हें राष्ट्रपति महमूद अब्बास (President Mahmoud Abbas) ने स्थगित कर दिया, जिनकी फतह पार्टी वेस्ट बैंक के अधिकांश हिस्से को नियंत्रित करती है। उन्होंने पूर्वी यरुशलम में मतदान की अनुमति देने से इनकार करने के लिए इज़राइल को दोषी ठहराया, लेकिन कई फ़िलिस्तीनी मतदाताओं ने इसे चुनावों से बचने का बहाना बताया, जहां से अब्बास की पराजय साफ दिखायी दे रही थी।
71 वर्षीय नेतन्याहू ने तो अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में भी कह दिया था, 'कुछ समय पहले मैंने राष्ट्रपति को सूचित किया था कि मैं सरकार बनाने की कोशिश से पीछे हट रहा हूं।' इसके बाद यह माना जा रहा था कि नेतान्याहू ने अपने प्रतिद्वंद्वी, पूर्व सेना प्रमुख और ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के नेता बेनी गैंट्ज के लिए सत्ता हासिल करने का संभावित रास्ता खोल दिया है। लेकिन युद्ध के हालात ने इन सबको पीछे ढकेल दिया है।
इजरायल के राष्ट्रपति रेव्यून रिवलिन ने भी कहा था कि वह गैंट्ज को अधिकांश सांसदों को इकट्ठा करने का मौका देंगे। राष्ट्रपति के इस फैसले के बाद सबको इंतजार था कि इजरायल में एक दशक से अधिक समय के बाद सरकार बनाने के लिए नेतन्याहू के अलावा कोई व्यक्ति दावा पेश करेगा। लेकिन वर्तमान हालात में न तो फिलिस्तीन में चुनाव हो पाएंगे और न ही नेतान्याहू के हाथ से सत्ता फिसल पाएगी।