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Climate Change: बड़ी सुनामी का खतरा, आर्कटिक में तेजी से पिघल रही बर्फ, खतरे की जद में कई देश

जलवायु परिवर्तन सम्बंधित एक अध्ययन में बताया गया है कि आर्कटिक के पिघलने से यूके और ग्रीनलैंड के इलाके में ऐसे बदलाव होंगे जो बड़ी सुनामी आने का कारण बन सकते हैं।

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Newstrack NetworkPublished By Shashi kant gautam
Published on: 11 Sep 2021 2:40 PM GMT (Updated on: 11 Sep 2021 2:52 PM GMT)
Rapid melting of ice in the Arctic, earthquake under the sea can cause big tsunami in Greenland and UK
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आर्कटिक में तेजी से पिघल रही बर्फ: कांसेप्ट इमेज- सोशल मीडिया

Climate Change: पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता जता रहे विशेषज्ञों ने एक बार फिर आर्कटिक (Arctic) में तेजी से पिघल रही बर्फ को लेकर चेतावनी दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि आर्कटिक (Arctic) की बर्फ अगर यूं ही पिघलती रही, तो उसका एक असर यह भी होगा कि उससे यूके (UK) और ग्रीनलैंड में विनाशकारी सुनामी (Tsunami) आने का खतरा है। इस खतरे की चपेट में कई देश आ सकते हैं।

जलवायु परिवर्तन सम्बंधित एक अध्ययन में बताया गया है कि आर्कटिक के पिघलने से यूके और ग्रीनलैंड के पास के महासागरों की पर्पटी हर साल 2.5 सेमी उठ रही है। इससे पिघलती बर्फ के दबाव से इलाके में ऐसे बदलाव होंगे जो सुनामी आने का कारण बन सकते हैं।

समुद्र के अंदर भूकंप से ग्रीनलैंड और यूके में सुनामी का खतरा

विशेषज्ञों ने बताया कि पिघलती बर्फ ही इलाके में समुद्र तल की टेक्टोनिक प्लेट्स को इतना प्रभावित कर देगी जिससे समुद्र तल पर भूकंप आ जाएगा और उसका नतीजा ग्रीनलैंड और यूके में एक विनाशकारी सुनामी ला देगी। आर्कटिक की बर्फ बहुत तेजी से पिघल रही है और विशेषज्ञ यही कह रहे हैं कि इसके नतीजे के तौर पर ग्रीनलैंड और आसपास के यूरोपीय देशों को विशाल सुनामी झेलनी पड़ सकती है।

लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज के अर्थ साइंस के प्रोफेसर बिल मैग्वायर ने चेतावनी देते हुए द साइंस टाइम की रिपोर्ट में मैग्वायर ने समझाया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण गायब हो रही बर्फ की चादरें महासागरों की टेक्टोनिक प्लेट्स में अस्थिरता पैदा कर सकती हैं। इसकी वजह से ग्रीनलैंड के आसपास बड़े पैमाने पर भूकंप आ सकता है जो यूनाइटेड किंग्डम का भी सफाया कर सकता है।

फोटो- सोशल मीडिया

हजारों सालों से दबी टेक्टोनिक प्लेट्स पिघले पानी को ऊपर धकेलेंगी

प्रोफेसर मैग्वयार का मानना है कि संभावित विनाशकारी सुनामी की पैदाइश भूकंपीय तरंगे ही होंगी। जो टेक्टोनिक प्लेट्स की गतिविधियों के कारण विकसित होंगी जो अब तक टनों की मात्रा में बर्फ से ढकी थीं। एक बार ये बर्फ पिघलने से हजारों सालों से दबी टेक्टोनिक प्लेट्स पिघले पानी को ऊपर धकेलेंगी।

हर साल महासागर की पर्पटी 2.5 सेटीमीटर तक उठ रही

ग्रीनलैंड, जो बर्फ का एक बहुत ही बड़ा भूभाग है, सबसे ज्यादा विनाशकारी सुनामी का अनुभव कर सकता है, क्योंकि उसके नीचे की पृथ्वी की पर्पटी उठ रही है। इस डराने वाले खुलासे में मैग्वायर ने यह भी बताया कि ग्रीनलैंड, आइसलैंड और स्वालबार्ड की हिमहानि को संवेदनशील जीपीएस उपकरणों ने पकड़ा है। इससे यहां हर साल महासागर की पर्पटी 2.5 सेटीमीटर तक उठ रही है।

ध्रुवीय भालू का अस्तित्व खतरे में: फोटो- सोशल मीडिया

ध्रुवीय भालू का अस्तित्व खतरे में

एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 20 सालों में ग्रीनलैंड में 4 ट्रिलियन टन बर्फ पिघल चुकी है। वहीं सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक नॉर्वे के वैज्ञानिकों का सावलबार्ड द्वीप समूह का अवलोकन बताता है कि साल 1995 से लेकर 2016 के बीच ध्रुवीय भालुओं की उनकी अनुवांशिकी विविधता में कुल जनसंख्या की 10 प्रतिशत हानि हुई है।

विशेषज्ञों की चेतावनी विलुप्त हो जायेंगे ध्रुवीय भालू

अध्ययन में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि ध्रुवीय भालू अपनी प्रजाति के अस्तित्व को बचाने के लिए अंतः प्रजनन यानि अनुवांशकीय रूप से नजदीकी साथियों के साथ प्रजनन करने को मजबूर हो गए हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस दर पर ध्रुवीय भालू इस सदी के अंत तक विलुप्त ही हो जाएंगे।

Shashi kant gautam

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