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थेरेसा मे बनीं रहेंगी ब्रिटेन की प्रधानमंत्री, सरकार के खिलाफ गिरा अविश्वास प्रस्ताव

ब्रेक्जिट पर संसद में करारी हार मिलने के बाद मुश्किलों में घिरीं ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे के लिए राहत की खबर है। प्रधानमंत्री थेरेसा मे के खिलाफ बुधवार को विपक्ष द्वारा संसद में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। मिली जानकारी के मुताबिक विपक्षी लेबर पार्टी के अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 306 वोट पड़े हैं, जबकि विरोध में 325 सांसदों ने वोट किए।

Dharmendra kumar
Published on: 17 Jan 2019 10:25 AM IST
थेरेसा मे बनीं रहेंगी ब्रिटेन की प्रधानमंत्री, सरकार के खिलाफ गिरा अविश्वास प्रस्ताव
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नई दिल्ली: ब्रेक्जिट पर संसद में करारी हार मिलने के बाद मुश्किलों में घिरीं ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे के लिए राहत की खबर है। प्रधानमंत्री थेरेसा मे के खिलाफ बुधवार को विपक्ष द्वारा संसद में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। मिली जानकारी के मुताबिक विपक्षी लेबर पार्टी के अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 306 वोट पड़े हैं, जबकि विरोध में 325 सांसदों ने वोट किए। थेरेसा मे सरकार पर छाए संकट के बादल छंट गए और उनकी सरकार गिरने का खतरा फिलहाल टल गया। हालांकि, यूरोपीय संघ से ब्रिटेन को बाहर रखने के उनके प्रस्ताव पर आगे क्या होगा, यह स्थिति अभी साफ नहीं है।

ब्रेक्जिट समझौते पर संसद में हुई थी हार

प्रधानमंत्री थेरेसा मे की इससे एक दिन पहले यूरोपीय संघ के साथ ब्रेक्जिट समझौते को लेकर संसद में उनकी ऐतिहासिक हार हुई थी। यूरोपीय यूनियन(ईयू) से ब्रिटेन को अलग करने वाले प्रधानमंत्री थेरेसा मे के प्रस्ताव पर मंगलवार को संसद वोटिंग हुई थी। ब्रिटिश संसद यानी हाउस ऑफ कॉमन्स में थेरेसा मे के समझौते के पक्ष में 202 वोट और विरोध में 432 वोट पड़े थे। यहां तक कि उनकी अपनी कंजर्वेटिव पार्टी के 118 सांसदों ने भी उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

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थेरेसा मे की हार के कुछ ही मिनटों बाद विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन ने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी मे की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। कोर्बिन ने मे की इस हार को विनाशकारी करार देते हुए कहा था कि अधकचरे और नुकसान पहुंचाने वाला करार ब्रिटेन के लिए अंधेरे में अंधी छलांग लगाना होगा।

ईयू से अलग होने में सिर्फ दो महीने बचे

बता दें कि ब्रिटेन 1973 में 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ का सदस्य बना था। उसे 29 मार्च को ईयू से अलग होना है। ईयू से अलग होने की तारीख आने में केवल दो महीने बचे हैं, लेकिन ब्रिटेन अभी तक यह निर्णय नहीं ले पाया है कि उसे क्या करना है।

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मे ने हाउस ऑफ कामन्स में हार के बाद कहा था कि सांसदों ने यह बता दिया है कि वे खिलाफ हैं, लेकिन यह नहीं बताया है कि वे किसका समर्थन करते हैं। ब्रिटेन की संसदीय प्रक्रिया के अनुसार जब सांसद कोई विधेयक खारिज कर देते हैं, तो प्रधानमंत्री के पास दूसरी योजना के साथ संसद में आने के लिए तीन कामकाजी दिन होते हैं।

ब्रिटेन बिना किसी समझौते के यूरोपीय संघ से हो जाएगा अलग

ब्रिटेन की सरकार के पास ब्रेक्जिट को लेकर 29 मार्च, 2019 तक की समयसीमा है। अगर इस दौरान सरकार ब्रेक्जिट डील को संसद में पास कराने में नाकाम रहती है तो ब्रिटेन बिना किसी समझौते के यूरोपीय संघ से अलग हो जाएगा। इससे यूरोपीय संघ के देशों से उसका व्यापार खत्म हो जाएगा। इससे ब्रिटेन में सामानों की आपूर्ति पर भारी असर पड़ेगा, जिससे मंहगाई बढ़ जाएगी और अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचेगा।

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ब्रिटेन दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसमें अगर कोई बड़ा भूचाल उसकी अर्थव्यवस्था में आता है तो उसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। खासकर भारत पर क्योंकि ब्रिटेन और भारत के बीच व्यापार और निवेश बड़ी मात्रा में है।



Dharmendra kumar

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