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इसराइल यात्रा को लेकर पैदा हुए विवाद में गयी प्रीति पटेल की कुर्सी

raghvendra
Published on: 17 Nov 2017 10:40 AM GMT
इसराइल यात्रा को लेकर पैदा हुए विवाद में गयी प्रीति पटेल की कुर्सी
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लंदन: ब्रिटेन की भारतीय मूल की मंत्री प्रीति पटेल को अपनी इसराइल यात्रा को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद आखिरकार इस्तीफा देना पड़ा। वे हाल ही में इजराइल के अनाधिकारिक दौरे पर गयी थीं और इसे लेकर ब्रिटेन में बड़ा विवाद खड़ा हो गया। प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने अफ्रीका की यात्रा पर गयी पटेल को अचानक लंदन वापस बुला लिया। प्रधानमंत्री कार्यालय ने उनसे इजराइली प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू समेत कई अधिकारियों से अनाधिकारिक मुलाकातों पर उठे सवालों के जवाब मांगे जिसके बाद पटेल ने इस्तीफा दे दिया।

इजराइल में की थीं गुप्त मुलाकातें

प्रीति पटेल इस साल अगस्त में इजराइल के दौरे पर गयी थीं। कहने को तो वे निजी पारिवारिक छुट्टियां मनाने के लिए इजराइल गयी थीं मगर इस यात्रा के दौरान उन्होंने नेतन्याहू समेत कई अफसरों से मुलाकात की थी। पटेल ने इस बाबत ब्रिटेन की सरकार या इजराइल में ब्रिटिश दूतावास को कोई जानकारी नहीं दी। इस यात्रा के दौरान पटेल ने व्यापार जगत के लोगों से गुप्त मुलाकातें भी की थीं। उन्होंने इसराइल की एक मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता से भेंट करने के अलावा कई संस्थानों के दौरे भी किए।

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असामान्य था पटेल का कदम

पटेल का यह कदम आसामान्य माना जा रहा था क्योंकि मंत्रियों को विदेशों में अपनी गतिविधियों के बारे में सरकार को जानकारी देनी होती है। इस यात्रा के बाद प्रीति ने सुझाव दिया था कि ब्रिटेन के आॢथक मदद के बजट का कुछ हिस्सा इसराइली सेना के लिए भी जाना चाहिए। उनके इस प्रस्ताव को कई अफसरों ने अनुचित करार दिया था क्योंकि कई अन्य देशों की तरह ब्रिटेन ने कभी भी सीरिया के गोलन हाइट्स इलाके पर इसराइल के नियंत्रण को मान्यता नहीं दी है।

यात्रा से खड़ा हुआ विवाद

पटेल की गुप्त मुलाकातों का खुलासा होने के बाद ब्रिटेन में विवाद खड़ा हो गया और इसे सरकार की पारदर्शिता की नीति के खिलाफ बताया गया। विपक्षी लेबर पार्टी ने मांग की थी कि प्रीति पटेल की यात्रा की जांच होनी चाहिए या उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। लेबर पार्टी ने उन पर नियमों के उल्लंघन के आरोप भी लगाए थे।

सोशल मीडिया पर भी प्रीति पटेल को आलोचना का सामना करना पड़ा था। कुछ लोगों ने सवाल किया था कि पारिवारिक छुट्टी पर कोई किसी देश के नेता से क्यों मिलेगा? विवाद खड़ा होने के बाद प्रीति ने इस मामले में माफी मांगी थी और कहा था कि विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन को उनकी यात्रा के बारे में पता था।

सरकार ने शुरुआत में प्रीति पटेल की माफी को स्वीकार करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने उन्हें जिम्मेदारी का एहसास कराया है। विदेश विभाग के एक मंत्री ने उनकी मुलाकातों का बचाव करते हुए कहा था कि इनके असर में ब्रिटिश विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं आया है।

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पटेल ने मानी गलती, मांगी माफी

इस पर पटेल ने माफी मांगकर विवाद को खत्म करने की कोशिश की मगर यह माफी नाकाफी साबित हुई और उन्हें अफ्रीका दौरा छोडक़र वापस आना पड़ा अन्तत: वे अपना पद छोडऩे पर मजबूर हो गयीं। अपने इस्तीफे में पटेल ने कैबिनेट में काम करने पर गर्व जताते हुए स्वीकार किया कि एक मंत्री से जिन उच्च मानकों की उम्मीद की जाती है मेरे कार्य उनके अनुरूप नहीं रहे हैं।

हालांकि मैंने जो कुछ किया वह सही इरादे से किया मगर यह पारदर्शिता और खुलेपन के उन उच्च मानकों के अनुरूप नहीं था जिन्हें मैं बढ़ावा देती हूं। उन्होंने इसके लिए माफी मांगते हुए इस्तीफे की

पेशकश की।

सितम्बर में भी की थीं दो गुप्त मुलाकातें

प्रीति व सरकार की मुश्किलें तब और बढ़ गयीं जब इस बात का खुलासा हुआ कि सितंबर में भी प्रीति पटेल ने अधिकारियों की गैर मौजूदगी में दो मुलाकातें की थीं। उन्होंने इसराइल के जनसुरक्षा मंत्री और इसराइल के विदेश मंत्री से न्यूयॉर्क में मुलाकात की थी।

प्रीति के लिए परिस्थितियां तब और जटिल हो गईं जब ज्यूइश क्रॉनिकल ने कहा कि सरकार को न्यूयॉर्क में हुई मुलाकात की जानकारी थी और पटेल से कहा गया था कि इसे सार्वजनिक न करें। बाद में सरकार की ओर से इसका खंडन किया गया। इन नई जानकारियों के बाद प्रधानमंत्री मे पर प्रीति पटेल को पद से हटाने के लिए दबाव बढ़ गया।

कई महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुकी हैं प्रीति

प्रीति पटेल को ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी के चमकते सितारे के रूप में देखा जाता रहा है। वे कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुकी हैं। जून 2016 में उन्हें इंटरनेशनल डेवलपमेंट मंत्री बनाया गया था। सरकार में उनकी अहम भूमिका थी और वे विकासशील देशों को दी जाने वाली आॢथक मदद का काम देख रही थीं। उन्होंने समलैंगिक शादियों के खिलाफ मतदान किया था और धूम्रपान पर प्रतिबंध के खिलाफ भी अभियान चलाया था।

उनकी इजराइल यात्रा के पीछे यह कारण भी बताया जा रहा है कि वे इसराइल की पुरानी समर्थक रही हैं। वे 2010 में सांसद बनी थीं। वे ब्रेक्जिट अभियान की प्रखर समर्थक रही हैं। प्रीति पटेल ट्रेजरी व रोजगार मंत्री भी रह चुकी हैं। गुजराती परिवार से ताल्लुक रखने वाली प्रीति का परिवार युंगाडा से भागकर लंदन पहुंचा था।

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ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर को अपना आदर्श मानने वाली प्रीति 2005 में नॉर्टिंघम सीट से चुनाव हार गयी थीं मगर 2010 में उन्होंने विटहैम सीट से चुनाव जीत लिया था। उन्होंने कंजरवेटिव पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में नौकरी भी की है और वे 1995 से 1997 तक सर जेम्स गोल्डस्मिथ के नेतृत्व वाली रेफरेंडम पार्टी की प्रवक्ता रही हैं। यह पार्टी ब्रिटेन की यूरोपीय संघ विरोधी पार्टी थी।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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