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China-Taiwan Tension: ताइवान की सड़कों पर टैकों के साथ उतरी आर्मी, नेन्सी पेलोसी का दौरा कंफर्म, चीन ने यूएस को दी चेतावनी

China-Taiwan Tension: यूएस कांग्रेस के निचले सदन की स्पीकर नैन्सी पेलोसी तमाम चीनी धमकियों और चेतावनियों को दरकिनार करते हुए आज ताइवान पहुंच रही हैं।

Krishna Chaudhary
Published on: 2 Aug 2022 3:05 PM IST
Army landed on the streets of Taiwan with tanks, Nancy Pelosis visit confirmed, China again warned US
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अमेरिका ने नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा का किया एलान: Photo- Social Media

China-Taiwan Tension: रूस-यूक्रेन युद्ध का अभी पटाक्षेप भी नहीं हुआ कि दुनिया के एक अन्य हिस्से में दो देशों के बीच टकराव चरम पर पहुंचता नजर आ रहा है। ये मसला अधिक गंभीर इसलिए भी है कि क्योंकि इसमें दुनिया की दो बड़ी ताकतें आमने-सामने हो गई हैं। चीन (China) और ताइवान (Taiwan) के बीच लंबे समय से जारी तनाव अमेरिका (America) के एक शीर्ष राजनीतिज्ञ के दौरे को लेकर खतरनाक रूप ले चुका है। यूएस कांग्रेस के निचले सदन की स्पीकर नैन्सी पेलोसी (Nancy Pelosi) तमाम चीनी धमकियों और चेतावनियों को दरकिनार करते हुए आज ताइवान पहुंच रही हैं।

पेलोसी की यात्रा कंफर्म होने के साथ ही चीन आगबबूला हो गया है। दरअसल नैन्सी पेलोसी यूएस प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसीडेंट के बाद अमेरिकी सरकार में तीसरे नंबर हैं। इसलिए चीन उनके दौरे का तीखा विरोध कर रहा है। क्योंकि वह इस दौरे को अपने वन चाइना पॉलिसी का उल्लंघन मान रहा है। पेलोसी की यात्रा के ऐलान के बाद से चीन अधिक आक्रमक हो गया है। वह ताइवान सीमा के पास अपने लड़ाकू विमानों औऱ युद्धपोतों को भेज चुका है।

ताइवान कर रहा आपात स्थिति से निपटने की तैयारी

दो करोड़ से अधिक आबादी वाला छोटा–सा द्वीपीय देश ताइवान अपने से कहीं अधिक विशाल और ताकतवर देश की आक्रमकता का सामना काफी समय से कर रहा है। लेकिन नैंसी पेलोसी के दौरे को लेकर उपजे हालात को देखते हुए ताइवानी सेना अलर्ट मोड में आ गई है। सेना के जवानों और सीनियर अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। ताइवानी मीडिय़ा के मुताबिक, सेना ने उच्च स्तरीय ब्रीफिंग के बाद एयर डिफेंस फोर्स (air defense force) को तत्काल युद्ध की तैयारी के मोड पर रखा है। सीमा के पास मंडराते चीनी फाइटेर जेट और रूस यूक्रेन जंग के दौरान यूक्रेन में हवाई हमले से मची तबाही को देखते हुए ताइवान एयरस्ट्राइक शेल्टर्स बनाने में जुटा हुआ है ताकि किसी भी आपात स्थिति में लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया जा सके। इसके अलावा ताइवान की थलसेना लगातार टैंकों के जरिए युद्धाभ्यास में जुटी हुई है।

चीन ने अमेरिका को फिर दी धमकी

अमेरिका ने नैंसी पेलोसी की यात्रा का ऐलान करते हुए कहा कि वह ताइवान जा रही हैं, उनके लिए सुरक्षा के पुख्ते इंतजाम कर दिए गए हैं। व्हाइट हाउस (the White House) के प्रवक्ता ने कहा कि नैंसी को पूरा हक है कि वो एक आजाद राष्ट्र ताइवान की यात्रा करें। ऐसे में चीन का कोई भी गलत कदम मुश्किल में डाल सकता है। इस पर चीन ने पलटवार करते हुए सोशल मीडिया पर एक धमकी भरा वीडियो पोस्ट किया है।

इस वीडियो में चीन का एक युद्धपोत नजर आ रहा है, जिसपर एक संदेश लिखा गया है। इसमें लिखा गया है कि चीन किसी भी घुसपैठिये को दफ्न करने के लिए पूरी तरह तैयार है। बता दें कि इससे पहले भी चीन ने अमेरिका को धमकी देते हुए कहा था कि अगर नैंसी ताइवान जाती हैं तो चीनी सेना चुप नहीं बैठेगी। चीन ने घुड़की देते हुए कहा कि फिर मत कहना कि चेतावनी नहीं दी थी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा - जो लोग आग से खेलते हैं वे इससे नष्ट हो जाते हैं। हम एक बार फिर अमेरिका को चेतावनी देना चाहते हैं कि हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

नैंसी की यात्रा से क्यों बौखलाया चीन

दरअसल, नैंसी के ताइवान पहुंचने से दुनिया को एक बड़ा संदेश जाएगा। अभी ताइवान के साथ केवल दुनिया के 14 देशों ने कूटनीतिक रिश्ते बनाए रखे हैं। ऐसे में इस दौरे के बाद अन्य देश भी ताइवान के साथ रिश्ते स्थापित करने की दिशा में सोच सकते हैं। इसके साथ ही 25 साल बाद (साल 1997) kisi शीर्ष अमेरिकी राजनेता की ताइवान यात्रा होने का रिकॉर्ड बन जाएगा।

दरअसल, चीन दुनियाभर में वन चाइन पॉलिसी को बलपूर्वक लागू करवाने पर आमदा रहता है। चीन दुनियाभर की कंपनियों पर भी दवाब डालता है कि वे ताइवान को चीन के हिस्से के रूप में सूचीबद्ध करें। जो सरकारें और कंपनियां चीन के कहने पर आती, उन्हें चीन की तरफ से पलटवार का जोखिम रहता है। मिसाल के तौर पर चीन ने 2021 में यूरोपीय देश लिथुआनिया के साथ व्यापारिक संबंध खत्म कर लिए क्योंकि उसने अपने यहां ताइवानी प्रतिनिधि का दफ्तर खोला था। लिथुआनिया ईयू का सदस्य देश है।

क्या है चीन और ताइवान के बीच का विवाद

चीन और ताइवान 1949 से ही अलग –अलग हैं। उस साल चीन में माओ के नेतृत्व में कम्युनिस्टों की जीत के साथ गृह युद्ध का अंत हुआ था। इस युद्ध में राष्ट्रवादी धड़े के नेता और कुमिन्तांग पार्टी के प्रमुख शियांग काई चेक को पराजित होना पड़ा था और वह मेन लैंड को छोड़कर ताइवान जाकर बस गए थे। तब से दोनों खुद को असली चीन बताते हैं। ताइवान का आधिकारिका नाम रिपब्लिक ऑफ चाइना है और चीन का आधिकारिक नाम पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना। चीन ताइवान को एक विश्वासघाती सूबे के तौर पर देखता है और किसी भी कीमत पर उसपर अपना नियंत्रण चाहता है।

Shashi kant gautam

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