×

इजरायल में उलट-पलट की संभावनाएँ जोरों पर, अब फिलिस्तीन में धमा-चौकड़ी

इजरायल के प्रधानमंत्री रहे बेंजामिन नेतन्याहू के बारे में खबर मिली है कि अब बेंजामिन नेतन्याहू के दौर का अंत होता दिखाई दे रहा है।

Network
Newstrack NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 4 Jun 2021 7:36 PM IST
There is a stir in Palestine over the arrival of Naftali Bennett in Israel
X

इजरायल बेंजामिन नेतन्याहू (फोटो-सोशल मीडिया)

यरुशलम: बहुत लंबे समय से इजरायल के प्रधानमंत्री रहे बेंजामिन नेतन्याहू के बारे में खबर मिली है कि अब बेंजामिन नेतन्याहू के दौर का अंत होता दिखाई दे रहा है। ऐसे में बेंजामिन नेतन्याहू के बहुमत न साबित करने पाने पर यामिना पार्टी के नेफ्टाली बेनेट ने इजरायल में सरकार के गठन का दावा किया है। साथ ही नेफ्टाली बेनेट फिलिस्तीन को लेकर नेतन्याहू से भी काफी ज्यादा आक्रामक हैं। तो अब उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं को लेकर फिलिस्तीन में भी हलचल है।

ऐसे में बेंजामिन नेतन्याहू के पूर्व सहयोगी और वेस्ट बैंक के प्रमुख नेता नेफ्टाली बेनेट इजरायल में नई गठबंधन सरकार के मुखिया होंगे। यामिना पार्टी के नेफ्टाली ने मध्यमार्गी येर लेपिड के साथ जाने का फैसला किया। लेकिन विचारधारा के स्तर पर दोनों पक्षों की सोच अलग है। वहीं दोनों नेताओं के बीच बुधवार रात गठबंधन सरकार को लेकर आखिरी निर्णय लिया गया।

विस्तारवाद की शत्रुतापूर्ण नीतियां

इस पर फिलिस्तीनियों का कहना है कि इजरायल की सत्ता में कोई भी आए, उनका फिलिस्तीनियों के अधिकारों को लेकर रुख एक सा रहता है। साथ ही कब्जे वाले वेस्ट बैंक और गाजा में कई फिलिस्तीनियों ने इजरायल सरकार में बदलाव को खारिज कर दिया है।

फिलिस्तीनियों का कहना है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के हटने के बाद राष्ट्रवादी नेता उसी दक्षिणपंथी एजेंडे पर काम करेंगे, जो उनके पूर्ववर्ती नेता करते रहे हैं। सूत्रों से सामने आई खबर के अनुसार, फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) के प्रतिनिधि बासेम अल-सल्ही ने कहा कि नेफ्टाली बेनेट बेंजामिन नेतन्याहू से अलग नहीं हैं। इस पर उन्होंने कहा, 'वह (नेफ्टाली बेनेट) यह साबित करना चाहेंगे कि वो फिलिस्तीन को लेकर कितने आक्रामक हैं।'

बता दें, नेफ्टाली बेनेट वेस्ट बैंक के उन हिस्सों पर कब्जा करने के प्रबल समर्थक रहे हैं, जिस पर इज़रायल ने सन् 1967 के युद्ध में कब्जा कर लिया था। लेकिन जल्दी के दिनों में नेफ्टाली बेनेट ने यथास्थिति को जारी रखने का प्रस्ताव रखा था, जिसमें फिलिस्तीनियों के लिए शर्तों में कुछ ढील देने की वकालत की गई है।

वहीं नेफ्टाली बेनेट का कहना था, 'इस संदर्भ में मेरी सोच संघर्ष को कम करने की है। हम इसका समाधान नहीं कर पाएंगे। लेकिन जहां भी हम (स्थितियों में सुधार) कर सकते हैं - मतभेद वाले बिन्दुओं, जीवन की गुणवत्ता, अधिक व्यवसाय, अधिक उद्योग-हम ऐसा करेंगे।'

दूसरी तरफ गाजा पट्टी पर शासन करने वाले हमास का कहना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इजरायल में कौन सत्ता में है। इस पर हमास के प्रवक्ता हजम कासिम ने कहा, 'पूरे इतिहास के दौरान फिलिस्तीनियों ने दर्जनों इजरायली सरकारों को देखा है, भले ही वे दक्षिणपंथी हों, वामपंथी हों, मध्यमार्गी हों या चाहें आप उन्हें जो कह लें। लेकिन जब हमारे फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की बात आती है तो वे सभी दुर्भावनापूर्ण रवैया दिखाते हैं और उन सभी की विस्तारवाद की शत्रुतापूर्ण नीतियां रही हैं।'

इसी कड़ी में पूर्वी यरुशलम के कब्जे वाले इलाके में रहने वाले फिलिस्तीनी राष्ट्रवादी बालाद पार्टी के नेता सामी अबू शेहादेह ने बताया कि यह मुद्दा नेतन्याहू के "व्यक्तित्व" का नहीं है, बल्कि उन नीतियों का है जो इज़रायल अपनाता है।

वहीं सामी अबू शेहादेह ने कहा, 'सत्ता में कौन आता है, कौन जाता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। हमें फिलिस्तीन को लेकर इजरायल की नीतियों में गंभीर बदलाव की जरूरत है। नेतन्याहू के आने से पहले हालात बहुत खराब थे। लेकिन इजरायल अपनी अड़ियल नीतियों पर जोर देता रहेगा तो ये स्थिति आगे और खराब होती जाएगी। इसलिए हम इस सरकार (नए गठबंधन) का विरोध करते हैं।'

गठबंधन काफी पेचिदा

इस बारे में पीएलओ की कार्यकारी समिति की पूर्व सदस्य हनान अशरावी ने कहा कि नेतन्याहू के इतने वर्षों के शासन में "नस्लवाद, अतिवाद, हिंसा और अराजकता की अंतर्निहित व्यवस्था" कायम थी।

उन्होंने ट्वीट किया कि 'नेतन्याहू के पूर्व सहयोगी (नेफ्टाली बेनेट) पुरानी स्थिति को ही आगे बढ़ाएंगे।' नेतन्याहू युग के अंत के बावजूद अब भी नस्लवाद, उग्रवाद, हिंसा, अराजकता, विस्तारवाद और विलय की अंतर्निहित प्रणालियां कायम हैं। उनके पूर्व साथी उनकी विरासत को बनाए रखेंगे. इस विरासत को चुनौती देने और बदलने की कवायद प्रगतिशील ताकतों पर निर्भर करती है।

ऐसे में नई गठबंधन सरकार की शर्तों के मुताबिक, नेफ्टाली बेनेट सितंबर 2023 तक प्रधानमंत्री रहेंगे। उसके बाद लेपिड प्रधानमंत्री बनेंगे और नवंबर 2025 तक रहेंगे। यह समझौता रा'म (Ra'am) पार्टी के नेता मंसूर अब्बास के साथ आने से हुआ। यह पहली बार होने जा रहा है जब इस्लामिक पार्टी सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा बनने जा रही है।

वहीं मंसूर अब्बास ने बेनेट के साथ मतभेदों को दरकिनार करते हुए कहा है कि वह भेदभाव और सरकारी उपेक्षा की शिकायत करने वाले फिलीस्तीनी नागरिकों के लिए स्थितियों में सुधार की उम्मीद करते हैं। पर मंसूर अब्बास के फैसले की वेस्ट बैंक और गाजा में आलोचना हो रही है। फिलहाल मामला काफी ज्यादा पेचिदा होता जा रहा है।




Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story