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कोरोना के बाद और भयंकर महामारी, वैज्ञानिकों ने किया खुलासा

अब वैज्ञानिकों ने अगली महामारी के बारे में भी पता लगा लिया है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने ये भी पता लगा लिया है कि ये महामारी किस देश, किस जीव से फैलने की आशंका है।

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Newstrack Network NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 2 May 2021 8:54 PM IST
वैज्ञानिकों ने महामारी को लेकर ये भी बताया कि कैसे अगली महामारी को टाला जा सकता है।
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वायरस(फोटो-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: पूरी दुनिया कोरोना महामारी से इतनी बुरी तरह से खौफ में है कि अब वैज्ञानिकों ने अगली महामारी के बारे में भी पता लगा लिया है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने ये भी पता लगा लिया है कि ये महामारी किस देश, किस जीव से फैलने की आशंका है।

वैज्ञानिकों ने महामारी को लेकर ये भी बताया कि कैसे अगली महामारी को टाला जा सकता है। इस बार महामारी ब्राजील के अमेजन जंगलों, वहां मौजूद चमगादड़ों, बंदरों और चूहों की प्रजातियों में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस से फैल सकती है। चलिए बताते हैं कि वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में क्या खोज निकाला है?

महामारी को लेकर ब्राजील के मानौस (Manaus) स्थित फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ अमेजोनास के बायोलॉजिस्ट मार्सेलो गोर्डो और उनकी टीम को हाल ही में कूलर में तीन पाइड टैमेरिन बंदरों की सड़ी हुई लाश मिली है। बताया जा रहा कि किसी ने इस कूलर की बिजली सप्लाई बंद कर दी थी। जिसके बाद बंदरों के शव अंदर ही सड़ गए।

ऐसे में मार्सेलो और उनकी टीम ने बंदरों से सैंपल लिए और उसे फियोक्रूज अमेजोनिया बायोबैंक लेकर गए। फिर यहां पर उनकी मदद करने के लिए जीव विज्ञानी अलेसांड्रा नावा सामने आईं। लेकिन उन्होंने बंदरों के सैंपल से पैरासिटिक वॉर्म्स, वायरस और अन्य संक्रामक एजेंट्स की खोज की।

अमेजन के जंगल में चमगादड़ की इतनी प्रजातियां

इस बारे में अलेसांड्रा ने बताया कि जिस तरह से इंसान जंगलों पर कब्जा कर रहे हैं, ऐसे में वहां रहने वाले जीवों में मौजूद वायरस, बैक्टीरिया और पैथोजेन्स इंसानों पर हमला करके संक्रमण फैला रहे हैं। ठीक ऐसा ही हुआ चीन में।

उन्होंने बताया कि वहां से जो वायरस निकले उनकी वजह से मिडल ईस्ट सिंड्रोम (MERS) फैला। तभी वहीं से SARS फैला, अब वहीं से कोरोना वायरस निकला, जिसने बीते लगभग दो साल से पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है।

यहां ब्राजील के मानौस के चारों तरफ अमेजन के जंगल हैं। जोकि कई सौ किलोमीटर तक फैले हुए। यहां मानौस में 22 लाख लोग रहते हैं। पूरी दुनिया में मौजूद 1400 चमगादड़ों की प्रजातियों में से 12 फीसदी केवल अमेजन जंगल में रहते हैं।

वहीं इसके अलावा बंदरों और चूहों की कई ऐसी प्रजातियां भी रहती हैं, जिन पर वायरस, पैथोजेन्स और बैक्टीरिया या पैरासाइट रहते हैं। ऐसे में ये कभी भी इंसानों में आकर बड़ी महामारी का रूप ले सकते हैं। और इन सबके पीछे है शहरीकरण, सड़कें बनाना, डैम बनाना, खदान बनाना और जंगलों को काटना।

इस बारे में फियोक्रूज अमेजोनिया बायोबैंक (Fiocruz Amazônia Biobank) के वैज्ञानिक जैसे अलेसांड्रा और उनकी टीम के लोग हमेशा इस बात का पता करते रहते हैं कि किस जंगली जीव से कौन सा पैथोजेन इंसानों में प्रवेश कर सामान्य स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों को बिगाड़ सकता है। जिससे जानवरों से इंसानों में आने वाली बीमारियों को जूनोसेस (Zoonoses) कहते हैं।

ऐसे मेें अलेसांड्रा ने कहा कि मानौस के टैमरिन बंदरों में फिलहाल ऐसे वायरस नहीं है लेकिन ये बंदर कभी भी इंसानों को खतरनाक तरीके से संक्रमित कर सकते हैं। लेकिन मच्छर जीका जैसे वायरस से इंसानों को संक्रमित कर सकते हैं। मानौस के आसपास टैमरिन बंदरों की संख्या तेजी से कम हो रही है।

वहीं इस बारे में ऐसी गणना है कि अगले 16 सालों में इनकी आबादी 80 प्रतिशत कम हो जाएगी। यदि किसी तरह का वायरस फैला तो ये और जल्दी खत्म हो जाएंगे।



Vidushi Mishra

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