China Tajikistan News: चीन बना रहा ताजिकिस्तान में सीक्रेट मिलिट्री बेस, तालिबान पर नजर

China Tajikistan News: चीन ने 2016 में ताजिकिस्तान के साथ एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। तभी से इस सुदूर क्षेत्र में बेस बना रहा है

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Newstrack Network
Published on: 12 July 2024 11:21 AM GMT
China Tajikistan News ( Social - Media- Photo)
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China Tajikistan News ( Social - Media- Photo)

China Tajikistan News: चीन पड़ोसी देश ताजिकिस्तान में एक गुप्त सैन्य अड्डा बना रहा है। इसका उद्देश्य तालिबान शासित अफगानिस्तान से किसी भी संभावित खतरे का सामना करना है। चीन ने 2016 में ताजिकिस्तान के साथ एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। तभी से इस सुदूर क्षेत्र में बेस बना रहा है।

सैटेलाइट फोटो से हुआ खुलासा

सैटेलाइट चित्रों से पता चलता है कि 13,000 फीट ऊंचे पहाड़ों को काटकर बनाये गये इस ठिकाने में दोनों देशों के निगरानी टावर और सैनिक हैं। ये अब नियमित रूप से संयुक्त सैन्य अभ्यास करते हैं, जिसे चीनी सरकारी मीडिया पर दिखाया जाता है।दोनों सरकारों ने सार्वजनिक रूप से इस बेस के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया है लेकिन तस्वीरें निर्माण की रफ्तार को दिखाती हैं, जिसमें बेस तक पहुंच मार्ग भी शामिल हैं।


बढ़ती सैन्य मौजूदगी

चीन ने अपनी सभी सीमाओं पर अपनी सैन्य मौजूदगी का विस्तार करने की कोशिश की है, जिसमें विशेष रूप से हिमालय में भारतीय क्षेत्र में आगे बढ़ना शामिल है। चीन पड़ोसी देशों में भी ऐसा ही करने की योजना बना रहा है, खासकर वह ताजिकिस्तान के साथ ऐसे समय में संबंध बढ़ा रहा है जब रूस, यूक्रेन से युद्ध में उलझा हुआ है। अभी बीते 4 जुलाई को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी तीसरी राजकीय यात्रा में ताजिकिस्तान के साथ बढ़ते संबंधों को मजबूत किया।


मौके का फायदा

जानकारों का कहना है कि रूस के अन्यत्र व्यस्त होने के कारण इस क्षेत्र में स्थिति एक वैक्यूम की तरह है, और इस वैक्यूम को चीन भर रहा है। अफगानिस्तान में स्थिति के बिगड़ने के बाद से चीन ने ताजिक सरकार की सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए क्षेत्र में निर्माण किया है।2021 में तालिबान के सत्ता में वापस आने के बाद से अफ़गानिस्तान के साथ ताजिकिस्तान की 800 मील की सीमा को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं। चीन अपनी व्यापक योजनाओं के तहत ताजिकिस्तान को गोला-बारूद और तकनीक भी मुहैया करा रहा है। इसके अलावा कुछ अन्य दीर्घकालिक योजनाएँ भी हो सकती हैं, जिन्हें खुले तौर पर नहीं बताया गया है।चीन ने ही सबसे पहले तालिबान द्वारा नियुक्त राजदूत को मान्यता दी थी, और उसने तालिबान के साथ अच्छे संबंध बनाने की कोशिश की है।


मुस्लिमों पर सख्ती

चीन दुनिया के इस कोने में अपनी उपस्थिति इसलिए भी बढ़ा रहा है क्योंकि वह शिनजियांग के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र में उइगर मुसलमानों पर कड़ी नज़र रखना चाहता है ताकि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी मध्य एशिया और यूरोप में अपनी आर्थिक विस्तार योजनाओं को जारी रख सके। ताजिकिस्तान के लिए भी चीन के साथ घनिष्ठ संबंधों का मतलब वही “आतंकवाद-रोधी” नीतिगत ढाँचा अपनाना भी है जो चीन ने उइगरों के खिलाफ़ लागू किया था।


ताजिक अधिकारियों ने पिछले महीने हिजाब को गैरकानूनी घोषित कर दिया था, जो 35 धार्मिक-संबंधित अधिनियमों की एक श्रृंखला में नवीनतम निर्णय है। इन अधिनियमों का उद्देश्य “राष्ट्रीय सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा” और “अंधविश्वास और उग्रवाद को रोकना” बताया गया है। ताजिकिस्तान में पुलिस ने कथित तौर पर पुरुषों की लंबी दाढ़ी भी जबरन कटवा दी है क्योंकि इसे चरमपंथी विचारों का संकेत माना जाता है। देश में सैकड़ों मस्जिदों को बंद कर दिया गया है, नियम बनाया गया है कि इमामों द्वारा दी जाने वाली शिक्षाएँ सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अंतर्गत होनी चाहिए और नाबालिगों को बिना अनुमति के पूजा स्थलों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। अपने बच्चों को विदेश में धर्म का अध्ययन करने के लिए भेजने वाले माता-पिता को भी दंडित किया जाता है। सरकार ने महिलाओं के लिए स्वीकार्य परिधानों के बारे में 367-पृष्ठों की एक पुस्तिका भी जारी की है, जिसमें परिधान की शैली, लंबाई और रंग का विवरण दिया गया है।

विरोध भी जारी

सुरक्षा बलों ने सुधारों को लेकर विरोध प्रदर्शनों को हिंसक तरीके से तितर-बितर किया है, फिर भी कुछ महिलाएँ हिजाब पहनकर नियमों की अवहेलना करना जारी रखे हैं। कई लोगों ने पैसा कमाने और धार्मिक स्वतंत्रता की तलाश में विदेश जाने का विकल्प भी चुना है, हालाँकि इससे प्रवासियों को विभिन्न चरमपंथी समूहों द्वारा भर्ती किए जाने का जोखिम रहता है।आजीवन ताजिक राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन के लिए, यह सब कंट्रोल सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के साथ-साथ चीन के साथ घुलने-मिलने के बारे में भी है।


क्या होगा असर

सख्त नीतियों में का "आतंकवाद विरोधी" चिंताओं पर कोई प्रभाव पड़ता है या नहीं, यह देखना अभी बाकी है, खासकर तब जब ताजिकिस्तान इस्लाम के ताने-बाने और पहचान दोनों में डूबा हुआ देश है।

Shalini Rai

Shalini Rai

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