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Commonwealth Games 2022: राष्ट्र मंडल खेलों से 'भगोड़ों' की तादाद बढ़ी, 10 श्रीलंकाई खिलाड़ी हुए लापता

Commonwealth Games: राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने ब्रिटेन गए श्रीलंकाई दल के लोग लगातार गायब होते जा रहे हैं। अब तक टीम के दस सदस्य ब्रिटेन में रहने के एक संदिग्ध प्रयास में गायब हो गए हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 8 Aug 2022 5:32 AM GMT
Commonwealth Games 2022
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कॉमनवेल्थ गेम्स में श्रीलंकन खिलाड़ी (फोटों: सोशल मीडिया)

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Commonwealth Games 2022: राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने ब्रिटेन गए श्रीलंकाई दल के लोग लगातार गायब होते जा रहे हैं। अब तक टीम के दस सदस्य ब्रिटेन में रहने के एक संदिग्ध प्रयास में गायब हो गए हैं। बताया गया है कि नौ एथलीट और एक प्रबंधक अपनी स्पर्धाओं को पूरा करने के बाद अचानक गायब हो गए। उनमें से तीन - जुडोका चमिला दिलानी, उनके प्रबंधक असेला डी सिल्वा और पहलवान शनिथ चतुरंगा - पिछले सप्ताह गायब हो गए थे। इसके बाद श्रीलंकाई अधिकारियों ने पुलिस में शिकायत की लेकिन तब से सात और गायब हो गए हैं।

एक श्रीलंकाई अधिकारी के अनुसार संदेह है कि ये भगोड़े शायद रोजगार पाने के लिए ब्रिटेन में रहना चाहते हैं। 160 सदस्यीय श्रीलंकाई दल के मैनेजमेंट के पास सभी सदस्यों के पासपोर्ट थे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे घर लौट आएंगे लेकिन इस कदम का भी कोई असर नहीं हुआ है। श्रीलंकाई अधिकारी ने बताया कि ब्रिटिश पुलिस ने पहले तीन का पता लगाया जो गायब हो गए, लेकिन चूंकि उन्होंने स्थानीय कानूनों का उल्लंघन नहीं किया और उनके पास छह महीने के लिए वैध वीजा था, इसलिए उनपर कोई कार्रवाई नहीं की गई। बल्कि पुलिस ने टीम मैनेजमेंट से कहा कि वह उन सदस्यों के पासपोर्टों को वापस कर दे।

पुलिस ने उनके ठिकाने के बारे में कुछ नहीं बताया है। श्रीलंका के एथलीट पहले भी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं से लापता हो चुके हैं। पिछले साल अक्टूबर में, श्रीलंका के कुश्ती प्रबंधक विश्व चैंपियनशिप टूर्नामेंट के दौरान ओस्लो में गायब हो गए। दक्षिण कोरिया में 2014 एशियाई खेलों के दौरान, दो श्रीलंकाई एथलीट गायब हो गए थे। सबसे बड़ा कांड तो 2004 में हुआ था, जब हैंडबॉल में देश का प्रतिनिधित्व करने का नाटक करने वाले 23 सदस्यीय ग्रुप ने जर्मनी में एक टूर्नामेंट के लिए अपना रास्ता बना लिया और सबके सब वहां गायब हो गए। श्रीलंका की अपनी कोई राष्ट्रीय हैंडबॉल टीम नहीं थी और भगोड़ों ने बहुत सफाई से पूरा फर्जीवाड़ा गढ़ा था।

क्यों गायब हो जाते एथलीट

प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों के दौरान एथलीटों के "लापता" होने का एक लंबा और नाटकीय इतिहास है। राष्ट्रमंडल खेल को लें तो ये एक अंतरराष्ट्रीय मंच है जहां सैकड़ों देशों के एथलीटों को घर से दूर यात्रा करने का मौका मिलता है। यूके जैसे देश प्रतिभागियों और अधिकारियों के लिए खेलों के बाद कुछ महीनों के लिए वीजा की अनुमति देते हैं। इसी का फायदा उठा कर टीम के सदस्य लापता हो जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया में 2018 राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान, कम से कम 13 अफ्रीकी एथलीट गायब हो गए थे। उनमें से ज्यादातर कैमरून के थे। अन्य लापता एथलीट युगांडा, सिएरा लियोन और रवांडा के थे।

कभी-कभी, नियुक्त कोच और अन्य स्टाफ सदस्य भी भाग जाते हैं, जैसा कि मेलबर्न में 2006 के राष्ट्रमंडल खेलों में हुआ था, जहां 40 से अधिक एथलीट और अधिकारी लापता हो गए। ओलंपिक खेलों में इस तरह के गायब होने की घटनाएं इतनी बार होती हैं कि इन एथलीटों को अक्सर "ओलंपिक दलबदलुओं" के रूप में संबोधित किया जाता है। खेलों के आधुनिक इतिहास में, शुरुआती मामले शीत युद्ध के दौरान सबसे ज्यादा थे जब कम्युनिस्ट देशों के कई लोगों ने पश्चिमी देशों में 'शरण' की मांग की थी। खेल इवेंट्स के दौरान लापता हो जाने वाले कुछ एथलीट स्थायी रूप से उस देश में बस जाते हैं, नौकरी करते हैं।

वहीं बहुत से 'भगोड़े' अक्सर कुछ समय बाद वापस चले जाते हैं क्योंकि वे पूरी तरह से अलग संस्कृति में अपने आप को फिट नहीं कर पाते या उनके पास उचित दस्तावेज नहीं होते हैं या फिर उनको कोई कामकाज नहीं मिल पाता है। विभिन्न कानून और मानदंड शरण के लिए आवेदन करने को नियंत्रित करते हैं, और आर्थिक अवसरों की कमी को शरण देने के कारण के रूप में शायद ही कभी स्वीकार किया जाता है। ऐसे एथलीटों को शरण देने पर देशों की अलग-अलग नीतियां हैं।

Prashant Dixit

Prashant Dixit

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