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Bharat Me Bhukhmari: भारत की हालत चिंताजनक, देश में हर रोज 20 करोड़ लोग सोते हैं भूखे

bharat me bhukhmari ke aankade: आज दुनिया भर के 150 देशों में विश्व खाद्य दिवस मनाया जा रहा है।

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Written By amanPublished By Shraddha
Published on: 16 Oct 2021 3:04 PM IST (Updated on: 16 Oct 2021 3:23 PM IST)
भारत में भुखमरी का शिकार लोग
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 भारत में भुखमरी का शिकार लोग (डिजाइन फोटो - न्यूजट्रैक)

Bharat Me Bhukhmari: हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस (World Food Day 2021) मनाया जाता है। यह दुनिया भर के 150 देशों में मनाया जाता है। इसे पहली बार साल 1981 में मनाया गया था। इस दिन को मनाने का खास उद्देश्य भुखमरी से पीड़ित लोगों की मदद करना तथा खाद्य (अन्न) के महत्व के प्रति जागरूक करना है। ज्ञात हो कि दुनियाभर में कृषि और खाद्य पदार्थों (Agriculture and Food) से जुड़े क्षेत्रों में करीब 100 करोड़ लोग काम करते हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्र हैं ,जहां सबसे अधिक लोगों के पास नौकरी है।

बता दें कि विश्व खाद्य दिवस (World Food Day Kab Hai ) पर इस वर्ष की थीम 'Our actions are our future- Better production, better nutrition, a better environment and a better life है। इसका मतलब है, 'हमारा कार्य ही हमारा भविष्य है- बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर पर्यावरण और बेहतरीन जीवन है। विश्व के उन 150 देशों में भारत भी है, जो आज इस दिवस को मना रहे हैं।


विश्व खाद्य दिवस (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)


विश्व खाद्य दिवस का इतिहास (World Food Day History)

अब आपके मन में एक सहज सवाल उठना लाजमी है कि आखिर इसका इतिहास क्या है? इसे मनाने की जरूरत क्यों पड़ी आदि? यह संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन यानि एफएओ की एक पहल है। यह वैश्विक आयोजन 'भूख के मुद्दे से निपटने' और 'सभी के लिए स्वस्थ आहार' सुनिश्चित करने के लिए दुनिया भर में जागरूकता और सामूहिक प्रयास के आह्वान का प्रतीक दिन है।

इतिहासकारों की मानें, तो 16 अक्टूबर, 1945 में 'खाद्य एवं कृषि संगठन' यानि एफएओ की स्थापना की गई थी। यह संगठन कृषि और खाद्य सुरक्षा के लिए काम करता है। साथ ही, संगठन का मुख्य काम कुपोषण पर नियंत्रण पाना है। वर्ष 1979 में खाद्य एवं कृषि संगठन ने पूरी दुनिया में भुखमरी और कुपोषण से पीड़ितों के प्रति चिंता जताई। इसी के बाद विश्व खाद्य दिवस मनाने की घोषणा हुई। साल 1981 से खाद्य एवं कृषि संगठन की स्थापना दिवस पर 'विश्व खाद्य दिवस' मनाने की शुरुआत हुई।

गरीब देशों में प्रतिदिन समुचित आहार मिलना मुश्किल (bharat me bhukhmari ke aankade)

गरीब देशों में प्रतिदिन पूरा आहार मिलना मुश्किल है (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

मौजूदा दौर में विश्व के कई देशों की अधिकांश जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रही है। क्या आप जानते हैं, इन देशों में रहने वाले लोगों को रोजाना संतुलित आहार तक मिलना मुश्किल है। विशेषज्ञ बताते हैं कि संतुलित आहार न मिलने के कारण वहां के अधिकतर लोग कुपोषित हो जाते हैं। इसके अलावा उन्हें कई अन्य बीमारियां भी अपनी चपेट में ले लेती हैं। जिससे असमय बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है। जब दुनिया का एक बड़ा हिस्सा इस तरह गरीबी और भुखमरी में जीवन जीने को मजबूर है तब 'विश्व खाद्य दिवस' की उपयोगिता समझ आती है।

विश्व खाद्य दिवस दुनिया के लोगों को बताता है, "हर सबल और सक्षम व्यक्ति को चाहिए कि वो अपने आसपास गरीबी रेखा से जीवन जी रहे उन लोगों की जरूर मदद करें, जिन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती है।"

वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत (bharat me bhukhmari ke aankade)

मौजूदा समय में भारत वैश्विक भुखमरी सूचकांक के कुल 116 देशों की लिस्ट में 91वें स्थान से गिरकर 101वें नंबर पर जा पहुंचा है। फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रतिदिन दुनियाभर में 69 करोड़ से अधिक लोग भूखे पेट सोते हैं। भारत में खाने के अभाव में हर दिन भूखे पेट सोने वाले लोगों की संख्या करीब 20 करोड़ से अधिक है। गौर करने की बात है कि भारत में यह स्थिति तब है जब देश में हर साल पैदा होने वाला 40 प्रतिशत खाद्य पदार्थ बेहतर रखरखाव या आपूर्ति की व्यवस्था सही न होने के कारण खराब हो जाता है।

भुखमरी पर क्या कहता है एफएओ? (bhukhmari per kya hota hai fao)

दिनों दिन दुनिया भर में बढ़ती भुखमरी और अन्न संकट पर एफएओ का कहना है, "पूरे विश्व में 14 फीसदी खाद्य पदार्थ इसलिए खराब हो जाता है, क्योंकि उसे काटने, रखने और आपूर्ति करने की समुचित व्यवस्था नहीं है। इसी तरह 17 प्रतिशत खाद्य पदार्थ उपभोक्ता स्तर पर खराब होता है।"। यहां संगठन का कहना है कि अगर इस नुकसान पर विराम लगा दिया जाए तो दुनिया की एक बड़ी आबादी, जो रोज भूखे सोने को मजबूर है, का पेट भरा जा सकता है।

चीन में सबसे ज्यादा खाने की बर्बादी, भारत भी पीछे नहीं

दुनिया भर में व्याप्त इस खाद्य संकट से भारत भी अछूता नहीं है। हमारे देश में एक तरफ जहां करोड़ों लोग भूखे सोते हैं, एक बड़ी आबादी को समुचित आहार तक नहीं मिलता वहीं, देश में प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति 50 किलो खाना बर्बाद होता है। भारत में कुल खाने की बर्बादी का आंकलन किया गया, तो पता चला कि हर साल 68,760,163 टन खाना बर्बाद होता है। वहीं, अगर बात अमेरिका की करें तो वहां हर साल प्रति व्यक्ति 59 किलो खाना बर्बाद होता है। एक साल में पूरे खाने की बर्बादी का आंकड़ा 19,359,951 टन है। जबकि, चीन में प्रति व्यक्ति खाने के बर्बादी की दर 64 किलो के करीब है। दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन में प्रति वर्ष 91,646,213 टन खाना बर्बाद होता है।

देश में एक तरफ करोड़ों लोग भूखे सोते हैं (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

क्या कहते हैं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव?

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस कहते हैं, "वर्ल्ड फूड डे सिर्फ खाने का महत्व याद दिलाने का दिन नहीं है। पौष्टिक खाना ही स्वस्थ और खुशहाल दुनिया की नींव है। दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा पर काम करने की जरूरत है। कोविड-19 महामारी के बीच दुनियाभर में 14 करोड़ से अधिक लोग खाने से दूर हैं। ये हालत तब है, जब दुनिया भर में बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थों की बर्बादी हो रही है।अगर उत्पादन कम होने लगे, तो भुखमरी दुनिया के लिए बड़ी और नई चुनौती बनेगी।"



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