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बुंदेलखंड की शहजादी खान का अबू धाबी में किया गया अंतिम संस्कार, विदेश मंत्रालय ने बताया
Shahzadi Khan: शाहजादी खान के अंतिम संस्कार में भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने इस संबंध में अधिकृत प्रतिनिधियों की सहायता की और अंतिम संस्कार में भी शामिल हुए।
तस्वीर में लाल कपड़े में शहजादी खान और उसके माता-पिता
Shahzadi Khan: भारतीय नागरिक और बुंंदेलखंड की शाहजादी खान का अंतिम संस्कार आज यूएई अधिकारियों के नियमों के अनुसार अबू धाबी में किया गया। विदेश मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, उनके अंतिम संस्कार से पहले, शाहजादी के परिवार के अधिकृत प्रतिनिधियों ने पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी। वे मस्जिद में
शाहजादी खान के परिवार वाले अंतिम संस्कार की नमाज़ के साथ-साथ बनिया कब्रिस्तान में दफ़न में भी शामिल हुए। दूतावास के अधिकारियों ने इस संबंध में अधिकृत प्रतिनिधियों की सहायता की और अंतिम संस्कार में भी शामिल हुए।
शहजादी खान को दुबई में दिया गया था फांसी की सजा
बता दें कि उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड की शहजादी खान रोजगार की तलाश में दुबई गई हुई थी। वहां उसे 4 महीने के शिशु के देखभाल का जिम्मा मिला था। जिसकी टीकाकरण के बाद मौत हो गई। बच्चे के माता पिता ने उसके मौत का आरोप शहजादी खान पर लगा दिया गया कि इसने हत्या कर दी।
बच्चे का नहीं किया गया पोस्टमार्टम
शहजादी जिस दंपत्ति के बच्चे की देखभाल करती थी। उस दंपत्ति ने बच्चे का पोस्टमार्टम करवाने से इनकार कर दिया। जिससे यह पता नहीं चला कि बच्चे की मौत का मूल कारण क्या है। बस आरोप उनका था कि हां इसी ने यानी शहजादी खान ने ही मारा है। जानकारी के मुताबिक, जबदस्ती डरा धमकाकर उस शहजादी खान का कबूलनामा वाला वीडियो भी बनवा लिया जिसमें वह स्वीकार करती नजर आती है कि हाँ उसने ही हत्या की।
भारत सरकार का प्रयास
शहजादी खान मामले में भारत सरकार ने मर्सी पेटिशन भी दायर की मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। बता दें कि वहां की अदालत ने सिर्फ दंपत्ति के कहने पर और जबरदस्ती बनवाये कबूलनामे वाले वीडियो पर ही फायरिंग स्क्वाड तरीके से मौत की सजा सुना दी। शहजादी खान दुबई माँ बाप का कर्जे का बोझ कम करने गई थी, जिसे सजा-ए- मौत मिली। दो दिन पहले उसे फांसी देकर मौत दे दी गई।
डॉक्टरी रिपोर्ट की सहायता नहीं ली गयी
पता नहीं वह सच में दोषी थी या नहीं। अब कुछ पता नहीं बच्चा टीके के डोज़ की वजह से मरा या किसी और कारण से।खैर उसे दिखाकर मौत की सजा दे दी गई। इन सबमें जो अजीब बात है वो ये है कि जांच का आधार केवल बयान है। साक्ष्य का आधार केवल बयान है, कोई भी डॉक्टरी रिपोर्ट की सहायता नहीं ली गयी।