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क्या चीन पाकिस्तान को हड़प लेना चाहता है.....शायद हाँ !
इस्लामाबाद : पड़ोसी देश चीन के हुनान राज्य में सोमवार से पाकिस्तान की मेट्रो ट्रेन का निर्माण आरंभ हो चुका है। मिली जानकारी के मुताबिक सीआरआरसी झूझू लोकोमोटिव कंपनी ट्रेन के 5 डिब्बे तैयार कर रही है। लाहौर मैट्रों के लिए ये तैयारी चल रही है, जिसका रूट 25.58 किलोमीटर का है। इनमें जो एयर कंडीशनर लगाए जाने हैं, वो कम उर्जा खपत वाले होंगे। ताकि परिचालन में लागत कम आए। मेट्रो के कोच पर राष्ट्रीय फूल और बादशाही मस्जिद के गुबंद की प्रतिकृति अंकित की जाएगी। ये सभी जुलाई तक पाकिस्तान को सौंप दी जाएंगी, बाकी लगभग 26 ट्रेन कोच दिसंबर में पाकिस्तान पहुचेंगे।
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इसके साथ ही चीन पकिस्तान की हजारों एकड़ जमीन का भी अधिग्रहण करेगा। ताकि वो वहां अपने सामरिक व आर्थिक गलियारे का निर्माण व कालोनी विकसित कर सके। उच्च पदासीन सूत्रों के मुताबिक, चीन यहाँ खनिज खनन का भी काम करेगा जिसके बदले पकिस्तान को पैसे और अन्य जरुरत का सामान मुहैया कराया जाएगा।
आपको बता दें, चीन ने पाकिस्तान को ऋण के तौर पर 1.2 अरब डॉलर से अधिक की सहायता भी की थी। चीनी बैंक 2016 में 90 करोड़ डॉलर, 2017 में 30 करोड़ डॉलर की मदद दे चुके हैं। पकिस्तान इस समय विदेशी मुद्रा भंडार में कमी से जूझ रहा है।
चीन अपना एक बैंक भी पाकिस्तान में खोलने जा रहा है। जब से पाक और अमेरिका के संबंधों में कड़वाहट आई है। पाक सरकार चीन के और भी अधिक करीब आ गयी है। बीजिंग का पाकिस्तान में कुल निवेश 62 अरब डॉलर होने वाला है। यदि देखा जाये तो वर्तमान में भले ही पाकिस्तान को इसका फायदा मिलेगा। लेकिन आने वाले समय में जब ढांचागत परियोजनाओं के लिए ठेकेदारों तथा आपूर्तिकर्ताओं को उसे भुगतान देना होगा तब उसका विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से कम होगा।
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के आंकड़ों पर नजर डालें तो विदेशी मुद्रा का कुल रिजर्व 2016 अक्टूबर में 25 अरब डॉलर से कम होकर इस फरवरी में 17.1 अरब डॉलर रह गया। इसका फौरी नतीजा ये रहा, कि पाकिस्तान को विदेशी कर्ज चुकाने के लिए आपात ऋण लेना पड़ा जो उसकी आर्थिक दशा के लिए हानिकारक रहा है।
आर्थिक मामलों के जानकारों के मुताबिक चीन जिस तेजी से पाकितान को पैसा दे रहा है। उसे देखते हुए अगले तीस वर्षों में पाक सरकार को उसे 90 अरब डॉलर लौटाने होंगे जो उसके लिए मुमकिन नहीं होगा। तब चीन उसके सामने जो भी शर्ते रखेगा वो उसे माननी ही होंगी।
यहाँ ये भी जान लेना आवश्यक है, कि चीन पाकिस्तान में जिन भी परियोजना पर काम कर रहा है, उसमें पाकिस्तानी भागीदारी सिर्फ जमीन मुहैया कराने तक ही सीमित है। बाकी वहां न तो रोजगार पैदा होंगे और न ही उन योजनाओ का लाभ देश की जनता को मिलाने जा रहा है। भले ही अगले अगले 30 या 40 वर्षों तक पाकिस्तान एक देश के तौर पर जाना जाएगा। लेकिन उसके बाद तो उसे अगला चीनी उपनिवेश ही बनना है। क्योंकि आज चीन पाकिस्तान के हर एक क्षेत्र में लंबा-चौड़ा निवेश कर रहा है जिसे वापस करना पकिस्तान के वश में नहीं है।
पाकिस्तान में पैर जमाने में लगे चीनी कारोबारी
पाकिस्तान ने मंगलवार को ई-कॉमर्स के माध्यम से लघु एवं मझौले उद्यमों (एसएमई) द्वारा देश के विश्वव्यापी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मंगलवार को चीनी प्रौद्योगिकी दिग्गज अलीबाबा के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। समाचार पत्र डॉन की रपट के मुताबिक, इस समझौते पर पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्री खुर्रम दस्तगीर और अलीबाबा के अध्यक्ष माइकल इवांस ने हस्ताक्षर किए। साथ ही, अलीबाबा की ओर से ग्लोबल बिजनेस ऑफ एंट फाइनेंशियल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डगलस फेगिन ने अलीबाबा की तरफ से समझौता किया।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के अलीबाबा समूह के मुख्यालय के दौरे के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस मौके पर कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष जैक मा भी मौजूद थे।
शरीफ ने कहा, "मुझे खुशी है कि जनवरी में वल्र्ड इकॉनॉमिक फोरम में जैक मा के साथ मेरी मुलाकात में जो योजना बनी थी। उस पर एमओयू पर हस्ताक्षर के साथ ही काम शुरू हो गया है।"
एमओयू की शर्तो के तहत, अलीबाबा, चींटी फाइनेंशियल और टीडीएपी ई-कॉमर्स के माध्यम से पाकिस्तान की एसएमई द्वारा निर्मित उत्पादों के दुनिया भर में निर्यात को बढ़ावा देने पर सहमत हुए हैं।