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Bharat vs Taliban: मास्को में आमने-सामने भारत और तालिबान

Bharat vs Taliban: अफगानिस्तान के मामले को लेकर आज फिर मास्को फॉर्मेट की बैठक होने वाली है, जिसमें भारत भी शामिल हो रहा है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalNewstrack Chitra Singh
Published on: 20 Oct 2021 6:56 AM GMT
Moscow Format
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तालिबान- नरेंद्र मोदी (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Bharat vs Taliban: अफगानिस्तान के मामले में रूस फिर से सक्रिय हो रहा है। तालिबान और रूस के बीच की शुरुआती दुश्मनी के बाद दोस्ती हुई है। अब मौजूदा समय में रूस अपनी भूमिका को अगले लेवल पर ले जाने की कोशिश में है। इसी क्रम में रूस ने अफगानिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की बातचीत का दौर शुरू किया है। दरअसल, अफगानिस्तान के मुद्दे पर मॉस्को फॉर्मेट (Moscow Format) की शुरुआत 2017 में हुई थी जिसमें छह देशों - रूस, अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तान, ईरान और भारत को शामिल किया गया था। अब मास्को फॉर्मेट की बैठक आज फिर होने वाली है जिसमें भारत भी शामिल हो रहा है।

यह बैठक रूस ने आयोजित की है। इसमें भारत को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। भारत की ओर से विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव पद के दो अधिकारियों के इस बैठक में शामिल होने की संभावना है। इस बैठक में तालिबान भी हिस्सा लेगा। ऐसे में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत और तालिबान के प्रतिनिधि दूसरी बार आमने-सामने होंगे। इस बैठक में अमेरिका को भी आमंत्रित किया गया था । लेकिन उसने शामिल होने से इनकार कर दिया है।

मास्को फॉर्मेट वार्ता (Moscow Format Varta)

रूस द्वारा बुलाई गई इस बैठक में 10 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे । जिनमें रूस के अलावा अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तान, ईरान और भारत शामिल हैं। अफगानिस्तान के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 2017 में मॉस्को फॉर्मेट की शुरुआत की गई थी। 2018 में हुई इस बैठक में भारत की ओर से पूर्व राजनयिक शामिल हुए थे। लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनने के बाद पहली बार भारत इसमें हिस्सा ले रहा है।

रूस का झंडा (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

मास्को फॉर्मेट बैठक में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े के बाद वहां के सैन्य और राजनीतिक हालातों पर चर्चा की जाएगी। बैठक में अफगानिस्तान में समावेशी सरकार को लेकर भी विस्तृत चर्चा की जाएगी। साथ ही अफगानिस्तान में मानवीय संकट से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की कोशिशों पर भी विशेष जोर दिया जाएगा।

तीसरी मास्को फॉर्मेट वार्ता में तालिबानी प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता अंतरिम अफगान सरकार के उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनाफी करेंगे। अफगानिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल काहर बाल्खी ने इसकी जानकारी दी है। बाल्खी के अनुसार, तालिबान के प्रतिनिधि मास्को दौरे में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के साथ साझा हितों के मुद्दों पर बातचीत करेंगे। इसमें सभी देशों से तालिबान का मान्यता देने पर जोर दिया जाएगा।

अमेरिका नदारद

मास्को फॉर्मेट वार्ता में अमेरिका शामिल नहीं हो रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि हम आगे भी उस फोरम में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं। लेकिन हम इस सप्ताह हिस्सा लेने की स्थिति में नहीं हैं।

दरअसल, अमेरिका और रूस के आपसी रिश्ते इस वक़्त अपने निम्नतम स्तर पर हैं। वैसे जानकारों का कहना है कि अमेरिका के इस बैठक में शामिल न होने की कई वजहें हो सकती हैं। चंद दिन पहले अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका के विशेष दूत ज़ालमय ख़लीलज़ाद ने इस्तीफ़ा दे दिया। ज़ालमय ख़लीलज़ाद ने तालिबान के साथ अमेरिकी वार्ता का नेतृत्व किया था। लेकिन महीनों तक चली कूटनीतिक वार्ता भी तालिबान को क़ब्ज़े से रोकने में विफल रही। इस वजह से सरकार को काफी आलोचना झेलनी पड़ी है।

अमेरिका-रूस (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

इतना ही नहीं, अमेरिकी सेना की वापसी के तरीकों और प्रक्रिया पर कांग्रेस की तरफ़ से एक इन्क्वायरी भी चल रही है। हाल ही में तालिबान के साथ अमेरिकी सरकार के प्रतिनिधि की दोहा में द्विपक्षीय वार्ता भी हुई है। ऐसे में इस बहुपक्षीय बातचीत से अमेरिका को बहुत ज़्यादा हासिल होने की उम्मीद नहीं होगी। ये तमाम वजहें अमेरिका की गैरमौजूदगी की वजहें हो सकती हैं।

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत और तालिबान के प्रतिनिधियों ने गत 31 अगस्त को पहली बार कतर में वार्ता की थी। उस दौरान तालिबान के नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने भारत के राजदूत दीपक मित्तल से मुलाकात की थी। उस दौरान भारत ने अफगानिस्तान में फंसे भारतीय की सकुशल वापसी और तालिबान की जमीन का भारत विरोधी और आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं होने देने पर जोर दिया था।

Chitra Singh

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