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कोरोना ने रोकी माइक्रोचिप की सप्लाई, कार, कम्प्यूटर, मोबाइल महंगे
चिप या सेमीकंडक्टर देखने में बेहद छोटी से चीज होती है मगर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का दिल है। और इनका प्रोडक्शन कोरोना वायरस ने लगभग ठप कर दिया है। एक अनुमान के अनुसार, 169 तरह के उद्योग चिप की कमी से प्रभावित हुए हैं।
Corona's Impact On The Electronic Market:: आपने इधर कार, मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर वगैरह कोई आइटम खरीदा है तो जरूर ध्यान दिया होगा कि इनके दाम बढ़ते जा रहे हैं और इनकी सप्लाई भी काफी कम हो गई है। कार खरीदने के लिए एक महीने से लेकर एक साल की बुकिंग चल रही है। कई ई-कॉमर्स साइट्स पर मोबाइल बिकना बन्द हो गए हैं। इसकी वजह भी जान लीजिए। इन सभी उपकरणों में चिप या सेमीकंडक्टर लगते हैं जिनके बगैर मशीन काम ही नहीं कर सकती। देखने में बेहद छोटी से चीज इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का दिल होती है। और इनका प्रोडक्शन कोरोना वायरस ने लगभग ठप कर दिया है। एक अनुमान के अनुसार, 169 तरह के उद्योग चिप की कमी से प्रभावित हुए हैं। जब चिप ही नहीं मिल रही तो प्रोडक्शन हो भी तो कैसे?
बहुत बड़ी चुनौती
चिप या सेमीकंडक्टर की ग्लोबल कमी ने दुनियाभर की निर्माण इकाइयों के बहुत बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। और सबसे गंभीर बात ये है कि ये संकट जल्दी दूर होने के कोई आसार नहीं हैं। दुनिया के बड़े लैपटॉप निर्माताओं में शामिल एसर के अनुसार, अगले साल तक ये संकट बना रहेगा।
क्या होते हैं सेमीकंडक्टर
कार, मोबाइल से लेकर फैक्ट्री की मशीनों तक में सेमीकंडक्टर या चिप एक आवश्यक अंग होते हैं। इनके जरिये किसी इलेक्ट्रिकल उपकरण में बिजली सप्लाई को कंट्रोल किया जाता है। चिप में सिलिकॉन जैसे मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है।
क्यों हुई है कमी
सेमीकंडक्टर या चिप के मुख्य निर्माता हैं ताइवान, चीन, कोरिया आदि देश। कोरोना महामारी के चलते चिप बनाने वाले कारखाने बन्द हैं या बहुत सीमित स्टाफ के साथ थोड़ा बहुत प्रोडक्शन कर रहे हैं। ताइवान की सबसे बड़ी फैक्टरी में तो 2000 कर्मचारियों में मुठ्ठी भर कर्मचारी ही काम पर आ रहे हैं क्योंकि ज्यादातर या तो कोरोना से बीमार हैं या क्वारंटाइन में हैं। इसके अलावा महामारी की वजह से माल की आवाजाही का बाधित होना भी चिप सप्लाई में कमी का कारण बन हुआ है।
डिमांड भी बढ़ गई
कोरोना के कारण वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन पढ़ाई पूरी दुनिया में चल रहा है। इसके चलते इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की डिमांड बीते एक साल में बहुत तेजी से बढ़ी है। कम प्रोडक्शन और ज्यादा डिमांड से भी बैलेंस बिगड़ गया है।
अमेरिका खर्च करेगा अरबों डॉलर
सेमीकंडक्टर की कमी से निपटने के लिए अमेरिका ने कमर कस ली है और तय किया है कि दूसरे देशों पर निर्भर रहने की बजाए अपने के देश में प्रोडक्शन बढ़ाया जाए, लोकल निर्माताओं को प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए सीनेट ने एन्डलेस फ्रंटियर एक्ट पारित किया है जिसके जरिये सेमीकंडक्टर निर्माण पर अरबों डॉलर खर्च किये जायेंगे। अमेरिका का इरादा सेमीकंडक्टर निर्माण में चीन को मजबूती से टक्कर देने का है। सीनेट ने सेमीकंडक्टर रिसर्च और प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए 50 अरब डॉलर रखे हैं।
चीन की पोजीशन
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेमीकंडक्टर की कमी चीन द्वारा जानबूझ कर भी बनाई जा सकती है। चीन अपना प्रभुत्व बनाने और दूसरों, खासकर अमेरिका को कमजोर करने के लिए अगर ऐसा कर रहा है तो हैरानी की बात नहीं है।