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Clouds on Mars: नासा से सामने आई ये दुर्लभ तस्वीरें, वैज्ञानिक खुश भी हैरान भी

मंगल ग्रह(Mars) पर बादलों(Clouds) का बनना न के बराबर संभव है लेकिन नासा(NASA) के क्यूरियोसिटी रोवर(Curiosity rover) ने गेल क्रेटर के ऊपर बादलों की फोटोज ली है।

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Newstrack NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 31 May 2021 9:27 PM IST
Clouds on Mars, but NASAs Curiosity rover has taken photos of the clouds above the Gayle crater.
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मंगल ग्रह पर बादल(फोटो-सोशल मीडिया)

Clouds on Mars: मंगल ग्रह(Mars) से काफी हैरान कर देने वाली खबरें सामने आई हैं। जीं हां मंगल ग्रह(Mars) पर बादलों(Clouds) का बनना न के बराबर संभव है लेकिन नासा(NASA) के क्यूरियोसिटी रोवर(Curiosity rover) ने गेल क्रेटर के ऊपर बादलों की फोटोज ली है। असम में मंगल ग्रह का वायुमंडल इतना ज्यादा हल्का और पतला है कि यहां पर बादलों का निर्माण एक हिसाब से असंभव है।

लेकिन इस बीच बादलों की फोटो देखकर दुनिया भर के वैज्ञानिक एक तरफ खुश भी हैं और दूसरी तरफ हैरान भी हैं। इस बारे में नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने यह तस्वीर मंगल ग्रह पर दो साल बिताने के बाद ली है। वहीं इससे पहले आज तक ऐसी तस्वीर नहीं आई थी। फिलहाल वैज्ञानिक अब क्यूरियोसिटी रोवर के ऊपर बादल बनने को लेकर अध्ययन कर रहे हैं।

मौसम भी वैसा नहीं

दरअसल मंगल ग्रह के ऊपर बादलों का समय से पहले आने के बारे में अध्ययन चल रहा है। रिपोर्ट से अनुसार, मंगल ग्रह पर बादलों का निर्माण उसकी भूमध्यरेखा के ऊपर सर्दियों के समय पर होता है।

मतलब की मंगल ग्रह का जो सबसे ठंडा समय होता है उस समय यहां बादल दिखते हैं। पर इस मौसम में अभी वहां पर न तो सर्दियों का मौसम है और न ही ठंडा का समय है। इस पर नासा के वैज्ञानिक जनवरी के अंत से बादलों पर अध्ययन शुरु कर चुके हैं। क्योंकि उसी समय बादलों का देखा जाना सामान्य होता है।

नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह पर जिस तरह के बादलों की तस्वीर ली है, वो काफी ज्यादा पतले हैं। उन बादलों में महीन बर्फ के क्रिस्टल्स हैं। जिससे सूर्य की रोशनी परावर्तित हो रही है। इस वजह से बादलों में अलग-अलग रंग भी दिखाई दे रहे हैं।

मंगल ग्रह पर पानी नहीं तो बादल कैसे

साथ ही ये मंगल ग्रह के इंद्रधनुषी बादल हैं। ये केवल बेहद खूबसूरत नजारा नहीं है बल्कि ये बादल वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन करने का सबसे गजब का मौका भी हैं। तो ऐसे में अब वैज्ञानिक इनके जरिए पता करेंगे कि आखिर ये बादल बने कैसे, वो भी तब जब मंगल ग्रह की सतह पर पानी नहीं है।

मंगल ग्रह (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Mother of Peral

इस बारे में वैज्ञानिक जांच कर रहे हैं। जिससे अध्ययन करने के बाद पता चलेगा कि ये पानी की वजह से बने बादल हैं, या ये ड्राई आइस की वजह से बने बादल हैं। सामान्यत् बादल ड्राई आइस पर कार्बन डाइऑक्साइड के जमने से बनता है।

ऐसे में कोलोराडो के स्पेस साइंस इंस्टीट्यूट के वायुमंडल विज्ञानी मार्क लेमॉन कहते हैं कि इनसे भी ज्यादा खूबसूरत नजारा दिखाते हैं, Mother of Peral नाम के बादल। जब बादलों में पेस्टल शेड्स के हल्के रंग दिखाई पड़े और बादलों के निर्माणकर्ता कणों का आकार एक बराबर हो तब उसे मदर ऑफ पर्ल बादल कहते हैं। ये तब बनते हैं जब बादलों का निर्माण एक ही समय पर, एक बराबर आकार बर्फीले क्रिस्टलों से हुआ हो। इसके साथ ही ये एकसाथ ऊंचाई हासिल कर रहे हों।

आगे मार्क लेमॉन ने बताया कि लाल ग्रह पर ऐसे बादलों का दिखना अपने आप में हैरत वाली बात है। हालांकि ये बादल रंगीन हैं काफी। अगर आप क्यूरियोसिटी रोवर के साथ घूम सकते तो आप इन रंगीन बादलों का नजारा अपनी खुली आंखों से देख सकते थे। लेकिन ये थोड़ी देर में गायब भी हो जाते लेकिन मंगल ग्रह पर ऐसा नजारा दुर्लभ होता है।



Vidushi Mishra

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