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ब्रह्मपुत्र के पानी को रोकने के लिए चीन बना रहा 100 किलोमीटर की सुरंग
चीन के इंजीनियर ऐसी तकनीक का परीक्षण कर रहे हैं जिनका इस्तेमाल ब्रह्मपुत्र नदी के जलप्रवाह को अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे तिब्बत से शिनजियांग की तरफ मोड़ने के लिए 1,000 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने में किया जा सकता है।
बीजिंग: चीन के इंजीनियर ऐसी तकनीक का परीक्षण कर रहे हैं जिनका इस्तेमाल ब्रह्मपुत्र नदी के जलप्रवाह को अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे तिब्बत से शिनजियांग की तरफ मोड़ने के लिए 1,000 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने में किया जा सकता है।
हांगकांग के अखबार ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ के अनुसार इससे ‘शिनजियांग के कैलीफोर्निया में तब्दील होने’ की उम्मीद है जबकि भारत के लिए यह चिंता का सबब बन सकता है। शिनजियांग चीन का सूखा इलाका है जहां पानी की हमेशा कमी बनी रहती है। इससे हिमालयी इलाके में पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यह प्रस्तावित सुरंग चीन के सबसे बड़े प्रशासनिक क्षेत्र को पानी मुहैया कराने का काम करेगी। दक्षिणी तिब्बत की यारलुंग सांगपो नदी के जलप्रवाह को शिनजियांग के ताकालाकान रेगिस्तान की तरफ मोड़ा जाएगा। भारत में इस नदी को ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है।
इस लंबी सुरंग के जरिए चीन तिब्बत से ब्रह्मपुत्र के पानी को अपने सूखा प्रभावित शिनजियांग प्रांत की तरफ खींचना चाहता है। चीन अपनी इस परियोजना को यदि पूरा कर लेता है तो यह दुनिया की सबसे लंबी सुरंग होगी। हालांकि, चीन की इस महात्वाकांक्षी परियोजना पर चिंताएं भी जाहिर की गयी हैं।
ब्रह्मपुत्र नदी का उद्भव तिब्बत में है, इस नदी को चीन में यारलुंग सांगपो कहा जाता है। ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से निकलकर भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों और बांग्लादेश से गुजरते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
चीन यदि इस सुरंग के निर्माण की मंजूरी दे देता है तो ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह को प्रभावित होने की संभावना काफी ज्यादा हो जाएगी। पूर्वोत्तर भारत के कई राज्य खेती के लिए ब्रह्मपुत्र के पानी पर निर्भर हैं। ब्रह्मपुत्र में पानी की कमी इन क्षेत्रों में सूखे की स्थिति ला सकती है। विश्लेषकों ने आशंका जतायी है कि सुरंग के जरिए पानी छोड़ने से पहले भारी मात्रा में पानी का संग्रहण करना निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति भी ला सकता है।
काफी मंहगा है यह प्रोजेक्ट
सिचुआन यूनिवर्सिटी में माउंटेन रिवर इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ वांग वी का अनुमान है कि सुरंग के एक किलोमीटर निर्माण पर करीब एक अरब युआन (करीब 150 मिलियन डॉलर) की लागत आएगी और पूरी सुरंग बनाने में करीब 150 अरब डॉलर का खर्चा आएगा।
चीन ने नदी पर बांध न बनाने का दिया था भरोसा
गौरतलब है कि चीन ने भारत को 2010 में भरोसा दिया था कि तिब्बत के जांगमू में बांध बनाने की उसकी कोई योजना नहीं है क्योंकि नई दिल्ली ने जांगमू में बांध बनाए जाने की रिपोर्टों पर चिंता जाहिर की थी। चीन ने तब कहा था वह हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी के लिए नदी के ऊपर एक बांध बना रहा है और बड़ी मात्रा में पानी रोकने का उसका कोई उद्देश्य नहीं है। चीन यदि अपने इस डायवर्जन प्रोजेक्ट की मंजूरी दे देता है तो माना जाएगा कि वह अपने पहले के रुख से पीछे हट रहा है।'द साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' ने चीनी अधिकारियों के हवाले से कहा है कि इस महात्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी के लिए शीर्ष अधिकारियों को सौंप दिया गया है जो मार्च 2018 तक इस पर निर्णय लेंगे।