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China Crackdown: चीन में मिडिल क्लास को बड़ी राहत, जिनपिंग का डेवलेपमेंट प्लान, इन व्यापारों पर सख्ती

China Crackdown: चीनी प्रेसिडेंट शी जिनपिंग ने जून में ही इस जलजले के संकेत दे दिए थे। जिनपिंग ने एक सुदूर शहर शिनिंग में एक स्कूली समारोह में स्वीकार किया था कि प्राइवेट ट्यूशन के चलते छात्रों और पेरेंट्स पर बहुत दबाव पड़ता है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shivani
Published on: 2 Aug 2021 1:19 PM IST
China Crackdown
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चीनी राष्ट्रपति 

China Crackdown: हाल के बरसों में चीन को पूंजीवाद का नया अवतार कहा जाता रहा है लेकिन अब जिस तरह चीन में पूंजीवाद की प्रतीक बड़ी बड़ी कंपनियों और व्यापारों के खिलाफ बेहद सख्त कदम उठाये जा रहे हैं उससे जलजला सा आ गया है।

चीन में बड़े व्यापारों पर सख्त कदम

चीनी प्रेसिडेंट शी जिनपिंग ने जून में ही इस जलजले के संकेत दे दिए थे। जिनपिंग ने एक सुदूर शहर शिनिंग में एक स्कूली समारोह में स्वीकार किया था कि प्राइवेट ट्यूशन के चलते छात्रों और पेरेंट्स पर बहुत दबाव पड़ता है। पैसे खर्च होते हैं और परिवार को अपने लिए समय नहीं मिल पाता है। जिनपिंग ने वादा किया था कि वो इस बोझ को हल्का करेंगे। उन्होंने कहा था कि जो काम टीचरों को करना है उसे स्कूल के बाहर नहीं होना चाहिए और अब शिक्षा विभाग इस गड़बड़ी को दूर कर रहा है।

चीन की ट्यूशन कम्पनियों पर कार्रवाई

बात आई-गयी हो गयी और चीन के बाहर किसी ने जिनपिंग की बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। लेकिन उसके एक महीने बाद यानी जुलाई में चीन में जिस तरह ट्यूशन कंपनियों पर कार्रवाई हुई है वह अभूतपूर्व है। यह चीन में व्यापक बदलाव लाने के लिए जिनपिंग के विज़न का सबसे बड़ा उदहारण है।


चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग का विजन

जिनपिंग का विज़न साफ़ है कि सामाजिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने निवेशकों के हित कोई मायने नहीं रखते हैं। चीन में सामान डिलीवरी का काम करने वाले अनगिनत लोग कम पैसे और ज्यादा मेहनत के चक्र में पिस रहे हैं, आवास की बढ़ती कीमतों और पढ़ाई के मोटे खर्चे के बोझ तले मिडिल क्लास परिवार दबे जा रहे हैं और बड़ी बड़ी टेक कम्पनियों से छोटे दुकानदार जूझ रहे हैं। मिडिल क्लास तरह तरह की दुश्वारियों से घिरा हुआ है। अब इसी मिडिल क्लास की हिफाज़त और सुरक्षा के लिए जिनपिंग अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं। चीन में ऐसी सामाजिक चुनौतियाँ कोई नई बात नहीं हैं लेकिन सरकार का इस तरह का नीतिगत जवाब पहली बार देखा जा रहा है।

पूँजी ने हाइजैक किया शिक्षा को

जून महीने में जिनपिंग की स्कूल यात्रा के कुछ हफ़्तों बाद चीन सरकार ने कहा था कि निजी शिक्षा को पूँजी ने हाइजैक कर लिया है। सरकार ने ट्यूशन कंपनियों को आदेश दिया कि वे नॉन-प्रॉफिट आधार पर काम करें। यानी मुनाफे के लिए अब ऐसी कंपनी नहीं चलाई जा सकती है। छुट्टियों में ट्यूशन का काम प्रतिबंधित कर दिया गया। ट्यूशन के धंधे पर और भी प्रतिबन्ध लगा दिए गए। इस आदेश में बाद चीन में ट्यूशन यानी कोचिंग का धंधा धड़ाम हो गया। जबर्दस्त बिकवाली के चलते दिग्गज ट्यूशन कंपनियों के शेयर जमीन पर आ गए। अनुमान है कि ऐसी कंपनियों के शेयरों में डेढ़ ट्रिलियन डालर पानी में चले गए। इससे विश्व की बड़ी बड़ी फाइनेंस कंपनियों को भारी नुकसान हो गया और उनके पोर्टफोलियो साफ़ हो गए।

कम्पनियों पर डंडा

जिनपिंग ने सिर्फ प्राइवेट ट्यूशन कंपनियों का ही धंधा बंद नहीं किया है बल्कि बड़ी कंपनियों की दादागिरी भी ख़त्म कर दी है। विदेशी आईपीओ जारी होने से पहले डेटा सुरक्षा समीक्षा की अनिवार्यता कर दी गयी है। अब ऐसे ही किसी कम्पनी को शेयर बेचने की इजाजत नहीं दी जायेगी। फ़ूड डिलीवरी कंपनियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सभी कर्मचारियों को सही और बेहतर वेतन दें। महंगे फ्लैट्स और आवासों पर रोक लगा दी गयी है।


चीनी सरकार के इन क़दमों से साफ़ है कि चीन में व्यापार के पुराने नियम अब चलने वाले नहीं हैं। अब निवेशक डरे हुए हैं कि पता नहीं किस सेक्टर की शामत आ जाये। चीन की दिग्गज कम्पनी अलीबाबा ग्रुप, दीदी ग्लोबल,बाईदू, टेनसेंट – इन सबको कभी चीन का गौरव कहा जाता था लेकिन अब जिनपिंग ने इनका कद बहुत छोटा कर दिया है। इनपर तमाम जुर्माने और सजाएँ ठोंक दी गईं हैं। चीनी लीडरशिप ने साफ़ कर दिया है कि सामाजिक संरचना और कम्युनिस्ट विचारधारा से बढ़ कर कुछ नहीं है।

चीन में विकास पर जोर

चीन में बैंकिंग और तेल सेक्टर पर हमेशा से सरकार का सख्त कण्ट्रोल रहा है। लेकिन कई दशकों से उद्यमियों और निवेशकों को काफी आज़ादी दी गयी है ताकि नई तकनीकों को समाहित किया जा सके उनका इस्तेमाल व्यापक तरीके से हो सके। चीनी लीडरशिप ने ग्रोथ के लिए नए नए अवसरों को खोला है। डेवलपमेंट और ग्रोथ का सफ़र अस्सी के दशक में देंग शियाओपिंग के नेतृत्व में शुरू हुआ था जबकि उन्होंने कहा था कि कुछ लोग पहले अमीर हो जाते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। चीन की तर्ज पर पूंजीवाद की वह शुरुआत थी। लेकिन अब कुछ लोगों के अमीर बनने की बजाये सबकी खुशहाली पर जोर है। इसकी वजह विकास में धीमापन और अमेरिका के साथ बिगड़ते रिश्ते हैं। जब तक अमेरिका से सब ठीक ठाक रहा तबतक चीन ने बहुत लाभ कमाया लेकिन बीते कई वर्षों से ये गणित गड़बड़ा गया है।

शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रॉपर्टी

चीन की नीतियों में जिस तरह का बड़ा बदलाव दिख रहा उससे साफ़ है कि सरकार सामाजिक स्थितियों पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। उन उद्योगों पर निशाना साधा जा रहा है जो सबसे ज्यादा सामाजिक असंतोष पैदा कर रही हैं। अपनी कम्यूनिस्ट जड़ों के चलते चीनी नेताओं को उन वेंचर कैपिटल, निजी शेयरहोल्डिंग या निवेशकों को ध्वस्त करने में कोई गुरेज़ नहीं है जो देश की दीर्घकालिक विकास योजनाओं के विपरीत दिखाई देते हैं।


अब फोकस शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और प्रॉपर्टी – इन तीनों से जुड़ी समस्याओं को खत्म करना है जिनके खर्चों के बोझ तले आम लोग पिस रहे हैं।

चीन का नया डेवलेपमेंट प्लान

शि जिनपिंग के अनुसार इस साल चीन ने डेवलपमेंट का नया चरण शुरू किया है जिसके तीन सूरत हैं - राष्ट्रीय सुरक्षा, सामान खुशहाली और स्थायित्व। राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत डेटा पर नियंत्रण और टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता पर जोर रहेगा। सामान खुशहाली में सभी लोगों में सामान रूप से दौलत का वितरण शामिल है ताकि हाल के दशकों में बड़ी असमानता को दूर किया जा सके। स्थायित्व के तहत चीन के मिडिल क्लास में व्याप्त असंतोष को दूर करने के उपाय किये जायेंगे।

चीन में छोटे व्यापारियों को ज्यादा फायदा

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर जिनपिंग अपने विज़न में कामयाब हो गए तो कामगार वर्ग, पेरेंट्स और छोटे बिजनेसों को सबसे ज्यादा फायदा होगा और इससे देश की सूरत काफी हद तक बदल जायेगी।

Shivani

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