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इजरायल को कमजोर समझ कर तबाह हुआ हिज़्बुल्लाह, ईरान को सता रहा डर

इजराइली हमले में हिज़्बुल्लाह मे तबाही आ गई। अब ईरान को यह सब देखकर दर सता रहा है।

Neel Mani Lal
Published on: 29 Sep 2024 5:16 AM GMT (Updated on: 29 Sep 2024 5:19 AM GMT)
israel hezbollah war
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israel hezbollah war

7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजरायल पर हमला करने के कुछ हफ्ते बाद, लेबनानी आतंकवादी गुट हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह ने एक जोरदार भाषण दिया था जिसमें कहा था कि उनके लोग "दुश्मन" के खिलाफ़ लड़ाई में क्यों शामिल हो रहे हैं। नसरल्लाह ने कहा था कि इजरायल डर से "कांप रहा है और वह मकड़ी के जाले से भी कमज़ोर है।" नसरल्लाह ने कहा था कि इजरायल के साथ पिछले संघर्षों के विपरीत, यह युद्ध "ऐतिहासिक और निर्णायक है" और लेबनान से लेकर सीरिया और इराक और यमन तक सभी ईरानी समर्थित प्रतिरोध आंदोलन इसमें भाग लेने के लिए बाध्य हैं। आज, नसरल्लाह मर चुका है, साथ ही हिजबुल्लाह के वरिष्ठ नेतृत्व का सफाया हो चुका है, संगठन के बाकी हिस्से को लगातार हमलों से तबाह कर दिया गया है।

पीछे मुड़कर देखें, तो यह सब नसरल्लाह की दो रणनीतिक गलतियों का नतीजा था: अपने दुश्मन इजरायल को बहुत कम आंकना और अपने आका ईरान और क्षेत्र में उसके सहयोगी आतंकवादी गुटों के नेटवर्क की हैसियत को जरूरत से ज़्यादा आंकना। हिजबुल्लाह के पास मिसाइलों और रॉकेटों का विशाल भंडार है, जिसमें सटीक गाइडेड बैलिस्टिक मिसाइलें भी शामिल हैं। इसका उद्देश्य इजरायली आक्रमण को रोकना था लेकिन ये सब इजरायल को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा पाए हैं। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 16 सितंबर से लेबनान में 1,000 से अधिक लोग मारे गए हैं, लेकिन 19 सितंबर से हिजबुल्लाह के हमलों के चलते एक भी इजरायली की मौत नहीं हुई है।


इजरायल के सामने फेल

ये साफ है कि हिजबुल्लाह भले ही एक सेना की तरह काम कर रहा है लेकिन गोलाबारी, हवाई शक्ति, खुफिया जानकारी और तकनीक के मामले में इजरायल से उसका कोई भी मुकाबला नहीं है। हिजबुल्लाह अपने ही अहंकार का शिकार हो गया है। लेकिन एक दूसरा पहलू भी है। नसरल्लाह और कई टॉप कमांडरों की मौत के बावजूद, हिजबुल्लाह के पास अभी भी हजारों प्रशिक्षित लड़ाके और हथियारों का बड़ा भंडार है जिसका इस्तेमाल वह अपने दक्षिणी लेबनानी गढ़ों में कर सकता है। जानकारों का कहना है कि हिजबुल्लाह दक्षिण लेबनान में जमीन पर इजरायल का ऑपरेशन शुरू करने का इंतजार नहीं कर सकता क्योंकि वह क्षण उनके लिए गेम चेंजर बन सकता है।

इजरायली कमांडर भी जमीनी लड़ाई के खतरों को जानते हैं। उन्हें 2006 के अभियान के नुकसान याद हैं। समस्या यह है कि इजरायल का घोषित लक्ष्य सिर्फ हवाई शक्ति से हासिल करना मुश्किल है। हाल ही में हुए हमलों के बावजूद, हिजबुल्लाह ने सीमा पार से गोलीबारी बंद करने से इनकार कर दिया है।


ईरान के सामने चुनौती

हिजबुल्लाह का नाटकीय रूप से कमज़ोर होना ईरान के लिए एक बड़ी चुनौती है। ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर किसी भी संभावित इज़राइली हमले के खिलाफ़ ढाल के रूप में हिजबुल्लाह की मिसाइलों और रॉकेटों पर भरोसा किया है। अब हिजबुल्लाह की तबाही ईरान को बहुत मुश्किल स्थिति में डाल गई है, क्योंकि हिजबुल्लाह को ईरान की रक्षा के लिए बनाया गया था। ऐसे में अब ईरान को हिजबुल्लाह की रक्षा करने की दुविधा का सामना करना पड़ रहा है। ईरान को डर है कि हिजबुल्लाह की तरह उसके यहां भी कहीं वॉकी-टॉकी और पेजर में विस्फोट न होने लगें। ईरानी जानते हैं कि इजरायल अब युद्ध चाहता है, क्योंकि उसके पास खुफिया और सैन्य शक्ति है।

बहरहाल, हिजबुल्लाह का युद्ध उल्टा पड़ गया है, दक्षिण लेबनान के बड़े हिस्से नष्ट हो गए हैं, और लाखों शिया सड़कों पर हैं या अपने ही देश में शरणार्थी हैं। ऐसे में हिजबुल्लाह अलग-थलग पड़ रहा है।

Sonali kesarwani

Sonali kesarwani

Content Writer

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