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सरकारी पुलिस के पास वक्त नहीं, ‘प्राइवेट पुलिस’ ने पकड़े 400 अपराधी

raghvendra
Published on: 9 Feb 2018 8:32 AM GMT
सरकारी पुलिस के पास वक्त नहीं, ‘प्राइवेट पुलिस’ ने पकड़े 400 अपराधी
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ब्रिटेन की पहली प्राइवेट पुलिस इन दिनों बहुत व्यस्त है। वह सैकड़ों अपराधों की पड़ताल कर रही है जिनकी जांच के लिए रेगुलर यानी सरकारी पुलिस के पास वक्त नहीं है। इस प्राइवेट पुलिस फोर्स का नाम है ‘टीएम आई’ और इसमें काम करने वाले लोग स्कॉटलैण्ड यार्ड के पूर्व सीनियर अफसर हैं। इस टीम ने 400 से ज्यादा अपराधियों को सफलतापूर्वक सजा दिलाई है। और अब ये टीम मर्डर के मामलों की तहकीकात है।

‘टीएम आई’ का रिकार्ड बेहद शानदार रहा है क्योंकि इसने जितने मामले दर्ज किये हैं उन सबमें अपराधियों को सजा हुई है। ऐसा रिकार्ड तो सरकारी पुलिस का भी नहीं है। ‘टीएम आई’ तीन हाई प्रोफाइल मर्डर केस पर काम कर रही है। इन तीनों मामलों में पुलिस तफ्तीश पूरी करने में विफल रही है। एक केस में तो पुलिस पर भ्रष्टाचार और मामला दबाने का आरोप भी लगा है।

‘टीएम आई’ के सह- संस्थापक टोनी नैश का कहना है कि ‘घर-घर जा कर लोगों से बात करने का कोई विकल्प नहीं है। लेकिन सरकार के पास फंड्स की कमी के कारण पुलिस अपनी डेस्क पर बैठ कर मामलों की तफ्तीश कर रही है। यही कार्य संस्कृति बन गई है। नैश लंदन मेट्रोपोलिटन पुलिस के पूर्व कमांडर हैं। उनकी कंपनी में स्कॉटलैण्ड यार्ड, नेशनल क्राइम एजेंसी और गर्वनमेंट कम्यूनिकेशन हेडक्वार्टर के रिटायर्ड डिटेक्टिव और साइबर क्राइम एक्सपर्ट्स शामिल हैं।

आलोचकों का कहना है कि निजी पुलिसिंग से ऐसी व्यवस्था बन जाने का खतरा है जिसमें सिर्फ अमीर ही अपराधियों से सुरक्षा पा सकेंगे। दूसरी ओर यह भी सच्चाई है कि हिंसा, सेक्स हमले, चाकूबाजी और गोलीबारी के मामले इस साल जबर्दस्त रूप से बढ़े हैं। लेकिन एक पहलू ये भी है कि ज्यादा से ज्यादा अपराधी जेल भेजे जा रहे हैं और कई मामलों में देश से निकाले भी जा रहे हैं और इनमें निजी पुलिस की बड़ी भूमिका रही है।

फिलहाल ‘टीएम आई’ के 36 मामले अदालतों में लंबित हैं और 60 मामलों में जांच जारी है। पिछले ६ महीनों में ‘टीएम आई’ ने हत्या के प्रयास और रेप के 60 वांछित अपराधियों को पकड़ा है। ‘टीएम आई’ ने खुफिया तहकीकात करते हुए हाल में नकली सामान बनाने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया था। यह टीम तहकीकात के क्रम में उंगलियों के निशान व डीएनए सैम्पल एकत्र करती है वे सब पुलिस के नेशनल कंप्यूटर में दर्ज किये जाते हैं।

‘टीएम आई’ किसी मामले की तहकीकात के लिये कोई फीस चार्ज नहीं करती बल्कि अपराधियों की दोषसिद्धि के बाद अदालत से तहकीकात की लागत लेती है। ‘टीएम आई’ के ऑफिस लंदन, मैनचेस्टर, एसेक्स और मुम्बई में हैं। मुम्बई में इस टीम ने नकली दवा बनाने वाले एक बड़े गिरोह को पकड़वाने में मदद की थी।

‘टीएम आई’ ने पिछले साल मार्च में ‘माई लोकल बॉबी’ नाम से सेवा शुरू की थी जिसमें किसी मोहल्ले की सुरक्षा के लिए प्रत्येक घर से 200 पाउंड प्रति माह लिये जाये हैं। इस स्कीम के तहत ‘टीएम आई’ के ‘सिपाही’ लंदन के सबसे महंगे इलाके बेल्ग्राविया, मेफेयर और केन्सिंगटन में गश्त लगाते हैं। एक सिपाही 250 मकानों को कवर करता है। सिपाही अपने ‘ग्राहकों’ से मिलते हैं उनकी खैरख्वाह लेते हैं।

ग्राहक अपने सिपाही से हॉटलाइन पर जुड़े रहते हैं। सामान्य पुलिस की भांति ‘टीएम आई’ के गश्ती दल के पास सबूत एकत्र करने के लिए बॉडी कैमरे होते हैं। वे ‘सिटिजन अरेस्ट’ अधिकार का इस्तेमाल करते हुए किसी भी संदिग्ध को गिरफ्तार कर सकते हैं।

कंपनी का दावा है कि किसी वारदात की हालत में उनका लोकल रिस्पॉंस ऑफिसर पांच मिनट के भीतर मौके पर पहुंच जाता है। ‘टीएम आई’ के प्रबंध निदेशक डेविड मैक्लवी स्कॉटलैण्ड यार्ड के रिटायर्ड चीफ इंस्पेक्टर हैं। वे बताते हैं कि उनकी कंपनी किसी भी खुफिया एजेंसी की बनिस्बत कहीं ज्यादा अंडरकवर काम करती है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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