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चीन का बेल्ट एंड रोड सम्मेलन संपन्न, 2019 में होगी अगली बैठक

चीन का दो दिवसीय बेल्ट एंड रोड सम्मेलन सोमवार को संपन्न हो गया। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने घोषणा की कि अगला बेल्ट एंड रोड सम्मेलन साल 2019 में होगा।

tiwarishalini
Published on: 15 May 2017 9:13 PM GMT
चीन का बेल्ट एंड रोड सम्मेलन संपन्न, 2019 में होगी अगली बैठक
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बीजिंग: चीन का दो दिवसीय बेल्ट एंड रोड सम्मेलन सोमवार को संपन्न हो गया। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने घोषणा की कि अगला बेल्ट एंड रोड सम्मेलन साल 2019 में होगा।

भारत ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) पर अपना विरोध जताते हुए सम्मेलन में शरीक होने से इनकार कर दिया, जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित उसके अधिकांश पड़ोसी देशों के प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया।

सम्मेलन के दूसरे तथा अंतिम दिन संवाददाताओं को संबोधित करते हुए शी ने सम्मेलन में हिस्सा लेने आए देशों से क्षेत्रीय स्थिरता को बरकरार रखने को लेकर विवादों का निपटारा करने तथा मतभेदों को दूर करने के लिए संरक्षणवाद का त्याग करने तथा बातचीत को बढ़ावा देने की अपील की।

उन्होंने कहा, "बेल्ट एंड रोड परियोजना किसी विचारधारा का परिणाम नहीं है। इसके माध्यम से हम कोई राजनीतिक एजेंडा तय नहीं करेंगे। यह किसी खास देश के लिए नहीं है।"

शी ने कहा कि 68 देशों ने सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

साल 2013 में शी द्वारा घोषित बेल्ट एंड रोड परियोजना का उद्देश्य एशिया तथा यूरोप को सड़क, रेल तथा बंदरगाहों के माध्यम से जोड़ना है।

भारत व अमेरिका जैसे देश परियोजना को लेकर सशंकित हैं और वह इसे क्षेत्र में चीन का दबदबा स्थापित करने के रूप में देखते हैं। वहीं, चीन ने कहा है कि इसका उद्देश्य केवल आर्थिक लाभ है।

भारत ने सीपीईसी पर घोर आपत्ति जताई है। 46 अरब डॉलर लागत वाला चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है, जिस पर भारत अपना दावा जताता है।

सीपीईसी चीन के शिनजियांग को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है, जो अशांत बलूचिस्तान में है। भारत को आशंका है कि ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से अरब सागर में आसानी से पहुंच के बाद चीन आसानी से हिंद महासागर में दाखिल हो सकता है।

भारत अपने ऊर्जा के आयात के लिए व्यापक स्तर पर समुद्र मार्ग पर निर्भर है।

सीपीईसी के प्रति अपनी आपत्ति जताते हुए शनिवार को भारत ने कहा, "वह उस परियोजना को कभी स्वीकार नहीं कर सकता, जिसमें उसकी संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता की अहम चिंताओं को तरजीह नहीं दी गई है।"

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सीपीईसी भारत तथा चीन के बीच एक बड़े मुद्दे के रूप में उभरा है। दोनों देशों के संबंध भारत के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का सदस्य बनने के प्रयासों में चीन के रोड़ा अटकाने तथा पिछले महीने तिब्बती लोगों के धर्म गुरु दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश के दौरे को लेकर पहले से ही तनावग्रस्त हैं।

बीजिंग बेहद इच्छुक है कि भारत इस परियोजना का हिस्सा बने। वहीं, चीन के एक दैनिक समाचार पत्र का कहना है कि भारत अपने पड़ोसी देशों को चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना में शामिल होने से नहीं रोक सकता।

समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में कहा गया है कि चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना को लेकर भारत का विरोध अफसोसनजक है।

समाचार पत्र में छपे लेख के मुताबिक, अभी भी बहुत देर नहीं हुई है, भारत अपना फैसला बदलकर इस सम्मेलन में शामिल हो सकता है।

ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, "चीन कभी भी किसी भी देश को बेल्ट एंड रोड सम्मेलन में शामिल होने का दबाव नहीं बनाएगा।"

ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित वांग जिएमे के लेख के मुताबिक, "यह कोई समस्या नहीं है, बल्कि अफसोसजनक है कि भारत अभी भी इसका पुरजोर विरोध कर रहा है, वह भी तब जब चीन बार-बार कह चुका है कि वह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की वजह से कश्मीर मुद्दे पर अपने रुख में बदलाव नहीं करेगा।"

लेख के मुताबिक, "भारत ने कर्ज के बोझ को भी अपनी चिंताओं में से एक बताया है। उसका कहना है कि वह उन परियोजनाओं से बचना चाहता है, जिससे कर्ज का बोझ बढ़े।"

रिपोर्ट के मुताबिक, "यह अजीब है कि खिलाड़ियों की तुलना में दर्शक अधिक बेचैन हैं। भारत को अपने पड़ोसियों के कर्ज बोझ की चिंता है।"

लेख के मुताबिक, "पाकिस्तान और चीन ने शनिवार को हवाईअड्डे, बंदरगाह और राजमार्गो के निर्माण के लिए लगभग 50 करोड़ रुपये के नए समझौते किए।"

लेख में कहा गया है,"नेपाल ने बेल्ट एंड रोड परियोजना में शामिल होने के लिए चीन के साथ समझौता किया और नेपाल सीमा पार रेल मार्ग के निर्माण के लिए चीन के साथ संपर्क में है। इस रेल मार्ग की लागत आठ अरब डॉलर तक जा सकती है।"

लेख के मुताबिक, "विभिन्न देशों के इस रुख को देखकर भारत के पास कोई रास्ता नहीं है कि वह पड़ोसी देशों को चीन के साथ इस परियोजना में शामिल होने से रोक सके।"

ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, "चीन ने इस परियोजना में शामिल होने के लिए भारत को औपचारिक तौर पर आमंत्रित किया है। यदि भारत इसका हिस्सा नहीं बनना चाहता तो वह दर्शकदीर्घा का हिस्सा बन सकता है। यदि भारत अपना विचार बदलता है तो उसकी भूमिका के लिए रास्ते खुले हैं।"

--आईएएनएस

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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