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Confucius Institute in China: कंफ्यूशियस इंस्टिट्यूट यानी चीन का गहरा जाल
Confucius Institute in China: कंफ्यूशियस इंस्टिट्यूट को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा "चीन के विदेशी प्रचार सेटअप का एक महत्वपूर्ण हिस्सा" के रूप में बताया गया था।
Confucius Institute in China: भारत समेत कई देशों में फैले चीन के कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट जासूसी के आरोपों के चलते सुर्खियों में है। कंफ्यूशियस इंस्टिट्यूट को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा "चीन के विदेशी प्रचार सेटअप का एक महत्वपूर्ण हिस्सा" के रूप में बताया गया था। ये बीजिंग के वैश्विक सॉफ्ट पावर प्रयास का एक प्रमुख स्तंभ है।
क्या है गोरखधंधा
कंफ्यूशियस इंस्टिट्यूट दरअसल चीन की सरकारी संस्था "हेनबेन" का ब्रेन चाइल्ड है। ये पहली बार दक्षिण कोरिया के सिओल में साल 2004 में खुला था। हेनबेन चीनी शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आता है और उसकी वेबसाइट पर लिखा है कि वो विदेशों में चीनी भाषा और संस्कृति सिखाने का काम करता है। अब 162 देशों में विदेशी संस्थानों में 550 सीआई और 1,172 कन्फ्यूशियस क्लासरूम (सीसी) स्थापित किए जा चुके हैं।
काम करने का तरीका
कंफ्यूशियस इंस्टीट्यूट नामी विश्वविद्यालयों से संपर्क करता है और उसके विदेशी भाषा सिलेबस में चीन की भाषाओं को भी शामिल करने की दरख्वास्त करता है। बदले में वो कॉलेज बिल्डिंग, टीचरों और दूसरी जरूरतों के नाम पर बड़ी फंडिंग करता है। बताया जाता है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इसके लिए सालाना 10 अरब डॉलर से भी ज्यादा खर्च कर रही है।
कन्फ्यूशियस संस्थान (सीआई) चीनी नागरिकों को कॉलेज परिसरों में लाते हैं, जहां वे चीनी सरकार द्वारा अनुमोदित सामग्री का उपयोग करके चीनी भाषा और संस्कृति सिखाते हैं। चीनी शिक्षा मंत्रालय बीजिंग को लाभ पहुंचाने वाले अतिरिक्त संबंध बनाने के लिए लीवरेज के रूप में इसका उपयोग करते हुए सीआई कार्यक्रम को वित्तपोषित करता है।
कई देशों में कार्रवाई
अमेरिका, डेनमार्क, नीदरलैंड, बेल्जियम, फ्रांस और स्वीडन में कुछ कंफ्यूशियस इंस्टिट्यूट के बंद होने की सूचना मिली है। इस प्रतिक्रिया का सामना करते हुए, चीन अब कार्यक्रम की रीब्रांडिंग कर रहा है।
चीनी शिक्षा मंत्रालय के एक निर्देश के अनुसार, हनबन का नाम बदलकर "भाषा शिक्षा और सहयोग केंद्र" कर दिया गया है। कन्फ्यूशियस संस्थान ब्रांड को भी हटा दिया जा सकता है।
दुनिया भर में 550 सीआई और 1,000 सीसी से अधिक अभी भी सक्रिय हैं, जिनकी उपस्थिति अफ्रीका, मध्य एशिया, लैटिन अमेरिका और पूरे एशिया में है, जिसमें पाकिस्तान (सात), नेपाल (चार), श्रीलंका में भारत के पड़ोस शामिल हैं। (चार) और बांग्लादेश (तीन) हैं।
अमेरिका में कार्रवाई
पूरे अमेरिका में कॉलेज परिसरों में स्थापित ये चीनी कम्युनिस्ट पार्टी प्रायोजित संस्थानों पर तत्कालीन डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने कड़ा शिकंजा कसा था। ट्रम्प प्रशासन ने उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम के रूप में देखा था और उन पर आरोप लगाया कि वे वीजा धोखाधड़ी का प्रयास करते थे। लेकिन चीनी सरकार लंबा खेल खेलने में माहिर है, और उसने कंफ्यूशियस इंस्टिट्यूट का नाम बदल कर इसे फिर से चालू कर दिया है।
चार साल पहले, अमेरिकी कांग्रेस ने कन्फ्यूशियस संस्थानों की मेजबानी करने वाले कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से अनुदान राशि में कटौती की थी। फिर, तत्कालीन विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ ने सीआई की जांच की और शिक्षा विभाग ने विदेशी उपहारों की रिपोर्ट करने में कॉलेजों की विफलताओं पर कार्रवाई की।
नतीजतन, सीआई बंद होने लगे और इनकी संख्या 118 से घट कर अब केवल 17 रह गई है। उनमें से तीन इस साल के अंत में बंद होने वाले हैं। ब्रिटेन में लगभग 30 सीआई हैं, जो अब पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हैं।
भारत में मौजूदगी
भारत सात विश्वविद्यालयों में सीआई की उपस्थिति की समीक्षा कर रहा है, इसके अलावा चीन से जुड़े अंतर-विद्यालय सहयोग पर 54 समझौता ज्ञापन हैं, जो सीआई कार्यक्रम से जुड़े नहीं है।
हनबन वेबसाइट भारत में तीन सीआई (मुंबई विश्वविद्यालय, वेल्लोर प्रौद्योगिकी संस्थान और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी) और तीन सीसी (चीनी भाषा स्कूल कोलकाता, भारथिअर विश्वविद्यालय और केआर मंगलम विश्वविद्यालय) को सूचीबद्ध करती है, लेकिन इनमें से कुछ मामलों में ये योजनाएं धरातल पर नहीं उतरीं।
जासूसी के आरोपों को देखते हुए यूजीसी ने इसी साल अप्रैल में एक सर्कुलर जारी किया। इसके तहत सीआई से जुड़ने से पहले सबको फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट से क्लीयरेंस लेना होगा।
29 जुलाई को, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कई संस्थानों को पत्र भेजकर उनके कन्फ्यूशियस संस्थानों और चीनी भाषा प्रशिक्षण केंद्रों की गतिविधियों के बारे में जानकारी मांगी थी।
इसे विदेशी संस्थाओं के साथ साझेदारी में उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा का हिस्सा बताया गया था। इस कदम ने चीन के सीआई कार्यक्रम को सुर्खियों में ला दिया।