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भविष्य का स्टोर, जहां नहीं होंगे कर्मचारी न कोई कैशियर न कैश मशीनें

raghvendra
Published on: 27 Jan 2018 1:57 PM IST
भविष्य का स्टोर, जहां नहीं होंगे कर्मचारी न कोई कैशियर न कैश मशीनें
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भारी भरकम कंपनी अमेजन ने भविष्य की दुकानों की राह खोल दी है। अमेरिका के सिएटल में खुले ‘अमेजन गो’ स्टोर में दरवाजे से घुसते ही लगता है कि यहां सब कुछ सामान्य से परे है। लगता है जैसे आप मेट्रो स्टेशन में प्रवेश कर रहे हैं क्यों कि प्रवेश द्वार पर सिक्योरिटी गार्ड्स खड़े नजर आते हैं जो सिर्फ उन्हीं लोगों को अंदर जाने देते हैं जिनके स्मार्टफोन में ‘अमेजन गो’ का एप डाउनलोडेड है। मेट्रे के गेट की तरह यहां मशीन लगी है जहां आपको अपना ‘ऐप’ मशीन को दिखाना पड़ता है।

भीतर घुसते पर 1800 वर्ग फुट का छोटा सा बाजार दिखता है जहां वही सब है जो किसी भी स्टोर में पाया जाता है - सोडा, चिप्स, सॉस, वगैरह। इसके अलावा वह सब सामग्री है जो अमेजन के ही स्टोर ‘होल फूड्स’ में बिकती है।

लेकिन जो होता है वह दिखता नहीं। यही है यहां का हाल। स्टोर में जिस टेक्रोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है वह पूरे वातावरण में है। यहां कोई कैशियर, कैश मशीनें नहीं हैं।

किसी को क्रेडिट कार्ड निकालने और स्वाइप करने की जरूरत नहीं पड़ती। ग्राहक जिस दरवाजे से भीतर आये थे वहीं से बाहर जाते हैं। जैसे ही ग्राहक बाहर निकलते हैं उनके अमेजन एकाउंट में खरीदारी का पैसा ऑटोमेटिकली कट जाता है। यह स्टोर जनता के लिये २२ जनवरी को खोला गया है। इसके पहले अमेजन के अमेजन गो के इंचार्ज जियाना प्यूरेनी ने खास लोगों और मीडिया को स्टोर का दौरा करवाया।

स्टोर में शॉपिेंग कार्ट या बास्केट भी नहीं रखी गयी हैं। वजह ये है कि जब चेकआउट प्रोसेस ही आटोमेटिक है तो किसी ट्रॉली की जरूरत ही क्या है? सो ग्राहक सामान सीधे अपने शॉपिंग बैग में रहते जाते हैं। अमेजन के अनुसार जैसे की कोई ग्राहक कोई सामान किसी शेल्फ से सामान उठाता है वह उस ग्राहक के ऑनलाइन शॉपिंग कार्ट में जुड़ जाता है। शेल्फ पर सामान वापस रखते ही वर्चुअल शॉपिंग कार्ट से वह चीज हट जाती है।

यह सब कैसे होता है इसका एक संकेत स्टोर की छत पर लगे सैकड़ों कैमरों से लगता है। छोटे-छोटे ये कैमरे पूरे स्टोर भर की छत पर फिट हैं। अमेजन ये तो खुलासा नहीं करता कि स्टोर का सिस्टम कैसे काम करता है लेकिन इतना जरूर बताता है कि इसमें अत्याधुनिक कंप्यूटर विजन और मशीन लर्निंग सॉफ्टवेयर का योगदान है। मतलब ये कि अमेजन की टेक्रोलॉजी स्टोर में रखे हर एक आइटम को देख व पहचान सकती है। इस टेक्रोलॉजी में प्रत्येक वस्तु पर किसी स्पेशल चिप को लगाने की जरूरत नहीं है।

जान लीजिये कि अमेरिका में २०१६ में साढ़े तीन लाख से ज्यादा कैशियर थे। और अगर ‘अमेजन गो’ में प्रयुक्त टेक्रोलॉजी फैलती है तो इन कैशियर की रोजीरोटी संकट में पड़ जायेगी। बहरहाल, अमेजन का तो अभी यही कहना है कि उसकी टेक्रोलॉजी से कर्मचारियों की भूमिका में सिर्फ बदलाव ही आया है। कर्मचारियों को ऐसे कामों में लगाया गया है जहां वे ग्राहकों के लिये अधिक मददगार साबित हो सकते हैं।

खैर, जो लोग सुपरमार्केट या बड़े स्टोर्स मेन खरीदारी करते हैं वे जानते हैं कि बिलिंग की प्रक्रिया कितनी उबाऊ और समय गंवाने वाली होती है। भीड़ वाले दिनों में तो ये काम बहुत फ्रस्टेटिंग होता है। ‘अमेजन गो’ में एक विशेषता ये भी है कि यहां खरीदारी करते वक्त लगता है जैसे आप शॉपलिफ्टिंग कर रहे हैं।

ग्राहक बिना पैसा चुकये बाहर भी निकल जाता है लेकिन चंद मिनट बाद जैसे ही अमेजन से खरीदारी की इलेक्ट्रॉनिक रसीद आप के पास पहुंच जाती है। वैसे, जान लीजिये कि ‘अमेजन गो’ स्टोर से चोरी करना भी आसान नहीं है। आप किसी सामान कितना भी कपड़ों के भीतर या किसी कपड़े आदि में लपेट लें, कैमरा सब पकड़ लेता है और मोबाइल पर रसीद आ जाती है।

अब ये तो पता नहीं कि अमेजन इस टेक्रालॉजी को आगे कहां तक ले जाने की सोच रहा है। यह भी पता नहीं कि ऐसे और स्टोर खोले जाएंगे कि नहीं। अटकलें हैं कि अमेजन यह सिस्टम अन्य रिटेलर्स को बेच सकता है। अब जो भी हो, एक नयी टेक्रालॉजी तो आ ही गयी है जो इनसानों पर भारी पडऩे वाली है।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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