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Scientific Research: वैज्ञानिक रिसर्च में चीन अब टॉप पर, अमेरिका रह गया पीछे

Scientific Research: रिपोर्ट में पाया गया कि चीन ने सालाना औसतन 4,07,181 वैज्ञानिक पत्र प्रकाशित किए, जो अमेरिका के 2,93,434 जर्नल लेखों से कहीं आगे हैं और दुनिया के शोध उत्पादन का 23.4 फीसदी हिस्सा हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 11 Aug 2022 8:06 PM IST
China is now on top in scientific research America left behind
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China is now on top in scientific research America left behind (Image: Social Media)

Scientific Research: दुनिया में वैज्ञानिक रिसर्च के मामले में अमेरिका टॉप पर रहता आया है लेकिन अब चीन उससे आगे निकल गया है। जापान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने वैज्ञानिक अनुसंधान आउटपुट और "उच्च प्रभाव" वाले अध्ययन, दोनों में ग्लोबल लीडर अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है। जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी (एनआईएसटीपी) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार चीन अब सालाना सबसे ज्यादा वैज्ञानिक शोध पत्र प्रकाशित करता है, इसके बाद अमेरिका और जर्मनी का स्थान आता है।

आंकड़े 2018 और 2020 के बीच वार्षिक औसत पर आधारित थे, और एनालिटिक्स फर्म क्लेरिवेट द्वारा संकलित डेटा से तैयार किए गए थे। जापानी रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि दुनिया के शीर्ष 1 फीसदी सबसे अधिक उद्धृत पत्रों में से 27.2 फीसदी चीन के थे। एक शोध पत्र को प्राप्त होने वाले उद्धरणों की संख्या अकादमिक जगत में उसकी हैसियत को बताती है। शीर्ष 1 फीसदी सबसे अधिक उद्धृत शोध अध्ययनों का 24.9 फीसदी हिस्सा अमेरिका का था जबकि 5.5 फिसदी के साथ यूके तीसरे स्थान पर था।

रिपोर्ट में पाया गया कि चीन ने सालाना औसतन 4,07,181 वैज्ञानिक पत्र प्रकाशित किए, जो अमेरिका के 2,93,434 जर्नल लेखों से कहीं आगे हैं और दुनिया के शोध उत्पादन का 23.4 फीसदी हिस्सा हैं।

चीन ने मैटेरियल साइंस, केमिस्ट्री, इंजीनियरिंग और गणित में काफी अधिक अनुसंधान किया है, जबकि अमेरिकी शोधकर्ता नैदानिक ​​चिकित्सा, बुनियादी जीवन विज्ञान और भौतिकी में अनुसंधान में अधिक थे।

जापान की रिपोर्ट उस दिन प्रकाशित हुई थी जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने चिप्स और विज्ञान अधिनियम पर हस्ताक्षर किए थे। ये कानून अमेरिकी वैज्ञानिक अनुसंधान को चीन के साथ अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए 10 वर्षों में अनुसंधान निधि में 200 अरब डॉलर डालने को अधिकृत करता है। अमेरिका में चीनी दूतावास ने पिछले महीने कहा था कि चीन इस बिल का "कड़ा विरोध" कर रहा है। चीन ने कहा था कि ये शीत युद्ध मानसिकता वाला है।

जापान विज्ञान और प्रौद्योगिकी एजेंसी के शिनिची कुरोकी ने कहा है कि "वैज्ञानिक पत्रों की मात्रा और गुणवत्ता दोनों के मामले में चीन दुनिया के शीर्ष देशों में से एक है।" उन्होंने कहा कि सच्चे वैश्विक नेता बनने के लिए, इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अनुसंधान का उत्पादन जारी रखने की आवश्यकता होगी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका अभी भी कॉरपोरेट और विश्वविद्यालय क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास पर किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक खर्च करता है। प्रमुख देशों के बीच चीन में कॉर्पोरेट और विश्वविद्यालय क्षेत्रों में शोधकर्ताओं की सबसे बड़ी संख्या है। कॉरपोरेट क्षेत्र में अमेरिका और चीन एक-दूसरे के बराबर हैं, और दोनों ही तेजी से विकास कर रहे हैं।



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Rakesh Mishra

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