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Blast At Abu Dhabi Airport: अबु धाबी पर हूती विद्रोहियों का ड्रोन हमला, मिसाइल हमले का क्या होगा असर
Blast At Abu Dhabi Airport: इस हमले का अहम कारण संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के सैनिकों का यमन में चल रहे खूनी संघर्ष में शामिल होना माना जा रहा है। जो कि लंबे समय तक संयुक्त अरब अमीरात की सेना ने यमन (Yemen) में जंग जारी रखी और उसी के परिणामस्वरूप जन्मे विद्रोहियों ने संयुक्त अरब अमीरात को अपना निशाना बनाया है।
Blast At Abu Dhabi Airport: बीते ठीक एक सप्ताह पहले यानी सोमवार को हूती विद्रोहियों के एक समूह ने अबु धाबी के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (Abu Dhabi International Airport) के निकट स्थित तेल के टैंकरों में ड्रोन की मदद से मिसाइल हमला (Drone Attack) कर दिया था। इस हमले के चलते तेल के टैंकरों में विस्फोट (Explosion In Oil Tankers) हो गया था, जिसमें दो भारतीयों समेत करीब कई अन्य लोगों की मौत की सूचना सामने आई थी।
इस हमले का अहम कारण संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के सैनिकों का यमन में चल रहे खूनी संघर्ष में शामिल होना माना जा रहा है। जो कि लंबे समय तक संयुक्त अरब अमीरात की सेना ने यमन (Yemen) में जंग जारी रखी और उसी के परिणामस्वरूप जन्मे विद्रोहियों ने संयुक्त अरब अमीरात को अपना निशाना बनाया है। जैसा कि इसी के अनुरूप बीते समय में संयुक्त अरब अमीरात वायु सेना ने बीते समय में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमले किये हैं, जिसे अब मौका मिलते ही हूती विद्रोहियों ने बदला लेने की कोशिश की है।
अबू धाबी पर हुए इस हमले का असर
हाल ही में हुए इस हमले के चलते यमन, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात की नीतियों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसी के विपरीत अब यूएई भी चुपचाप बैठने वाला नहीं है, उसने यूएई इस हमले के खिलाफ कार्यवाही को लेकर आश्वस्त करते हुए कहा है कि 2018 के बाद से उनकी धरती पर हुए एक बड़े हूती हमले (Houthi Attacks) के खिलाफ वह आवश्यक रूप से जवाबी कार्रवाई करेगा। इस मंशा के आधार पर यह तो साफ है कि आने वाले समय में रिश्ते सुधरने के आसार बहुत ही कम हैं।
संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ हौथिस का दुर्लभ हमला अमीराती सरकार के लिए एक कड़ी चेतावनी साबित हो सकता है। हालांकि ऐसा माना जा रहा है इन चीजों पर विराम के विषय में भी सोचा जा सकता है तथा दोनों देशों और खासकर यूएई को इस मामले में पुनर्विचार करना चाहिए। हालांकि इसके अतिरिक्त हूती समूह को भी यूएई के खिलाफ अपनी जारी लड़ाई पर विराम लगाने की आवश्यकता है। इन सबके अतिरिक्त यह भी सत्य है कि हूती समूह को यूएई पर हमला करने के लिए कहीं ना कहीं उनके ऊपर यूएई सेना द्वारा हुए हमले प्रोत्साहन का कारण हो सकते हैं।
हमले में हो सकता है ईरान का हाथ
इस मामले में दुनियाभर के कुछ सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि अबू धाबी के खिलाफ हमला वास्तव में ईरान द्वारा शुरू किया गया हो सकता है, जबकि हूती समूह ने इसकी पूर्ण जिम्मेदारी ली है। विश्लेषकों ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि उन्हें ऐसा नहीं लगता कि बिना किसी की मदद लिए हूती ऐसा हमला करने की सोच सकते हैं, इसलिए उन्हें लग रहा है कि इस हमले के पीछे ईरान का हाथ शामिल है। साथ ही विश्लेषकों ने यह भी कहा कि बगैर ईरान की मदद से हूती समूह 1200 किमी की दूरी से यूएई पर इतना सटीक निशाना लगाकर हमला नहीं कर सकता है।
पिछले साल अमेरिकी विदेश विभाग ने हूती समूह को विदेशी आतंकवादी समूहों की सूची में शामिल करने हेतु पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लिए गए निर्णय को उलट दिया है। इन निर्णय को उलटने का कारण है कि यदि हूती को आतंकवादी समूह की सूची में रख फ़िया जाता तो यमन को बेहद जरूरी मानवीय सहायता की आपूर्ति मिलना बंद हो सकती थी।
दुविधा में यूएई
अबू धाबी पर हुए हमले ने संयुक्त अरब अमीरात को दुविधा में खड़ा कर दिया है। दुविधा इस बात की है कि क्या हूती समूह द्वारा अबु धाबी पर किए गए हमले का बलपूर्वक जवाब देना चाहिए अथवा नहीं। दोनों विकल्प मौजूद हैं लेकिन यदि संयुक्त अरब अमीरात हमले और युद्ध का विकल्प चुनता है तो उसे भविष्य में मिसाइल और ड्रोन हमलों को रोकने के लिए अपनी वायु रक्षा को बढ़ावा देने के लिए अरबों डॉलर खर्च करने होंगे तथा वापस से ऐसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं जिससे संभवतः एक बार फिर यूएई को यमन में सेना भेजने की आवश्यकता होगी।
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